प्रयागराज : समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के रामचरितमानस पर दिए गए विवादित बयान के विरोध में विहिप समेत अन्य हिंदू संगठनों ने मंगलवार को माघ मेला में प्रदर्शन किया। साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से धार्मिक हमलों को रोकने के लिए ईशनिंदा विरोधी कानून पारित करने की भी मांग की। विश्व हिन्दू परिषद़्, अंतरराष्ट्रीय हिन्दू परिषद, जांबाज हिन्दुस्थानी सेवा समिति, अक्षय युवा फाउंडेशन, सनातन संस्था, हिन्दू जनजागृति समिति आदि संगठनों के प्रतिनिधियों ने संगम अपर मार्ग, सेक्टर 2 में धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने दोनों नेताओं को धार्मिक भावना भड़काने के विरोध में, मुकदमा दर्ज कर, गिरफ्तार करने की मांग की। बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने संत तुलसीदास रचित ‘श्रीरामचरितमानस’ को ‘नफरत फैलानेवाला’ ग्रंथ कहा था। जबकि उत्तर प्रदेश के समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने ‘श्रीरामचरितमानस’ की चौपाइयों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए इस ग्रंथ को जप्त कर नष्ट करने की मांग की थी। हिन्दू जनजागृति समिति के उत्तर प्रदेश एवं बिहार राज्य समन्वयक विश्वनाथ कुलकर्णी का कहना था कि बयानों के जरिए हिन्दुओं की श्रद्धा को पैरों तले कुचलने की कोशिश हो रही है। इस तरह की हरकत से हिन्दू समाज में रोष का निर्माण हुआ है। उच्च न्यायालय के अधिवक्ता अवधेश राय ने कहा की केंद्र सरकार राष्ट्रीय स्तर पर ईशनिंदा विरोधी कानून पारित करे ताकि हिंदू देवी-देवताओं, धर्मग्रंथ, संत, धार्मिक कर्मकांड के बारे में आपत्तिजनक वक्तव्य को रोका जा सके। उन्होंने कहा की सिनेमा, नाटक, चित्रकला, पुस्तक आदि द्वारा भी धर्म का अपमान किया जा रहा है। उन्होंने कहा की इसी प्रकार कर्नाटक के विवादित प्रोफेसर के. एस. भगवान ने ‘भगवान श्रीराम पत्नी सीता के साथ दिनभर दारू पीते थे । राम आदर्श राजा नहीं हैं’, ऐसे आपत्तिजनक वक्तव्य किए हैं । इससे पूर्व भी प्रोफेसर भगवान ने इसी प्रकार के वक्तव्य किए थे, जिनके कारण उन्हें कारावास दिया गया । ‘इस प्रकार के आपत्तिजनक वक्तव्य पुनः नहीं करेंगे’, इस शर्त पर उन्हें जमानत दी गई थी । इस शर्त को तोडने के कारण उनकी जमानत रद्द कर उन्हें तत्काल बंदी बनाया जाए, यह मांग भी की गई ।