Showing posts with label Health. Show all posts
Showing posts with label Health. Show all posts

विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से लिया संन्यास — 14 साल के सुनहरे सफर का अंत

No comments

Thursday, May 15, 2025

भारत के दिग्गज बल्लेबाज और सबसे सफल टेस्ट कप्तानों में से एक विराट कोहली ने टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का एलान कर दिया है। इस खबर ने करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को भावुक कर दिया है।


कोहली ने सोशल मीडिया पर अपने बयान में लिखा

"टेस्ट क्रिकेट हमेशा मेरे दिल के सबसे करीब रहा है। भारत के लिए सफेद जर्सी पहनकर खेलना मेरे लिए गर्व की बात थी। अब समय आ गया है कि मैं टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहूं और युवाओं को आगे आने दूं।"

---


विराट कोहली का टेस्ट करियर (2011-2025):


आंकड़े प्रदर्शन


कुल टेस्ट मैच - 123

कुल रन - 9,230

शतक - 30

अर्धशतक - 31

सबसे बड़ा स्कोर 254* नाबाद

कप्तान के रूप में जीत 68 मैचों में 40 जीत



कोहली ने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ डेब्यू किया था। उनकी अगुवाई में भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज जीती, जो भारतीय क्रिकेट के इतिहास का स्वर्णिम पल था। उन्होंने भारत को नंबर 1 टेस्ट टीम भी बनाया।

---


रिटायरमेंट के कारण:


1. शारीरिक थकान और उम्र का असर — लंबे समय से खेलते हुए शरीर पर दबाव बढ़ा है।

2. निजी जीवन को प्राथमिकता — परिवार और खुद के लिए समय निकालना चाहते हैं।

3. नए खिलाड़ियों के लिए जगह बनाना — कोहली मानते हैं कि अब युवा खिलाड़ियों को आगे लाना जरूरी है।

4. सम्मानजनक विदाई लेना चाहते थे — उन्होंने अपने करियर को संतुष्टि के साथ खत्म करने का फैसला लिया।

---


क्या विराट बाकी क्रिकेट खेलेंगे?


विराट ने अभी सिर्फ टेस्ट क्रिकेट से रिटायरमेंट लिया है।

वे अभी भी वनडे और टी-20 फॉर्मेट में खेलना जारी रखेंगे।

2025 में होने वाली ICC चैंपियंस ट्रॉफी में उनके खेलने की पूरी संभावना है।

इसके अलावा वे IPL में भी खेलते रहेंगे।

---


रिटायरमेंट के बाद क्या करेंगे विराट?


कोहली अब अपने फिटनेस ब्रांड और वेलनेस प्रोजेक्ट्स पर फोकस कर सकते हैं।

वे आने वाले समय में मेंटोर, कोच या क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में भी भूमिका निभा सकते हैं।

हाल ही में वे धार्मिक यात्रा पर वृंदावन भी गए थे, जिससे ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अपने आध्यात्मिक जीवन को भी समय देना चाहते हैं।

---


एक युग का अंत


विराट कोहली सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं, बल्कि नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा रहे हैं। उनकी आक्रामकता, फिटनेस, मेहनत और कप्तानी में जोश ने भारतीय क्रिकेट को एक नई पहचान दी। कोहली का टेस्ट करियर खत्म हुआ है, लेकिन उनके योगदान को क्रिकेट प्रेमी कभी नहीं भूल पाएंगे।



किन कारणों से होती हैं सूखी खांसी की समस्या

No comments

Friday, April 7, 2023



सूखी खांसी कई बार व्यक्ति को काफी परेशान करती है। दरअसल, इस तरह की खांसी में बलगम नहीं आता, जिससे गले में खराश से लेकर जलन तक हो सकती है। वैसे अगर सूखी खांसी के कारणों की बात की जाए तो इसके लिए एलर्जी से लेकर एसिड रिफ्लक्स तक कई वजहें जिम्मेदार हो सकती हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको सूखी खांसी के कारणों पर चर्चा कर रहे हैं-

