छिंदवाड़ा। राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय द्वारा एचडीएफसी बैंक में एफडी कराई गई थी. उन्होंने जब बैंक से एफडी वापस लेनी चाही तो मना कर दिया गया. इस मामले में कुलपति एमके श्रीवास्तव ने HDFC बैंक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए एसपी छिंदवाड़ा को पत्र लिखा है. बताया जाता है कि ऐसा उन्होंने अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा के मौखिक आदेश के बाद किया है. एफडी की राशि 32 करोड़ 6 लाख 26 हजार 854 रुपए है. कुलपति ने अपने पत्र में लिखा है कि बैंक मैनेजर ने इसी साल अधिक ब्याज और सुविधाओं का लाभ देने की बात कहकर और दबाव बनाकरअप्रैल माह में जीरो बैलेंस के 11 खाते खोले. फिर 5 व 6 मई को 50 करोड़ रुपए का अमाउंट जमा किया गया.
बैंक दे रहा नियमों का हवाला : इसी राशि में से 11 से 17 मई के बीच 10 एफडी 5.10 फीसदी ब्याज दर पर एक साल के लिए कराई गईं. 9 एफडी 5.45 फीसदी ब्याज दर पर तीन वर्ष और 6 एफडी 5.6 फीसदी ब्याज दर पर पांच साल के लिए कराई गईं. कुलपति का कहना है कि अनुबंध में इस बात का साफ जिक्र है कि जब राशि वापस मांगेंगे तो बैंक को देना होगी, लेकिन जब राशि वापसी के लिए पत्र लिखा तो बैंक मैनेजर ने इंकार कर दिया. विवि रजिस्ट्रार ने बताया कि छिंदवाड़ा शहर के पास करीब 5 एकड़ जमीन आवंटित की गई है. इस पर 4 जिलों के 2 लाख बच्चों को ध्यान में रखकर डिजिटल सिटी सेंटर बनाया जाना है. इसके लिए करीब 75 करोड़ रुपए की आवश्यकता है. इसलिए राशि वापस मांगी गई. वहीं बैंक का तर्क है कि विवि द्वारा नॉन विद ड्रा खाते में एफडी कराई गई है. इसे तय अवधि से पहले नहीं तोड़ा जा सकता.
विवि प्रशासन ने भी नियमों की दुहाई दी : वहीं, विवि ने अपने पत्र में बैंक के ही नियम का हवाला देते हुए लिखा कि आवश्यकता हो तो वैधानिक प्राधिकरण जोकि विवि का हिस्सा है तो निर्देशित करेगा तो एफडी तोड़कर पैसा वापस देना होगा. कुलपति ने आरोप लगाया है कि एचडीएफसी बैंक के क्लस्टर हेड ने घर में घुसने की कोशिश की. कुलपति एमके श्रीवास्तव ने बताया कि एचडीएफसी बैंक के क्लस्टर हेड जयंत तलरेजा उनके घर पहुंचे और बिना पूछे उनके घर का दरवाजा खोल रहे थे. उन्होंने कहा कि दफ्तर से संबंधित सभी बातें वे दफ्तर में ही जाकर करेंगे, लेकिन उन्होंने जबरदस्ती की।
बैंक अधिकारी पर गंभीर आरोप : क्लस्टर हेड की इस हरकत के बाद वे डरे सहमे हुए रात भर जागते रहे और उन्होंने फिर एसपी विवेक अग्रवाल को मैसेज किया, जिसके बाद कोतवाली पुलिस भी पहुंची. उन्होंने कहा कि मुझे एचडीएफसी बैंक के कर्मचारियों से सिर्फ मानसिक रूप से ही नहीं शारीरिक रूप से भी खतरा नजर आ रहा है. कुलपति का कहना है कि मुझे समझ नहीं आ रहा है इतना बड़ा बैंक क्या सिर्फ विश्वविद्यालय के पैसों के दम पर चल रहा है. आखिर वे अपने ग्राहक का पैसा क्यों नहीं देना चाह रहे हैं।