भोपाल (राज्य ब्यूरो)। मध्य प्रदेश में बाघों की मौत, बांधवगढ; और पेंच टाइगर रिजर्व में करोड़ों की अवैध टाइगर सफारी निर्माण के सात साल पुराने प्रकरण की अब जांच होगी। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने वन्य जीव विशेषज्ञ अजय दुबे की याचिका पर सुनवाई करते हुए जांच के आदेश दिए हैं। इस केस की पैरवी एडवोकेट आदित्य सांघी ने की। वर्ष 2015 में मध्य प्रदेश के वन विभाग की संस्था मप्र इको टूरिज्म बोर्ड ने वाइल्ड लाइफ एक्ट के तहत नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथारिटी और सेंट्रल जू अथारिटी की अनुमति के बिना पेंच टाइगर रिजर्व और बांधवगढ; टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्र में करीब सात करोड़ रुपए की अवैध टाइगर सफारी का निर्माण कार्य किया था जिसके कारण साथ बाघों की मौत हो गई थी।
अजय दुबे ने वर्ष 2016 में मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर वन विभाग के तत्कालीन अपर मुख्य सचिव एपी श्रीवास्तव तथा इको टूरिज्म बोर्ड के तत्कालीन सीईओ विनय बर्मन को दोषी बताते हुए इस मामले में जांच की मांग की थी। अजय दुबे ने बताया कि हाई कोर्ट के समक्ष मप्र सरकार ने एनटीसीए की रिपोर्ट पर कार्यवाही का वचन दिया था। हाईकोर्ट ने याचिका स्वीकार कर आदेश किया है कि राज्य सरकार को एपी श्रीवास्तव और विनय बर्मन के विरुद्ध अपराधिक/विभागीय जांच के लिए परीक्षण कर कार्यवाही की जाए।