अस्थमा 

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि अस्थमा एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके वायुमार्ग सूज जाते हैं और संकुचित हो जाते हैं। इस स्थिति में आपको बलगम वाली और सूखी खांसी कोई भी हो सकती है। खांसी को अस्थमा के एक सामान्य लक्षण के रूप में भी देखा जाता है।

गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज 

आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज होने पर पेट में जलन या छाती में दर्द होता है। लेकिन कभी-कभी य सूखी खांसी की वजह भी बनता है। पेट का एसिड आपकी अन्नप्रणाली में जलन पैदा कर सकता है और आपके कफ पलटा को ट्रिगर कर सकता है। जिसके कारण आपको सूखी खांसी हो सकती है।

कोविड-19

सूखी खांसी के पीछे का एक कारण कोविड-19 संक्रमण भी हो सकता है। देश इस समय कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है और कोरोना संक्रमित होने पर बुखार, थकान व डायरिया के अलावा सूखी खांसी की समस्या मरीजों में देखने को मिल रही है। ऐसे में इसे भी कोरोना संक्रमण के लक्षणों की श्रेणी में रखा गया है।

वायरल इंफेक्शन

हेल्थ एक्सपर्ट बताते हैं कि कोरोना संक्रमण के अलावा भी कई तरह के वायरल इंफेक्शन होने पर भी व्यक्ति को सूखी खांसी की समस्या होती है। इतना ही नहीं, वायरल इंफेक्शन के अन्य लक्षणों में सुधार होने पर भी खांसी बनी रहती है। इस स्थिति में आपको घबराने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि यह सूखी खांसी कुछ वक्त में ठीक हो जाती है। खासतौर से, सर्दी के बाद होने वाली सूखी खांसी एक-दो महीने तक बनी रह सकती है।

पर्यावरणीय कारण

ऐसे कई पर्यावरणीय कारण हैं जो आपके वायुमार्ग को परेशान कर सकती हैं, जिनमें धुआं, प्रदूषण, धूल, मोल्ड आदि शामिल हैं। सल्फर डाइआॅक्साइड या नाइट्रिक आॅक्साइड जैसे रासायनिक कण भी समस्या पैदा कर सकते हैं। यहां तक कि बहुत शुष्क या बहुत ठंडी हवा भी कुछ लोगों के लिए सूखी खांसी का कारण बन सकती है।

आंवला: स्किन की कई समस्याएं होंगी दूर

No comments

Wednesday, April 5, 2023



आंवला का इस्तेमाल घरों में कई सालों से किया जा रहा है। स्वास्थ्य से लेकर सौंदर्य तक में आंवला बेजोड़ है। इसमें मौजूद औषधीय गुणों के कारण यह कई तरह की स्किन समस्याओं को दूर करने का माद्दा रखता है। अगर आप भी अपनी स्किन समस्याओं को नेचुरली मात देना चाहती हैं तो आंवला की मदद से बनने वाले इन फेस पैक्स का सहारा लीजिए और फिर देखिए कमाल-

अगर हो स्किन ब्लेमिश

स्किन ब्लेमिश को दूर करने के लिए आंवला का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए आप तीन बड़े चम्मच आंवला पाउडर लेकर उसमें एक चम्मच हल्दी और दो बड़े चम्मच नींबू का रस डालकर मिक्स करें और एक फाइन पेस्ट बनाएं। अब आप इसे अपने चेहरे पर लगाकर 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। अंत में पानी की मदद से स्किन साफ करें। आप सप्ताह में एक बार इस पैक का इस्तेमाल कर सकती हैं।

निखारे रंगत

अगर आप अपनी स्किन को लाइटन व ब्राइटन करना चाहती हैं तो उसमें भी आंवला आपकी मदद कर सकता है। इस फेस पैक को बनाने के लिए दो टेबलस्पनू आंवला का रस लेकर उसमें एक चम्मच शहद और पपीते को मैश करके उसे मिक्स करें। अब आप इसका एक फाइन पेस्ट बनाएं और चेहरे पर लगाएं। आप इस पेस्ट को लगातार कुछ दिन तक लगाएं और फिर आपको अपने चेहरे में काफी निखार नजर आएगा।

