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रेल प्रशासन की उपेक्षा का विरोध, चंदिया में शुरू हुआ कृमिक अनशन

Tuesday, September 6, 2022

/ by Today Warta



उमरिया। जिले के चंदिया नगर में आज हजारों की तादाद में जन सैलाब इकठ्ठा हुआ है. कोरोना काल में बन्द हुई ट्रेनों के परिचालन और स्टापेज को लेकर चंदिया स्टेशन परिसर के सामने 15 दिवसीय क्रमिक भूख हड़ताल शुरू की गई. क्षेत्रीय जन संघर्ष समिति के बैनर तले शुरू किए गए इस क्रमिक भूख हड़ताल को लेकर रेलवे पुलिस बल और मध्यप्रदेश पुलिस की भारी संख्या में तैनाती की गई. वहीं बिलासपुर से पहुंचे प्रतिनिधि मंडल को संघर्ष समिति ने 15 दिन का अल्टीमेटम दिया है. 15 दिन के बाद रेल की पटरी तक आंदोलन पहुंच जाएगा. वहीं स्टेशन से हो रही कमर्शियल गतिविधियों को रोकने का भी अल्टीमेटम दिया गया है. क्षेत्र में बढ़ते जनाक्रोश को देखते हुए पहले ही बांधवगढ़ विधायक शिवनारायण (लल्लू) ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर समस्या से अवगत कराया था, लेकिन रेल प्रशासन चेता नहीं. 

कांग्रेस-भाजपा साथ मिलकर जता रहे विरोध: चंदिया के रेल के ठहराव को लेकर आंदोलन में गजब की एकजुटता दिखाई दे रही है. इसमें भाजपा-कांग्रेस के साथ आमजन रोड पर उतरे और विरोध दर्ज कराया. कल जुलूस के बाद मंच पर भी यह नजारा साफ दिखाई दिया. जहां भाजपा के विधायक शिवनारायण सिंह, वरिष्ठ नेता मिथलेश मिश्रा, कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष मुकेश तिवारी, सावित्री सिंह के साथ काफी संख्या में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने अपनी सहभागिता प्रदान की. क्षेत्र में उपजे जनाक्रोष के बावजूद रेलवे की हठधर्मिता जारी है. पूर्व की तरह कल भी प्रबंधन ने अपनी जिम्मेदारी निभाने में कोताही बरती. इस मौके पर आंदोलनकारियों से चर्चा करने को बिलासपुर से विकास कुमार (सीनियर डीसीएम) को भेजा गया. जिनके द्वारा रटा-रटाया आश्वासन दिया गया कि रेलवे आपकी मांगों को लेकर गंभीर है, जल्दी ही इस पर निर्णय लिया जायेगा.

ट्रेनों का स्टापेज यथावत करने की मांग: उधर क्षेत्रीय संघर्ष समिति के अध्यक्ष मिथिलेश मिश्रा का कहना है कि आंदोलन का मकसद कोई नई सौगात पाना नहीं है. हम तो केवल कोरोना से पूर्व रूक रही ट्रेनों का स्टापेज यथावत करने की मांग कर रहे हैं. इसके अलावा अंबिकापुर-जबलपुर के ठहराव की पुरानी मांग पूरी की जाय. मिश्रा ने कहा कि अब संघर्ष शुरू हो गया है, रेलवे जनता के धेर्य की परीक्षा न ले. अगर जल्द ही सभी ट्रेनों का स्टापेज पूर्ववत नहीं हुआ तो लोगों के पास रेलों को रोकने के अलावा कोई चारा नहीं बचेगा।

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