मलैया ने दिया था भाजपा को झटकाः दरअसल 2018 के विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही पूर्व वित्त मंत्री एवं पार्टी के कद्दावर नेता जयंत कुमार मलैया उपेक्षित चल रहे थे. उनकी यह उपेक्षा उस समय और भी अधिक बढ़ गई जब भाजपा ने कांग्रेस से त्यागपत्र देकर पार्टी में शामिल हुए राहुल सिंह लोधी को अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया. इसके बाद से लगातार ही मलैया परिवार और भाजपा में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा था. जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ मलैया द्वारा पिछले महीनों निकाली गई पदयात्रा को भी भाजपा ने उसे उनकी निजी यात्रा बताते हुए कन्नी काट ली थी. इसके कुछ ही समय बाद उन्होंने पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा के विरुद्ध निकाय चुनाव के 34 वार्डों में अपने प्रत्याशी खड़े कर दिए थे. भाजपा यह झटका सहन नहीं कर पायी थी. इसके चलते भाजपा को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था. जिला पंचायत चुनाव में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. लिहाजा दोनों ही सीटों पर कांग्रेस ने अपना कब्जा जमा रखा है।
भाजपा ने की किसानों को जोड़ने की पहलः भाजपा ने किसानों को जोड़ने के लिए जिले में प्राकृतिक खेती नाम से पद यात्रा शुरू की है. इसमें जयंत मलैया भी सक्रिय नजर आए. 2 दिन पूर्व जब भाजपा ने जिले में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए यात्रा निकालने से संबंधित एक बैठक आयोजित की थी, तो उसने संभागीय प्रभारी मुकेश चतुर्वेदी ने जयंत मलैया के साथ लंबी मंत्रणा की थी. तभी यह बात समझ में आने लगी कि जयंत मलैया को साधने का काम भाजपा कर रही है. दूसरे ही दिन इसका प्रमाण भी दिखाई दिया जयंत मलैया ने भाजपा की पद यात्रा को हरी झंडी दिखाकर सिद्ध क्षेत्र लक्ष्मण कुटी धाम से रवाना किया. ऐसे में भला पूर्व कृषि मंत्री रामकृष्ण कुसमरिया कहां पीछे रहने वाले थे. वह भी मलैया के साथ हो गए और रथ को रवाना करवाया. मलैया गुट के ही कुर्मी समाज के बड़े नेता तथा पथरिया की पूर्व विधायक लखन पटेल भी उसमें शामिल हो गए।