हजार वाहनों की पार्किंग पर दुकाने बनाकर बेची
इंदौर। सबसे बड़ा क्षेत्र फल, सबसे ज्यादा 1500 दुकानों से हर साल 7 हजार करोड़ का टर्न ओवर होने से पूरे प्रदेश में दवा का सबसे बड़ा बाजार पूरे क्षेत्र के लिए मुसीबत कर बन गया है। दवा बाजार के बिल्डर ने तलघर में १५० से अधिक दुकानें निकालकर बेच दी है। इस दवा बाजार के अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए नगर निगम ने बड़ी कार्रवाई करने की तैयारीकी थी परंतु दवा बाजार के निर्माता योगेंद्र जैन ने पंद्रह साल पहले उच्च न्यायालय से स्थगन ले लिया था। तब से नगर निगम ने आज तक इसे खारिज कराने का कोई प्रयास नहीं किया है
दवा बाजार को लेकर दी गई रिपोर्ठ में बताया गया था कि इसमे तलघर में सरकारी जमीन भी बेच दी गई है। आज इंदौर में सबसे बड़ा अवैध निर्माण नगर निगम और प्रशासन को धत्ता दिखाकर खड़ा हुआ है। दूसरी ओर छोटे छोटे निर्माण उच्च न्यायालय के आदेश से तोड़े जा रहे हैं। यहां की सबसे बड़ी समस्या पार्किंग बन गई है। सारे दुकानदार अपने वाहन सड़कों पर ही खड़े कर रहे हैं। जबकि यहां पर मेंटेनेंस के नाम पर लोडिंग अनलोडिंग वाहनो से अवैध वसूली करने के बाद भी न तो सुरक्षा गार्ड है ओर न ही सीसीटीवी कैमरे।
प्रदेश के सबसे बड़े दवा बाजार में कहने की तो 1500 दुकाने है। मगर दवाओं का व्यापार इससे भी कई ज्यादा दुकानों से किया जाता है। यही कारण है कि यह रोजाना चार से पांच हजार लोगों का आना जाना लगा रहता है। ऐसे में यहां से दवा का व्यापार सालाना लगभग 7 हजार करोड़ का टर्न ओवर होना बताया जाता है। जबकि दवा बाजार की 6 मंजिला भवन में अन्य कार्यालय और कोचिंग क्लासेस भी संचालित की जाती हैं। बावजूद इसके प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले बाजार में न तो वाहन सुरक्षित है और न ही व्यापारी। यहां के एक व्यापारी से जब टीम दोपहर ने चर्चा की तो नाम न छापने की शर्त पर कुछ व्यापारियों ने बताया कि यहां सुरक्षा के नाम पर सीसीटीवी कैमरे है ओर न ही सिक्योरिटी गार्ड। यही कारण है कि पूरे दवा बाजार से रोजाना एक गाड़ी चोरी हो ही जाती है। अब तो थाने वाले भी रिपोर्ट नही लिखते है।
उनका रिकॉर्ड खराब होने का डर रहता है। इतना ही नही पार्किंग में कई साल पुुराने वाहन भी लोगों ने यहां-वहां पटक रखे हैं। पार्किंग स्थल पर दुकानदारों का काफी सामान पड़ा रहता है। इतना ही नही बेतरतीब खड़े वाहनो के बीच से पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में किसी भी इमरजेंसी के दौरान यहां राहत पहुंचना मुश्किल हो जाता है। एक व्यपारी ने बताया कि चार पांच साल पहले यहां आग लग गई थी उस समय भी पार्किंग सबसे बड़ी बाधा के रूप में सामने आई थी। दमकल की गाड़ी तो दूर दमकलकर्मियों को भी अंदर जाने में काफी परेशानी आई थी। बाजार के बेसमेंट में दवा छोटे बड़े कई बक्से और बड़े पैकेट से कब्जा जमा लेने के बाद बची जगह पर भी छोटी- छोटी दुकानें संचालित हो रही हैं।