राजगढ़ से बीपी गोस्वामी
राजगढ़। मध्य प्रदेश सरकार में राजगढ़ जिला लगातार भ्रष्ट सिस्टम में ढलता हुआ आगे बढ़ता जा रहा है।देखा जाए तो विपक्ष भी सिर्फ वोट बैंक से जुड़े मामले में ही कुछ कदम उठाते नजर आते हे। ऐसे में जिले में आम लोग कितने परेशान हैं इसका अंदाजा न अधिकारी को और न नेताओ को सिर्फ इसकी पीड़ा वही लोग बता सकते हे जिन्होंने शासन की योजनाओ में पहले पैसा लगाकर कर्ज ले लिया हो।
हितेषी कूप में सामग्री की राशि एक साल से अधिक हो जाने के बाद हितग्राही को प्राप्त नहीं
जिले में किसी एक जनपद पंचायत का मामला नहीं जिसमे लोगो को काम करने के तुरंत बाद सामग्री की राशि जारी की गई हो, हा कुछ मामलो में देखे तो हितेषी कूप के कुछ हितग्राही जिनकी राजनीतिक पार्टी के लोगो से सांठगांठ हो उनकी राशि जरूर खाते तक पहुंच गई लेकिन ऐसे हितग्राही जिन्होंने कुछ पैसा काम करवाने के लिए सरपंच सचिव को दिए और काम भी करवा दिया काम करते समय मनरेगा योजना में जॉब कार्ड के माध्यम से मजदूरी की राशि जरूर कुछ ही समय बाद प्राप्त हो गई लेकिन सामग्री की राशि के लिए लोग अब जिला पंचायत अध्यक्ष के पास गुहार लगाने पहुंच रहे हे।
मनरेगा योजना ने बिगाड़ा आम आदमी का गणित
पैसा आखिर पैसा होता है सरकार उसे अच्छे तरीके से लोगो को दे या अन्य तरीके से लेकिन मनरेगा योजना से देश में काला धन चरम सीमा पर है।पंचायत विभाग में अगर मनरेगा योजना बंद कर दी जाए तो सरपंच उम्मीदवारी के लिए लाखो करोड़ों खर्च करने वाले प्रत्याशी कभी इस उम्मीदवारी के लिए नामांकन दाखिल नहीं करेंगे सिर्फ वही लोग चुनाव लड़ सकेंगे जो वास्तविक जन सेवक हो।लेकिन मनरेगा के कारण जॉब कार्ड के जरिए लोगो को रोजगार देने का जिक्र हो जाता हे और मौके पर 198 रूपए प्रतिदिन में कोई मजदूरी नहीं करता ऐसे सरपंच सचिव बिना मजदूरी करने वाले लोगो के जॉब कार्ड किसी मनरेगा कार्य में लगा देते हे और उसी राशि को कुछ पैसे देकर आजकल जारी कियोस्क सेंटर से निकाल लिया जाता है ऐसे में बिना मजदूरी करने वाले व्यक्ति को भी बिना मेहनत मुनाफा और सरपंच साहब को भी लेकिन सामग्री की जो राशि प्राप्त होती है वह बड़ी विलंब से पहुंचती है ऐसे में जानकर लोग मनरेगा योजना में कार्य घटिया स्तर पर ही करवाते हुए विकास का एक नया नाम देते है।देखा जाए तो राजगढ़ जिले में अभी तक बढ़ते भ्रष्टाचार को लेकर कोई सख्ती सामने नहीं आई। भाजपा के प्रतिष्ठित नेता गण भी इस सिस्टम के सामने नतमस्तक दिखाई देते है तो कांग्रेस के नेता सिर्फ अपना काम निकलवाने में अधिकारियों से काफी मिठास वाले संबध बजाए हुए हैं। इसमें नुकसान किसी का नही सिर्फ आम आदमी का हलवा बन रहा है जो वह किसी पर कोई आरोप लगाता नहीं नजर आता बल्कि सिस्टम से भरोसा ही खो चुका है।