भोपाल (राज्य ब्यूरो)। भोपाल, इंदौर और रीवा के सरकारी मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में कैंसर रोगियों की सिकाई के लिए लीनियर एक्सीलेरेटर मशीनें अगले वर्ष मई के पहले लग जाएंगी। पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) से यह सुविधा शुरू की जा रही है। मशीनें स्थापित करने के लिए चार कंपनियों ने रुचि दिखाई है निविदा इसी महीने खुलने जा रही है। कंपनी का चयन होने के बाद मशीन स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू होगी। बंकर बनाने और अनुमति लेने में करीब छह महीने लग जाएंगे ग्वालियर और जबलपुर में कैंसर अस्पताल होने से सरकार खुद यह सुविधा शुरू करेगी। बता दें कि करीब तीन साल से मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में पीपीपी से यह मशीनें लगाने की तैयारी चल रही थी। विशेषज्ञों की राय लेने के बाद टेंडर जारी किए गए। निविदा के पहले हुई बैठक में चार कंपनियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे।
संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि इसी माह निविदा खुलने के साथ ही पीपीपी से मशीन लगाने के लिए कंपनी तय हो जाएगी। इसके बाद सुविधा शुरू होने में छह से सात महीने लग जाएंगे।अधिकारियों ने बताया कि पीपीपी से कैंसर की सिकाई बाजार दर से करीब 70 प्रतिशत कम शुल्क पर हो जाएगी। हालांकि, अंतिम रूप से दरें निविदा खुलने के बाद ही पता चल सकेंगी। जबलपुर मेें स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट और ग्वालियर में कैंसर का टर्सरी केयर सेंटर है। यहां मरीजों की संख्या ज्यादा रहेगी, इसलिए प्रदेश सरकार खुद मशीनें लगाने जा रही है। इसकी भी प्रक्रिया शुरू हो गई है। बता दें कि विभिन्न् तरह के कैंसर की सिकाई में शुल्क अलग-अलग है। 20 हजार रुपये से लेकर अधिकतम डेढ़ लाख रुपये तक खर्च आता है। आयुष्मान भारत योजना के मरीजों की निजी अस्पतालों में निश्शुल्क सिकाई हो जाती है, लेकिन गैर आयुष्मान मरीजों के लिए इतना खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है।