कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी
ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम के द्वारा समाज को अपने कर्म से संदेश देते हुए अपना सर्वस्व समर्पण करने वाले त्यागी जी महाराज ने गणेश जी की स्थापना से पूर्व आव्हान किया समूचे विश्व के भक्तों से आपने आग्रह करते हुए कहा कि गणेश जी की कार्य शैली को अपनाये कर्तव्यनिष्ठ ,विध्न विनाशक,तपस्वी,बुद्धि और बल देने वाले माता, पिता ,गुरू के प्रति सहृदय समर्पित रहे भगवान गणपति इन्हे हम हृदय से पूजे बहुत अच्छा है किन्तु इनके गुणों को गाने के साथ आचरण में लाना होगा।
सबसे पहले पूजा भगवान गणपति की
यू ही कोई पूजनीय नहीं हो जाता बाधाऔ से लङना होता है स्वयं को आहूत करना होता है तब कही लेश मात्र सम्मान मिलता है यह भी संकेत दिया कि भले ही आप भगवान् भोले बाबा की माता पार्वती की संतान क्यो न हो आपको अपने जीवन की उपस्थिति को सार्थकता के साथ आचरण मे दिखना भी परम आवश्यक है भगवान् की संतान होना ही सब कुछ नहीं है जब आप योग्य होते है तो भगवान् भी पूजते है आपको यह भी गणेश जी की स्थापना से सीखना चाहिए।
*मिट्टी के नहीं मिट्टी के कण कण में है भगवान्*
स्थापना विसर्जन के साथ ही उनकी प्रतिमा के निर्माण और पूजा पद्धति का भी ध्यान रखना होगा अन्यथा लोग अपने आनंद के लिए गंदे गाने बजाकर धर्म को नष्ट कर ही रहे हैं देश की मिट्टी से सबसे छोटी प्रतिमा स्थापित करें चूंकि गणेश जी हमारे हृदय में विराजमान हैं मिट्टी से बने गणेश जी तो हमारे अंदर जागरण के लिए समर्पित है लोगो को देख कर भक्ति और देशभक्ति दोनो जागती है यही कारण है कि भारत की माटी मे यह विशेषता है कि वह मिटटी में भी भगवान् खोज लेते हैं।
माताऔ बहन बेटियों की सुरक्षा सहित अपने आप पर भी अंकुश लगाये भूल कर भी भूल न हो ऐसा प्रयास करें तभी हम गणेश जी पूजा और महत्व को समाज तक पहुंचा सकते हैं अन्यथा फिजूलखर्ची और आडंबर ही परोसते रहे तो कोई मतलब नहीं होगा।
*(सेवार्थ* )
*कर्मयोगी प्रकृति पुत्र त्यागी जी
ज्ञान तीर्थ स्वर्ग धाम विलायत कला कटनी मध्य प्रदेश भारत
7566239315