सागर। फर्जी दस्तावेज के आधार पर सेना भर्ती में नौकरी पाने वाले आरोपितों को द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश शिव बालक साहू की अदालत ने दोषी करार देते हुए 10-10 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपितों पर अर्थदंड भी लगाया है। मामले की पैरवी अपर लोक अभियोजक आशीष चतुर्वेदी द्वारा की गई। जिला अभियोजन के मीडिया प्रभारी सौरभ डिम्हा द्वारा बताया गया कि दिनांक 14 जुलाई 2016 को सूबेदार कानसिंह राजपूत ने थाना कैंट में एक शिकायत आवेदन पेश किया कि मुकेश कुमार, मंदीप सिंह, अजय और लोकेश कुमार द्वारा फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर आर्मी में नौकरी प्राप्त की गई है। आवेदन के आधार पर थाना कैंट में अपराध पंजीबद्ध किया गया। विवेचना के दौरान सूबेदार कान सिह, साक्षी लखविंदर सिंह, राकेश मौर्य के कथन लिए गए जिसमें यह पाया गया कि आरोपितों द्वारा फर्जी दस्तावेज रहदारी फार्म, मेडीकल सर्टिफिकेट प्रस्तुत कर महार रेजीमेंट में भर्ती होने का प्रयास किया गया।
दिल्ली से बनवाए थे प्रमाण पत्र
यह फर्जी दस्तावेज आरोपितों ने दिल्ली स्टेशन से प्राप्त कर सागर महार रेजीमेंट में पेश किए आरोपित गिरीराज से भी पूछताछ की गई जिसमें उसने बताया कि दिनांक 24 जून 2016 को रेलवे स्टेशन दिल्ली में आरोपित जो मेरे रिश्तेदार है, जिनसे आर्मी में भर्ती के लिए 5-5 लाख रूपए लिए थे एवं रहदारी फार्म, मेडीकल फार्म लेकर महार रेजीमेंट में आमद देने भेजा था। उसने जो पैसा इन आरोपितों से लिया था वह अपने निजी उपयोग में खर्च कर लिया। विवेचना के दौरान आरोपित के कूटरचित रहदारी फार्म प्राइमरी मेडीकल एक्जामिनेशन फार्म जब्त किए गए जिनका मिलान सेना द्वारा दिए गए असली रहदारी प्रमाण-पत्र एवं मेडीकल फार्म से किया गया तो आरोपितों द्वारा दिए दस्तावेज फर्जी निकले।
दिल्ली कैंट ने दी सेना में चयनित न होने की सूचना
आरोपित के संबंध में पत्र व्यवहार कर आइआरओ दिल्ली कैंट 10 से जानकारी प्राप्त की गई, जिनमें आरोपित का किसी प्रकार का चयन सेना में नहीं किए जाने संबंधी लिखित जानकारी पत्र के माध्यम से प्राप्त हई थी। आरोपितों द्वारा प्रस्तुत रहदारी फार्म मेडीकल एक्जामिनेशन फार्म का फर्जी होना बताया गया जिसके आधार पर उनके विरूद्ध भादवि की धारा-420, 467,468,471,120बी का चालान न्यायालय में पेश किया गया। द्वितीय अपर सत्र न्यायधीश की न्यायालय ने उनको भा.द.वि. की धारा 420 में 2 वर्ष का सश्रम कारावास व एक हजार जुर्माना, धारा- 467 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड, धारा- 468 में पांच वर्ष का सश्रम कारावास एवं तीन हजार अर्थदंड, धारा- 471 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व पांच हजार अर्थदंड की सजा से दंडित किया।