उमरिया निवासी सावित्री सिंह धुर्वे की ओर से दायर की गई थी याचिका
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक प्रत्याशी के विरुद्ध स्वयं थाने जाकर एफआइआर दर्ज कराने के मामले में आइएएस संजीव श्रीवास्तव से जवाब-तलब कर लिया है। मामला जिला पंचायत चुनाव के समय हुए घटनाक्रम से संबंधित है। न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता उमरिया निवासी सावित्री सिंह धुर्वे की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता जिला पंचायत, उमरिया के चुनाव में अध्यक्ष पद की प्रत्याशी थी। याचिकाकर्ता व उसकी प्रतिद्वंद्वी को समान रूप से पांच-पांच मत मिले। लिहाजा, परिणाम के लिए पर्ची डाली गई। याचिकाकर्ता का आरोप है कि आइएएस संजीव श्रीवास्तव उस समय उमरिया कलेक्टर व निर्वाचन अधिकारी थे, जिन्होंने सत्तारूढ़ दल के नेता के दबाव में पक्षपात करते हुए पर्ची बदल दी। इस रवैये के विरुद्ध याचिकाकर्ता ने अविलंब लिखित शिकायत प्रस्तुत कर दी। इस पर कलेक्टर श्रीवास्तव ने अभद्र व्यवहार शुरू कर दिया, जिसकी शिकायत भी उसी दिन थाने में की गई, किंतु पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। एसपी उमरिया को भी उसी दिन लिखित शिकायत सौंपी गई, पर कार्रवाई नहीं हुई।
कलेक्टर की शिकायत पर दर्ज हो गई एफआइआर
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने आश्चर्य जताते हुए दलील दी कि जहां एक ओर जिसके साथ वास्तव में अभद्रता हुई, उसकी शिकायत को पुलिस ने दरकिनार कर दिया, वहीं दूसरी ओर अगले दिन जैसे ही कलेक्टर थाने पहुंचे उनकी शिकायत पर याचिकाकर्ता के विरुद्ध एफआइआर दर्ज कर ली गई।कलेक्टर को जैसे ही भनक लगी कि याचिकाकर्ता थाने पहुंची थी, उन्होंने अपने बचाव में काउंटर ब्लास्ट की नीति अपनाते हुए एफआइआर का तरीका अपनाया। इसी को चुनौती देने हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है। मूल मांग यही है कि एफआइआर दुर्भावनापूर्ण होने के कारण निरस्त की जाए। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इस तरह के मामले में सीधे कलेक्टर को थाने जाकर व्यक्तिगत रूप से एफआइआर दर्ज नहीं करानी थी। किसी मातहत कर्मचारी से यह प्रक्रिया पूरी करानी थी। इसके अलावा मौके पर मौजूद टीआइ को भी इस सिलसिले में निर्देशित किया जा सकता था। किंतु ऐसा नहीं किया गया। इससे साफ है कि दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की गई है।