सिंगरौली निवासी राजेंद्र प्रसाद वर्मा की ओर से दायर की गई थी याचिका
जबलपुर। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक याचिका का इस निर्देश के साथ पटाक्षेप कर दिया कि याचिकाकर्ता को विगत 28 वर्ष से संबंधित सभी पूर्व लाभों (बैकवेजेस) सहित नियुक्ति प्रदान जाए। इसके लिए एनसीएल को 60 दिन की मोहलत दी गई है। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता सिंगरौली निवासी राजेंद्र प्रसाद वर्मा की ओर से अधिवक्ता अरविंद पाठक ने पक्ष रखा उन्होंने दलील दी कि एनसीएल ने 1982 में याचिकाकर्ता की जमीन अधिग्रहीत की थी। इसके बदले मुआवजा दिया गया, साथ ही सेवा में भी रखा गया। एनसीएल ने 1994 में नियुक्ति पत्र तो जारी कर दिया, किंतु उसे अब तक काम करने से वंचित रखा गया इससे पहले वर्ष 2009 में भी हाई कोर्ट ने निर्देश दिए थे, लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो 2011 में पुन: याचिका दायर की गई एनसीएल की ओर से पहले तर्क दिया गया कि अधिग्रहीत की गई जमीन में याचिकाकर्ता का नाम बाद में जोड़ा गया। इस पर याचिकाकर्ता ने एनसीएल का मुआवजा और नियुक्ति पत्र कोर्ट में प्रस्तुत किया। बाद में एनसीएल ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विजिलेंस में मामला लंबित है याचिकाकर्ता की ओर से वो दस्तावेज भी पेश किया, जिसमें विजिलेंस का कोई मामला नहीं पाया गया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि इतने सालों में एनसीएल के अधिकारियों ने यह नहीं किया कि याचिकाकर्ता को नियुक्ति दिलाएं। कोर्ट ने 60 दिन के भीतर नियुक्ति पत्र के आधार पर नियुक्ति देने के आदेश दिए।