आॅयली स्किन की समस्याएं

गर्मी के मौसम में आॅयली स्किन को काफी समस्याएं होती है। चेहरे से आॅयल का अतिरिक्त स्त्राव पिंपल्स आदि को बढ़ावा देता है। ऐसे में आंवला की मदद से आपकी स्किन का बेहतरीन तरीके से ख्याल रख सकती हैं। इसके लिए आप एक बाउल में दो बडे़ चम्मच आंवला पाउडर लेकर उसमें गुलाबजल मिक्स करें। आप इस पैक को सप्ताह में दो बार लगा सकती हैं। यह पैक स्किन में तेल बनाने वाले पोर्स को कम करने में मदद करेगा और आपको एक निखरी त्वचा प्रदान करेगा।

निकाले डेड स्किन

हर किसी की स्किन पर कुछ दिन में डेड स्किन सेल्स जमा हो जाती है, जिससे स्किन डल व बेजान नजर आती है। ऐसे में आप इसे एके बेहतरीन स्क्रब के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं। दो बड़े चम्मच आंवला का पाउडर लेकर एक बड़ा चम्मच नींबू का रस व एक चम्मच चीनी मिक्स करें। अब आप इस मिश्रण को चेहरे पर लगाकर हल्के हाथों से स्क्रब करें। इससे चेहरे की सारी अशुद्धियां दूर होती हैं। आप सप्ताह में दो बार इस स्क्रब का का प्रयोग कर सकती हैं।

टमाटर के जूस के फायदे अनेक लेकिन ये मरीज रहें सावधान

No comments



टमाटर सब्जी के स्वाद को बढ़ाने के साथ-साथ सलाद के रुप में भी काफी पसंद किया जाता है। टमाटर कोलेस्ट्रोल लेवल को बैलेंस कर शरीर में खून की कमी को भी दूर करता है। इसके सेवन से भूख लगने वाले हार्मोंस भी कंट्रोल में रहते हैं, जिससे आप आसानी से वजन कम कर सकती है। तो चलिए जानते हैं टमाटर का जूस पीने के अन्य फायदे...

टमाटर का जूस क्यों है फायदेमंद?

टमाटर में विटामिन-सी, बायोलॉजिकल सोडियम, फॉस्फोरस, कैल्शियम, पोटेशियम और सल्फर उच्च मात्रा में होता है जो कई स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद करता है। टमाटर के जूस में मौजूद पोषक तत्व कैंसर के खतरे को भी कम कर सकता है। साथ ही इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है, इस जूस को सेवन करने से किसी भी प्रकार का इंफेक्शन होने का खतरा कम हो जाता है। इसके अलावा टमाटर के जूस में मौजूद केमिकल मांसपेशियों में होने वाले खिंचाव को कम करता है।

बल्ड-प्रेशर को करे कंट्रोल

फूड साइंस एंड न्यूट्रीशनह्ण के एक शोध से पता चला है कि लगभग 184 पुरूषों और 297 महिलाओं को बिना नमक वाला टमाटर का जूस दिया गया है। इस अध्ययन के अंत में हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित 94 प्रतिभागियों के ब्लड प्रेशर में गिरावट हुई। उनका ब्लड प्रेशर 141.2/83 से घटकर 137.0/80.0 पर आ गया। जापान की टोकियो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के रिसर्चर से इस बात का पता चला कि हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित 125 पार्टिसिपेंट्स का कोलेस्ट्रॉल लेवल 155.0 मिलीग्राम से कम होकर 149.0 मिलीग्राम हो गया।

