जबलपुर। मध्य प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कि मध्य प्रदेश के इतिहास में विधानसभा पांच बार 12 घंटे से ज्यादा चली। इसी पांच में हमारा कार्यकाल भी शामिल है और हमने 16 घंटे तक विधानसभा चलाई। विधानसभा अध्यक्ष ने यह भी कहा कि अपनी भूमिका निभाकर प्रतिपक्ष सत्तापक्ष को जवाबदेह व जिम्मेदार बनने मजबूर कर सकता है विधानसभा अध्यक्ष से हुई बातचीत के मुख्य अंश...
सवाल-विधानसभा सत्र कैसा रहा, क्या कोई रिकार्ड बना।
जवाब-विधानसभा सत्र बहुत बढ़िया रहा। विधानसभा के इतिहास में अब तक पांच बार 12 घंंटे से ज्यादा सत्र चला। हमारे कार्यकाल में 16 घंटे तक विधानसभा चली। स्व. अर्जुन सिंह के मुख्यमंत्री रहते 18 घंटे विधानसभा सत्र चलने का रिकार्ड है।
सवाल-विधानसभा सत्र की कार्यवाही में विधायक कितनी दिलचस्पी रखते हैं।
जवाब-ऐसा लगता है विधायकों ने खुद को मतदाताओं की सोच से जोड़ लिया है। वे मतदाताओं को प्रसन्न करने वाले कार्यों पर जोर देते हैं। विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं के बीच बने रहना ज्यादा पसंद करते हैं।
सवाल-विधानसभा में अपनी भूमिका का निर्वहन करने में प्रतिपक्ष कितना संजीदा रहा।
जवाब-विधानसभा में दोनों पक्षों की अहम भूमिका होती है। विधानसभा गतिमान व सजीव हो, इसके लिए सबसे बड़ी जवाबदेही प्रतिपक्ष की होती है। अपनी भूमिका का निर्वहन कर प्रतिपक्ष सत्तापक्ष को जवाबदेह व जिम्मेदार बनाने मजबूर कर सकता है।
सवाल-विधानसभा में असंसदीय शब्दों का प्रयोग, व्यक्तिगत टीका टिप्पणी पर आप क्या कहना चाहेंगे।
जवाब-इस बार विधानसभा सत्र में किसी विधायक काे अपनी बात रखने से रोका नहीं। विधायकों को स्पष्ट कर दिया था कि वे संयमित, मर्यादित भाषा का प्रयोग करें। तथ्यात्मक व प्रमाण के साथ अपनी बात रखें। विधानसभा सत्र के दौरान व्यक्तिगत टीका टिप्पणी अनुचित है।
सवाल-कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर आप क्या कहना चाहेंगे।
जवाब-विधानसभा सत्र के अंतिम दिन रात के 12-12.30 बज रहे थे। कांग्रेस के तीन विधायकों को बोलना था। उन्हें अपनी बात रखने का अवसर दिया गया। विधायक अविश्वास प्रस्ताव पर अपनी बात रख रहे थे तभी कांग्रेस के अन्य विधायकों ने बर्हिगमन कर दिया। हमने कांग्रेस विधायकों से कहा भी कि आपका साथी बोल रहा है, तब भी बर्हिगमन कर रहे हैं।
सवाल-पहली बार निर्वाचित विधायकों की विधानसभा कार्यवाही में भागीदारी पर आपकी क्या राय है।
जवाब-पहली बार निर्वाचित विधायक जिज्ञासु होते हैं। वे कुछ सीखना चाहते हैं। इसलिए सत्र के दौरान हर सप्ताह का एक दिन हमने नए विधायकों के लिए रखा था। शुरू के 15 सवाल ऐसे विधायकों के रखता हूं। विधानसभा में सीधी बात हो तथा उसमें तीव्रता रहे, इसके लिए प्रयास करता हूं।
