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मैहर विधायक नारायण त्रिपाठी ने अपनी ही सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा, अवैध खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग

Thursday, September 1, 2022

/ by Today Warta



सतना। मैहर से बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी बीजेपी सरकार और संगठन के लिए आए दिन एक नया सवाल लेकर खड़े हो जाते हैं. इस बार भी उन्होंने ऐसा ही कुछ किया है. नारायण त्रिपाठी ने चुनाव के साल भर पहले सतना जिले के रामायणकालीन सिध्दा पहाड़ को खनन मुक्त क्षेत्र घोषित करने की मांग उठाई है. उन्होंने मांग की है कि यहां भगवान राम की स्मृतियों को सुरक्षित किया जाना चाहिए. इसे लेकर विधायक ने सीएम शिवराज को चिट्ठी लिखते हुए यह अल्टीमेटम दिया है कि सरकार ने अगर तत्काल इसे खनन मुक्त क्षेत्र घोषित नहीं किया गया तो वे सतना से सरभंगा आश्रम सिद्धा पहाड़ तक पदयात्रा कर इसका विरोध करेंगे.

CM को चिट्ठी लिख दिया अल्टीमेटम:

बीजेपी विधायक नारायण त्रिपाठी ने सीएम शिवराज को लिखी इस चिट्ठी में कहा है कि भगवान राम के वनगमन पथ परियोजना के बावजूद सतना जिले के सिद्धा पहाड़ पर खनन अनुमति देने की प्रक्रिया जारी है. इसे रोका जाना चाहिए और इस क्षेत्र को खनन मुक्त घोषित क्या जाना चाहिए. विधायक ने चिट्ठी में धार्मिक प्रसंगों का हवाला देते हुए लिखा है कि भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ, लेकिन वनवास में उनकी अधिकांश लीलाएं चित्रकूट में ही हुईं. श्री रामचरित मानस के अरण्य कांड का उल्लेख करते हुए उन्होने लिखा कि भगवान राम जब चित्रकूट से आगे की ओर बढ़े तो सिद्धा पहाड़ मिला यह पहाड़ अस्थियों से बना था तब राम को ऋषि-मुनियों ने बताया कि यहां राक्षस कई साधु संतो व ऋषि मुनियों को खा गए हैं यह उन्ही की अस्थियों से बना पहाड़ है. इसी पहाड़ पर भगवान राम ने राक्षसों के विनाश की प्रतिज्ञा ली थी.

खनन नहीं रुका तो पैदल मार्च: नारायण त्रिपाठी ने चिट्ठी में लिखा है कि मौजूदा हालात बताने के लिए उन्होंने मुख्यमंत्री से समय भी मांगा. लेकिन नहीं मिला. उन्होंने कहा कि अब मैनें सीएम शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखा है. इसके जरिए में सरकार से यह मांग करता हूं कि जनआस्था के इस मामले में तुरंत फैसला लेकर खनन की प्रक्रिया को तत्काल रोका जाए. उन्होंने कहा है कि अगर तुरंत कार्रवाई नहीं हुई तो वे साधू संतों और राम भक्तों के साथ खनन के विरोध में मार्च निकालेंगे. बीजेपी विधायक ने सरकार को किसी मुद्दे को उठाते हुए चेतावनी दी हो, वे इससे पहले भी अलग विंध्य प्रदेश की मांग उठाकर सुर्खियों में रहते हुए सरकार की मुश्किलें बढ़ा चुके हैं।

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