दुबले-पतले बच्चों के लिए फायदेमंद

बच्चों के रोज सुबह एक टमाटर या फिर टमाटर का रस निकालकर अवश्य खिलाएं।अगर बच्चे को सूखा रोग यानि जो बच्चे खाने-पीने के बावजूद दुबले-पतले रह जाते हैं, उन बच्चों को प्रतिदिन एक गिलास टमाटर का जूस पिलाने से सूखे रोग जैसी बीमारी में आराम मिलता है। बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए टमाटर बहुत फायदेमंद होता है।

पथरी के पेशेंट रहें सावधान

जिन लोगों को किडनी या पित्ते में पथरी की परेशानी है, उन्हें टमाटर का जूस नहीं पीना चाहिए। टमाटर के बीज काफी हद तक सख्त होते हैं, जो बहुत जल्द हमारी बॉडी में बिना पिसे ही पड़े रहते हैं। पथरी आमतौर पर तब होती है जब किडनी में आॅक्जलेट और कैल्शियम जैसे कई तत्व जमा होते-होते एक ठोस कंकड़ जैसे हो जाते हैं। टमाटर में भी आॅक्जालेट मौजूद होता है, लेकिन उसकी मात्रा सीमित होती है। हां अगर आप टमाटर के शौकीन हैं और बहुत ज्यादा मात्रा में इसका सेवन करते हैं, तो इसके बीजों को निकालकर इसका प्रयोग करें। आप चाहें तो बीज निकले हुए टमाटरों के जूस का भी सेवन कर सकते हैं। 

टमाटर के अन्य फायदे...

टमाटर का जूस ग्लोइंग स्किन के लिए बेहद फायदेमंद होता है।

टमाटर में मौजूद विटमिन और कैल्शियम हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है।टमाटर पाचन शक्ति को बेहतर करता है और पेट से जुड़ी समस्या जैसे अपच, कब्ज, दस्त जैसी स्थिति को कम करता है।

मोटापा घटाने के लिए भी टमाटर का इस्तेमाल किया जा सकता है। प्रतिदिन एक से दो गिलास टमाटर का जूस पीने से वजन घटता है।

गठिया के रोग में भी टमाटर बहुत फायदेमंद है। प्रतिदिन टमाटर के जूस में अजवायन मिलाकर खाने से गठिया के दर्द में आराम मिलता है।

टमाटर का जूस विटामिन सी की मात्रा से भरपूर होता है, जो गभर्वती महिला के लिए काफी अच्छा होता है।

अगर पेट में कीड़े हो जाएं तो सुबह खाली पेट टमाटर में काली मिर्च मिलाकर खाने से फायदा होता है। 

टमाटर के नियमित सेवन से डायबिटीज में फायदा होता है।इससे आंखों की रौशनी बढ़ती है। 


हर दिन खाएं बस सात काजू, शरीर को मिलेंगे यह सात गुप्त फायदे

No comments

Monday, April 3, 2023



काजू पाचन शक्ति के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं तो आपको भूख न लगना, पेट में जलन, बदहजमी, पेट फूलना आदि समस्या दूर हो जाती है। काजू एक ऐसा ड्राई फूट है जो बच्चों से लेकर बड़ों तक हर किसी को काफी पसंद आती है। कुछ लोग इसे अपनी डिश में डालकर खाते हैं तो कुछ लोग इसे यूं ही खाना पसंद करते हैं। वैसे यह स्वाद में तो बेहतरीन है ही, साथ ही इससे शरीर को कई पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, खनिज, आयरन, फाइबर, फोलेट, मेग्नीशियम, फॉस्फोरस, सेलेनियम, एंटीआॅक्सीडेंट, मिनरल और विटामिन मिलते हैं। अगर आप सीमित मात्रा में इसका इस्तेमाल हर दिन करते हैं तो इससे आपको कई लाभ प्राप्त होते हैं। तो चलिए जानते हैं इसके बारे में-

 मिलती है एनर्जी

अगर आप काम करके थक गए हैं और अपने शरीर को फिर से चार्ज करना चाहते हैं तो काजू का सेवन करें। यह शरीर को इंस्टेंट एनर्जी देता है।