सवाल-विधायक सदन में अपनी बात स्पष्ट रूप से कह सकें, इसके लिए आपकी तरफ से क्या प्रयास किए जाते हैं।
जवाब-जिस तरह मंत्री अपने सवालों पर अधिकारियों से ब्रीफिंग लेते हैं उसी तरह मैं भी विधायकों को भी सवाल तैयार करने, सवाल पूछने में मदद करता हूं। मैं स्वयं उन्हें एक घंटे समय देता हूं। उन्हें वरिष्ठ विधायकों के साथ कक्ष में बैठाता हूं ताकि वे अच्छे से प्रक्षिशित हो सकें। क्योंकि प्रश्न सही होते हैं तो उत्तर भी सही मिलता है। इससे विधानसभा कार्यवाही का सार्थक परिणाम निकलता है। विधायकों को यही सीख देता हूं कि सीधे सवाल पर आएं और अपनी बात स्पष्ट व तथ्यात्मक रूप से कहें।
सवाल-विधायकों को सवाल तैयार करने व पूछने में आपके प्रशिक्षण का कोई बेहतर परिणाम सामने आया।
जवाब-विदिशा के सिरोंज जनपद पंचायत में मुख्यमंत्री कन्या विवाह व निकाह योजना में गड़बड़ी की जानकारी विधायक ने दी थी। विधायक ने इसका जिक्र किया तो मैंने कहा कि बिना किसी भूमिका के सीधे-सीधे तथ्यात्मक रूप से सवाल पूछें। सदन की कार्यवाही के दौरान उन्होंने सवाल पूछा। मैंने आसंदी से निर्देश दिया कि इस मामले में आज ही एफआइआर करके जिम्मेदार अधिकारी को निलंबित किया जाए तथा कमेटी बनाकर जांच के लिए विदिशा भेजा जाए। इसका नतीजा यह हुआ कि जिम्मेदार अधिकारी के खिलाफ ईओडब्ल्यू में एफआइआर हुई, उसे जेल भेजा गया। जांच में मुख्यमंत्री कन्या विवाह व निकाह योजना में 5978 फर्जी मामले सामने आए। जिम्मेदारों ने भाई-बहन व बच्चों तक की शादी करा दी थी। 30 करोड़ रुपये का भुगतान भी हो गया था।
सवाल-आप मध्य प्रदेश विधानसभा में संवैधानिक पद पर हैं। तमाम व्यस्तता रहती होगी, अपने विधानसभा क्षेत्र के लिए समय कैसे निकालते हैं।
जवाब-गत वर्ष विधानसभा के सभी प्रोटाेकाल तोड़कर मैंने अपनी विधानसभा में 18 दिन तक साइकिल यात्रा की। रोज-रोज विधानसभा क्षेत्र में नहीं रह पाता हूं इसलिए जब भी मौका मिलता है क्षेत्र में पर्याप्त समय देता हूं।
सवाल-लोकसभा व राज्यसभा की तरह मध्य प्रदेश विधानसभा की कार्यवाही का भी सीधा प्रसारण हो, इसके लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं।
जवाब-उनके पास स्वयं का चैनल है। संसद टीवी के माध्यम से लोकसभा व राज्यसभा की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया जाता है। हमारे पास स्वयं का चैनल नहीं है। फिर भी बजट सत्र, राज्यपाल का अभिभाषण व अविश्वास प्रस्ताव को चैनलों से सीधा प्रसारण कराया गया।
सवाल-विधानसभा में विधायकों के लिए क्या कोई नवाचार किया गया है।
जवाब-विधायक विधानसभा में जो सवाल पूछते हैं उसकी वीडियो क्लिपिंग देने का नवाचार प्रारंभ किया है। विधायक 100 रुपये जमा कर पेनड्राइव उपलब्ध कराते हैं जिसके बाद उन्हें सदन के भीतर कही गई उनकी बात का वीडियो बनाकर दे दिया जाता है।