ग्वालियर। हत्या के मामले में सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की एकल पीठ ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने हत्या रोपित की जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि चश्मदीद गवाह न्याय की आंख व कान हैं, इन्हें बंद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। हाई कोर्ट की एकल पीठ ने हत्या के आरोपित की जमानत याचिका खारिज करते हुए तल्ख टिप्पणी की है कोर्ट ने कहा कि अभियोजन ने सबसे पहले चश्चमीदद गवाहों का परीक्षण कराने की सूची नहीं दी है, एसी स्थिति में ट्रायल कोर्ट को चश्मदीदों को पहले बुलाना चाहिए। क्योंकि चश्मदीद गवाह न्याय व्यवस्था की आं व कान होते हैं। इन्हें बंद करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। आंख व कान बंद होने की स्थिति में न्याय व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट (जिला एवं सत्र न्यायालय) को दिशा निर्देश जारी किए हैं चश्मदीदों को गवाही पर बुलाने की पहले कार्रवाई की जाए। शंभू लोधी के खिलाफ शिवपुरी जिले के इंदर थाने में हत्या सहित अन्य धाराओं में केस दर्ज है। पुलिस ने उसे 16 नवंबर 2021 को गिरफ्तार कर लिया था। जब उसने पहली जमानत याचिका दायर की थी, कोर्ट ने उसे 5 मई 2022 को खारिज कर दिया। इसके बाद दूसरी बार लोधी ने जमानत याचिका दायर की। उसने याचिका में तर्क दिया कि अभियोजन ट्रायल को लेकर गंभीर नहीं है। जिन गवाहों को परीक्षण कराया जाना है, उन्हें नहीं बुलाया जा रहा है। शिवेंद्र व राकेश केवट केस मुख्य गवाह हैं, लेकिन उनकी गवाही कराने के लिए सूची में नाम नहीं दिया है। उसे जमानत दी जाए अभियोजन (पुलिस) की ओर से तर्क दिया गया कि इन्हें वारंट जारी कर 13 अक्टूबर तक बुलाया जाएगा। जल्द गवाही की जाएगी। कोर्ट ने कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि गवाह कोर्ट की अांख व कान होते हैं। आजकल देखने में मिल रहा है कि चश्ममदीद गवाहों के परीक्षण में देरी हो रही है चश्मदीदों का परीक्षण में देर न्याय व्यवस्था के हित में नहीं है। कोर्ट यह समझने में असमर्थ है कि लोक अभियोजक ने चश्मदीद गवाहों को गवाही कराने से क्यों रोक रहे हैं। उन्हें वरीयता नहीं दी जा रही है। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को यह हैं निर्देश
- ट्रायल कोर्ट को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चश्मदीदों की जल्द से जल्द परीक्षण कराया जाए।
-लोक अभियोजक व बचाव पक्ष की कोई भी प्रार्थना हो। जो उपरोक्त दिशा निर्देशों के विपरीत है। विचारण न्यायालय को उसे स्वीकार नहीं करना चाहिए।
- यदि लोक अभियोजक ने चश्मदीद गवाहों को नहीं बुलाया है तो ट्रायल कोर्ट को चश्मदीद गवाहों को बुलाकर गवाही शुरू करना चाहिए।
- यदि गवाह उपस्थित हो गया है। बचाव पक्ष का वकील न अाया है तो मुख परीक्षण का कार्य कराया जाना चाहिए।