बेहतर पाचन शक्ति

काजू पाचन शक्ति के लिए भी काफी अच्छा माना जाता है। अगर आप नियमित रूप से इसका सेवन करते हैं तो आपको भूख न लगना, पेट में जलन, बदहजमी, पेट फूलना आदि समस्या दूर हो जाती है।

 दिल का रखें ख्याल

काजू आपके दिल का भी बेहतरीन तरीके से ख्याल रखता है। यह कोलेस्टॉल को नियंत्रित रखता है। इतना ही नहीं, काजू में पाया जाने वाला मोनो सैचुरेटड फैट दिल को स्वस्थ रखता है और दिल की बीमारियों के खतरे को कम करता है। साथ ही इसमें आयरन की भी पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। इसलिए अगर आप इसका नियमित सेवन करते हैं तो आप अपने शरीर में खून की कमी को भी दूर कर सकते हैं।

 तेज होती याददाश्त

काजू में विटामिन बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जिसके कारण अगर काजू का सीमित मात्रा में नियमित रूप से सेवन किया जाए तो इससे व्यक्ति की याददाश्त तेज होती है। इस लिहाज से आप अपने बच्चे की मेमोरी को शार्प करने के लिए उसे काजू अवश्य दें।

 बचाए कैंसर से

आपको शायद पता न हो लेकिन काजू का सेवन करने से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी होने की संभावना कई गुना कम हो जाती है। दरअसल, काजू में फ्लैवनॉल्स और कॉपर पाया जाता है, जो कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। 

दांतों को मिलती मजबूती

अगर आप चाहते हैं कि आपके दांत लंबे समय तक मजबूत रहे तो आपको काजू का सेवन करना चाहिए। काजू में फॉस्फोरस की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। यह फॉस्फोरस आपके दांतों को मजबूती देने का काम करता है।

 मधुमेह को करें नियंत्रित

जो लोग टाइप 2 डायबिटीज से पीड़ित है, उन्हें भी सीमित मात्रा में काजू का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से टाइप 2 डायबिटीज नियंत्रित होती है। साथ ही मधुमेह होने का खतरा भी कम होता है।

हड्डियों को मजबूत रखने में मदद करते हैं यह योगासन

No comments

Saturday, April 1, 2023



हड्डियां जीवित ऊतक होती हैं जो लगातार टूटती और बनती रहती हैं। जिसके कारण हड्डियों का घनत्व प्रभावित होता है। जिसकी वजह से संतुलन में दिक्कत आना शुरू हो जाती है और आॅस्टियोपोरोसिस होने का खतरा बढ़ जाता है। उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होती जाती हैं। जिसे कुछ योगासन की मदद से मजबूत किया जा सकता है। योग कई बीमारियों को ठीक करने में मदद करता है और कई महत्वपूर्ण शारीरिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है और उत्तेजित करता है। योग मन को शांत करने में भी मदद करता है।

1-त्रिकोणासन:

यह आसन आसानी से किया जा सकता है और इसके कई फायदे भी होते हैं। यह आसन रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाने और जठरांत्र को भी राहत दिलाने में मदद करता है। त्रिकोणासन पूरे शरीर को स्ट्रैच करने के साथ निचले शरीर और हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

2-सलाभासन: 

इसे ग्रैस्हापर और लोक्सट पोज भी कहते हैं। यह आसन पैर और पीठ के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। यह हड्डियों को मजबूती प्रदान करने में मदद करता है। इस आसन को करने के लिए अपने पैर और ऊपरी धड़ उठाकर शुरू करें। इसे 10 सेकेंड के लिए दबाएं और इसे तीन बार दोहराएं। यह मुद्रा कमर दर्द को दूर करने में मदद करती है।

3- वृक्षासन: 

यह आसन हड्डियों की मजबूती के लिए फायदेमंद होता है। यह बहुत ही लोकप्रिय आसन है। इस आसन को 1 मिनट तक करने से हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं। साथ ही स्ट्रैचिंग करने से आपका दिमाग शांत होता है।

4-उत्थित पार्श्वकोणासन: 

