जबलपुर। ईओडब्ल्यू के शिकंजे में फंसकर जेल में बंद पूर्व बिशप पीसी सिंह के कारनामों का लगातार खुलासा हो रहा है। अब यह पता चला है कि पूर्व बिशप पीसी सिंह पद पर रहते हुए कटनी व दमोह के स्कूलों से भी हर साल पांच से 15 लाख रुपये तक लेता था यह रकम किसलिए ली जाती थी, यह जानकारी किसी को नहीं है पीसी सिंह की दहशत के कारण कोई इस संबंध में पूछताछ भी नहीं कर पाता था। यह जानकारी पुख्ता करने तथा पीसी सिंह के संबंध में और पतासाजी करने के लिए आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ की टीम ने बुधवार को कटनी के वाड्स्ले स्कूल के प्राचार्य अतुल अनुपम इब्राहिम और दमोह मिशन स्कूल के प्राचार्यो से ईओडब्ल्यू की टीम ने करीब पांच घंटे तक पूछताछ की।
बताया जा रहा है कि पूछताछ में प्राचार्यो ने ईओडब्ल्यू की टीम को हर साल उनके स्कूलों से बिशप पीसी सिंह द्वारा पांच से 15 लाख रुपये तक लिए जाने की बात बताई गई है। जांच में यह भी पता चला कि पीसी सिंह का स्कूल प्रबंधनों में खौफ था। उसके इशारे पर लोगों को नौकरी पर रखने और निकालने का खेल भी स्कूलों में जमकर खेला जाता था बताया जा रहा है कि पीसी सिंह द्वारा प्राचार्यों से ली गई रकम भी धार्मिक संस्थाओं को भेजने के साथ खुद के उपयोग में खर्च की जाती थी।
स्कूलों की रसीद जब्त, रकम का लेखा जोखा हो रहा तैयार-
जानकारी के अनुसार ईओडब्ल्यू की टीम पूर्व बिशप पीसी सिंह के अधिकार क्षेत्र वाले अब तक सात स्कूलों तक पहुंच चुकी है, जिसमें जबलपुर के सभी क्राइस्ट चर्च स्कूल के साथ साथ दमेाह और कटनी के स्कूल भी शामिल है जांच के दौरान वह रसीदें भी जब्त कर ली गई हैं, जिनके आधार पर स्कूल की रकम पीसी सिंह को दी जाती थी। सात स्कूलों में अब तक यह आंकड़ा कई लाखों में पहुंच गया है। दो अन्य स्कूलों की रसीद मिलने के बाद पूरा आंकलन किया जाएगा कि बिशप रहते हुए पीसी सिंह ने किस स्कूल से कितनी रकम ली और उसका क्या उपयोग किया।
बढ़ सकती हैं सुरेश जैकब की मुश्किलें-
बताया जा रहा है कि पीसी सिंह द्वारा स्कूलों से ली जाने वाली रकम कई बार अकाउंट में तथा कई बार बाउचर के माध्यम से ली जाती थी। यह रकम भेजने के लिए पीसी सिंह की ओर से उसका खास सुरेश जैकब स्कूलों को फरमान जारी करता था जिसमें यह लिखा होता था कि किस स्कूल को कितनी राशि भेजना है। इस जानकारी के आधार पर सुरेश जैकब की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। इधर ईओडब्ल्यू की टीम सुरेश जैकब की पूरी की पूरी कुंडली खंगाल रही है। उसने कब-कब किस स्कूल से कितनी रकम ली। उस रकम को कहां भेजा , यह भी पता लगाया जा रहा है।