यूपी में लाचार स्वास्थ्य का मामला आया सामने: टॉर्च की रोशनी में इलाज कराने को मजबूर हैं मरीज
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बलिया से एक ऐसी खबर आ रही है जो योगी सरकार के बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के तमाम दावों की पोल खोलती है. दरअसल, मामला बलिया के जिला अस्पताल का है. जहां मरीज मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में इलाज कराने को मजबूर हैं। बलिया के जिला अस्पताल का यह वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इस वीडियो में दिख रहा है कि किस तरह से एक महिला जो जिला अस्पताल में इलाज के लिए आई है, डॉक्टर उसकी जांच टॉर्च की रोशनी में कर रहे हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद जिला अस्पताल के प्रभारी मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर आर डी राम का बयान भी सामने आया है। उन्होंने अपने बयान में कहा कि शनिवार को बारिश की वजह से बिजली चली गई थी। अस्पताल में जनरेटर तो है लेकिन उसे चालू करने के लिए बैटरी की जरूरत होती है और बैटरी जनरेटर के पास नहीं रखा जाता है, क्योंकि यहां बैटरी के चोरी होने का खतरा रहता है। लिहाजा बैटरी को दूसरी जगह से जनरेटर तक लेकर आने में समय लग गया। जब तक बैटरी लगाया गया तब तक लाइट आ गई थी। बता दें कि बिजली ना होने की स्थिति में मरीजों का इलाज मोबाइल फोन के टॉर्च की रोशनी में करने का यह कोई पहला मामला नहीं है। कुछ दिन पहले ही झारखंड के हजारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड के आराभुसाई पंचायत के ग्राम महूंगाय निवासी सागर कुमार यादव (22 साल) को वज्रपात का झटका लगा था। उनको ट्रामा सेंटर के इमरजेंसी वार्ड में लाया गया था और उनका ईसीजी मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में किया गया था। घटना का वीडियो वायरल होने के बाद इसको लेकर विवाद शुरू हो गया था। हजारीबाग जिला प्रशासन ने वायरल वीडियो के संबंध में जांच करने के लिए एक समिति का गठन किया था। वीडियो में दिखाया गया था कि हजारीबाग मेडिकल कॉलेज और अस्पताल (ऌटउऌ) में बिजली की चपेट में आए एक व्यक्ति का कथित तौर पर मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में इलाज किया गया। बिजली कटौती के दौरान इस तरह से इलाज किया ग?ा। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने इस आरोप से इनकार किया था कि मरीज का मोबाइल फोन की टॉर्च की रोशनी में किया जा रहा था। उसने इसे झूठा करार दिया है।