इस आसन में आपके एक तरफ से स्ट्रैच करके हड्डियों को मजबूत करने में मदद मिलती है। आप यह आसन हाथ को फर्श पर रखकर या घुटने पर रखकर कर सकती हैं। यह हड्डियों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

5- सेतु बांधा सर्वंगसासन: 

आॅस्टियोपोरोसिस के मरीजों के इलाज के लिए डॉक्टर इस आसन को करने की सलाह देते हैं। साथ ही यह आसन पीठ, छाती और गर्दन को स्ट्रैच करने में मदद करता है। इसके अच्छे परिणाम के लिए इसी मुद्रा में कम से कम 1 मिनट तक रहें।

6-परिवर्त त्रिकोणासन: 

यह एक और आसन है जो हड्डियों को मजबूत और स्वस्थ रखने में मदद करता है। यह ट्विस्टिड पोज हड्डी के उत्पादन को प्रोत्साहित करता है और फ्रैक्चर से बचने में सहायता करता है। स्ट्रैचिंग करने से हड्डियां मजबूत होती हैं।

7- अर्ध चंद्रासन: 

यह आसन पैरों, पेट और रीढ़ की हड्डी को शेप में लाने में मदद करता है। साथ ही आॅस्टियोपोरोटिक के दर्द को कम करने में मदद करता है। सामान्य मुद्रा में बदलाव लाने के लिए आप ब्लॉक का इस्तेमाल कर सकते हैं।



छोटी परेशानी बड़ी बीमारी का सिग्नल तो नहीं

No comments



सामान्य तौर पर लोगों को जुकाम, खांसी, बुखार और सर्दी जैसी बीमारियां तो होती ही रहती हैं। इसलिए इससे बचने के लिए हम कोई न कोई उपाय कर लेते हैं। मगर इसके अलावा कई अन्य बीमारियां भी हैं जो सामान्य या छोटी लगती हैं, ऐसे में इनके लक्षण जानना बेहद जरूरी है। ताकि आगे चलकर यह समस्या बड़ी न हो जाए। आइए जानते हैं कुछ सामान्य लक्षण, जिनके बारे में जानकारी होनी चाहिए...

ऐंठन या जकड़न 

अगर मांसपेशियां ज्यादा जकड़ जाएं तो यह दर्दभरा हो सकता है मांसपेशियों में जकड़न तनाव, दवा, और ज्यादा योग करने से हो सकती है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा तनाव लेने से बचें।

चक्कर आना 

चक्कर आने को डिसओरियंटेशन इन स्पेस के नाम से भी जाना जाता है, यह अस्थिरता की स्थिति है, जिसमें सिर में कुछ मूवमेंट होने लगता है और चक्कर आने लगता है। इससे आपका संतुलन बिगड़ जाता है और आप गिर भी सकते हैं।

सांस लेने में दिक्कत 

यह सीटी जैसी आवाज है, जो कि फेफड़ों से आने वाली हवा के एक या ज्यादा तरफ से रुकने के कारण आती है। ऐसे लोग, जिनको घरघराहट होती है उन्हें सांस लेने में भी भारीपन होता है।

अनिद्रा 

यह सोने से संबंधित समस्या है। अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए हो और गंभीर रूप से आपके जीवन को प्रभावित कर रही है तो यह एक बहुत गंभीर समस्या है। सही समय पर डॉक्टर की सलाह लें।

झनझनाहट 

झनझनाहट से शरीर के कुछ हिस्से में पिन चुभने जैसा महसूस होता है। इसका संबंध नर्वस सिस्टम से है। यह नस में चोट लगने या नस के दबने से हो सकती है।

गैस की प्रॉब्लम 

पेट में हलचल, या गैस भी आपको परेशान कर सकती हैद्य अधिकतर बार-बार यह खाने पर होती है या खाने के न पचने पर यह समस्या होती है।

उबकाई या मितली 

ऐसा होने पर पेट के ऊपरी भाग और सिर में असहज स्थिति पैदा होती है, जिससे उलटी करने की इच्छा होती है। खान-पान पर ध्यान दें और ज्यादा परेशानी होने पर डॉक्टर से मिलें।

