जबलपुर। हाई कोर्ट ने डीएवी पब्लिक स्कूल की एडवाइजरी पत्र के विरुद्ध दायर याचिका निरस्त कर दी। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपने आदेश में साफ किया कि स्कूल द्वारा जारी एडवाइजरी-पत्र दंडात्मक नहीं था। इसलिए उसके आधार पर दायर याचिका सुनवाई योग्य न पाते हुए निरस्त की जाती है। मामले की सुनवाई के दौरान डीएवी पब्लिक स्कूल, मलाजखंड, बालाघाट का पक्ष अधिवक्ता मनोज कुशवाहा ने रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिका मनमानी है और सुनवाई योग्य नहीं है। स्कूल के पूर्व टीजीटी शिक्षक शशि भूषण पांडे ने यह याचिका दायर की है। इसके जरिए स्कूल द्वारा जारी एडवाइजरी को कठघरे में रखा गया है। दरअसल, स्कूल मैनेजमेंट व सीबीएसई को कुछ पत्र भेजे थे, जिनके आधार पर स्कूल ने एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें मूलत: यही दिशा-निर्देश दिया गया था कि बच्चों को पढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाए उनकी पढ़ाई का स्तर सुधारा जाए। इस सिलसिले में अनावश्यक पत्राचार न किया जाए। एक स्कूल को इस तरह की एडवाइजरी जारी करने का पूरा अधिकार है। लिहाजा, उसकी वैधानिकता को याचिका के जरिए चुनौती देने का रवैया अनुचित है। हाई कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याचिका निरस्त कर दी।