सीहोर। जिला मुख्यालय पर 15 अगस्त के दिन एक तहसीलदार नरेन्द्र ठाकुर और पटवारी महेन्द्र रजक बह गए थे. इसमें पटवारी का शव दो दिन के बाद मिल गया था, लेकिन तहसीलदार का शव एक सप्ताह की तलाश के बाद ही मिल सका था. जिसका परिजनों की शिनाख्त पर अंतिम संस्कार किया गया. कुछ दिनों बाद एक और शव मिला, जिसका भी अंतिम संस्कार किया गया. अब एक ही व्यक्ति के दो शवों का अंतिम संस्कार हो चुका है, अब मामला चर्चा का विषय बना हुआ है.
सीवन नदी में में मिला शव: 15 अगस्त का घटित हुई इस घटना में करीब एक सप्ताह के जो शव मिला था उसकी पहचान मुश्किल थी. तहसीलदार के परिवार को बुलाया गया था. परिवार ने कद काठी देखकर शिनाख्त की थी. अंतिम संस्कार भी कर दिया गया था. परिवार इस दर्द से धीरे - धीरे उबर ही रहा था तभी उन्हें 15 दिन बाद पता चला कि सीवन नदी में एक शव मिला है. गले में सोने की चेन थी और लॉकेट इसी आधार पर उन्होंने चेन तहसीलदार की बताई, लेकिन ये शव पुलिस लावारिस बताकर दफना चुकी थी. परिवार की अर्जी पर शव को कब्र से निकाला गया. बेटे ने शिनाख्त तहसीलदार के रूप में की. 16 सितंबर को इस शव का विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया गया.
तहसीलदार का शव होने की आशंका: सीवन नदी में 15 अगस्त की रात तहसीलदार नरेंद्र सिंह ठाकुर और पटवारी कार समेत बह गए थे. 2 दिन बाद पटवारी का शव तो मिल गया, लेकिन तहसीलदार की तलाश 9 दिन तक चलती रही. इस बीच सीहोर पुलिस को 330 किलोमीटर दूर श्योपुर जिले की पार्वती नदी में एक शव मिलने की सूचना दी गई. यह शव 20 अगस्त को ही मिल गया था. जिसे बड़ौद पुलिस ने दफना दिया था, लेकिन तहसीलदार का शव होने की आशंका पर इसे फिर से निकाला गया. सीहोर के मंडी थाना प्रभारी ने बताया कि यह शव तहसीलदार नरेंद्र ठाकुर का है. 25 अगस्त को सीहोर लाकर परिवार की मौजूदगी में शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया. इसके साथ ही डेथ सर्टिफिकेट भी जारी हो गया.
मिला एक और शव: 10 सितंबर को सीवन नदी में एक शव और मिला. पुलिस ने इसे लावारिस बताकर दफना दिया. शव के गले में सोने की चेन मिलने की जानकारी पता चली तो तहसीलदार के परिजन थाने पहुंचे और शव की शिनाख्त दोबारा करने का दबाव बनाया. शव के साथ मिली चेन और टी- शर्ट के आधार पर तहसीलदार के बेटे ने उसकी पहचान अपने पिता के रूप में की. शव को कब्र से निकाला गया और फिर अंतिम संस्कार किया गया।