थकान 

थकान से मतलब थकावट, सुस्ती, आलस, और शारीरिक व मानसिक कमजोरी की स्थिति हैद्य थकान दो तरह की होती है। मानसिक और शारीरिक। थोड़ा घूम-फिर लेने से आराम मिल जाता है। 


SEHAT: बार-बार नहीं पड़ेंगे बीमार, इन आसनों से बढ़ाएं अपनी इम्यूनिटी

No comments

Tuesday, March 28, 2023

किसी लंबी बीमारी के बाद या फिर मौसम बदलने पर शरीर में आवश्यक न्यूट्रिएंट्स की कमी होने लग जाती है। इसी कारण हमें वीकनेस महसूस होने लग जाती है। वीकनेस मतलब इम्यूनिटी का कम होना। ऐसे में आपका खानपान इम्यूनिटी बढ़ाने में बहुत मदद करता है। इसके अलावा आप खुद प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए कुछ योगासनों को भी प्रयोग में ला सकते हैं।

तकिये की मदद से: 

दो से तीन तकिये को एक-दूसरे के ऊपर रखें। इसको खम्बे की तरह रखने के बाद, इसके ऊपर अपना दांया पैर रखें। बाएं पैर को पीछे की तरफ थोड़ा खींचें। तकिये नितम्बों से घुटने तक सहारा देते हैं। अब, आगे की तरफ देखें, और हाथ चेहरे के ऊपर होना चाहिए। इस तरह करने से, सीने के पास की मांसपेशियां खिंचती हैं। इस आसन से उन लोगों को फायदा होगा, जिनके स्तन कैंसर की वजह से हटा दिए जाते हैं। उस जगह की त्वचा में आराम मिलता है। इस आसन से उन लोगों को बेहद फायदा होता है, जो लोग बीमार होते हैं। इससे प्रतिरोध क्षमता और आत्मविश्वास बढ़ता है।

सेतु बंधासन: 

छत की तरफ देखेते हुए फर्श पर लेट जाएं, दोनों पैरों को मोड़ें। दोनों हाथों को दोनों तरफ रखें। कोमल तकिये को नीचे ऐसे रखें की यह नितम्ब को छू रहा हो। यह आसन तीन मिनट तक रहना चाहिए। इस आसन से रीढ़ महबूत होती हैं। स्तन के आस-पास के हिस्से को इससे आराम मिलता है। यह आसन विकिरण और कीमोथेरेपी के बुरे प्रभाव से बचाता है। जो लोग बुखार से पीड़ित होते हैं उनके लिए भी यह आसन लाभदायक है। इसके साथ प्राणायाम किया जाना चाहिए।

कुर्सी के साथ त्रिलोकासन: 

एक कुर्सी लें जो ज्यादा ऊंची न हो, दोनों पैरों को अलग-अलग रखते हुए खड़े हो जाएं। दाएं पैर को ऐसे ही रहने दें, और बाएं पैर को कुर्सी पर रखें। मतलब कि कुर्सी बाएं पैर के जांघ वाले हिस्से को सहारा देती है।अब दोनों हाथों को किनारे की तरफ खींचें। इसका मतलब कि बांया हाथ भी, सिर के ऊपर दांई तरफ घुमेगा। अब इसी प्रक्रिया को दूसरे तरफ करें। इस आसन को दोनों तरफ 1 से आधा मिनट करना चाहिए। यह आसन सीने की मांसपेशियों के दबाव को कम करता है। इसे करने से सीने के पास की मांसपेशियों को आराम मिलता है। शरीर को आराम मिलता है और प्रतिरोध क्षमता बढ़ती है।

बद्ध-पद्मासन: 

समतल और स्वच्छ स्थान पर कंबल या दरी बिछाकर सामान्य स्थिति में बैठ जाएं। अब दाएं पैर को घुटनों से मोड़कर बाएं जांघ पर एड़ी को दाएं कमर से सटाकर रखें। इसी तरह बाएं पैर को भी घुटनों से मोड़कर दाएं जांघ पर एड़ी को बाएं कमर से सटाकर रखें। इसके बाद बाएं हाथ को पीछे की तरफ से लाकर दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें और दाएं हाथ को पीछे से लाकर बाएं पैर केअंगूठे को पकड़ लें। इस स्थिति में आगे पिण्डलियों व पीछे हाथों से एक प्रकार से क्रास का निशान जैसा बन जाएगा। बद्ध-पद्मासन की इस स्थिति में आने के बाद रीढ़ की हड्डी, छाती, सिर व गर्दन सहित पूरे शरीर को सीधा रखें। सिर एकदम सीधा और आंखों को सामने रखें। अब सांस अंदर खींचते हुए छाती को बाहर निकालें और शरीर को ऊपर की ओर खींचें। अपनी नजर को नाक के अगले भाग पर रखें। आसन की स्थिति में जब तक रहना सम्भव हो रहें। गहरी सांस लेते रहें। इस आसन का अभ्यास पैरों की स्थिति बदल कर भी करें।

मंडूकासन: 

एक कहावत है कि मेढक को कभी जुकाम नहीं होता, ऐसा मेढक के शरीर की बनावट की वजह से होता है। मंडूक आसन में हम भी अपनी बॉडी मेढक जैसा बनाते हैं। सबसे पहले पीठ सीधी रखते हुए वज्रासन में बैठ जाएं और दोनों हाथों की मुठ्ठी अंगूठा अंदर रखते हुए बंद करें। मुठ्ठी बंद करने के बाद जहां उंगुलियां मुड़ी होती हैं और उंगलियों के बीच जो गड्ढे बने होते हैं उनमें दूसरे हाथ के उभरे भाग को फंसा दें। अब हाथों की मुठ्ठी की तरफ देखते हुए इसे नाभि पर रखते हैं फिर सांस छोड़ते हुए आगे की तरफ झुकते हैं। झुकने के बाद नजर सामने और रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। दोनों हाथ की मुठ्ठी से नाभि पर दबाव बनाते हुए सांस को रोकें और फिर सांस को सामान्य कर दें। ाहले की पोजिशन में आ जाएं।


रोज दही खाने से नहीं होतीं ये बीमारियां...

No comments

Monday, March 27, 2023



दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें कुछ ऐसे रासायनिक पदार्थ होते हैं, जिसके कारण यह दूध की तुलना में जल्दी पच जाता है। यह कई प्रकार के बीमारियों से आपको निजात दिला सकता है। तो आइए जानते हैं कैसे आपके लिए फायदेमंद है दही...

पाचन शक्ति:- 

दही खून की कमी और कमजोरी दूर करता है। दूध जब दही का रूप ले लेता है। तब उसकी शर्करा अम्ल में बदल जाती है। इससे पाचन में मदद मिलती है। जिन लोगों को भूख कम लगती है। उन लोगों को दही बहुत फायदा करता है।

पेट की गर्मी:-

 दही की छाछ या लस्सी बनाकर पीने से पेट की गर्मी शांत हो जाती है। पेट में गड़बड़ होने पर दही के साथ ईसबगोल की भूसी लेने या चावल में दही मिलाकर खाने से दस्त बंद हो जाते हैं। पेट के अन्य रोगों में दही को सेंधा नमक के साथ लेना फायदेमंद होता है।

दिल के रोग:-

 दही में दिल के रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की गजब की क्षमता है। यह कोलेस्ट्रॉल को बढ़ने से रोकता है और दिल की धड़कन सही बनाए रखता है।

हड्डियों की मजबूती:- 

दही में कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। यह हड्डियों के विकास में सहायक होता है। इससे मांसपेशियों के सही ढंग से काम करने में मदद मिलती है।

जोड़ों के दर्द:- 

हींग का छौंक लगाकर दही खाने से जोड़ों के दर्द में लाभ मिलता है। यह स्वादिष्ट होने के साथ-साथ पौष्टिक भी है।

बवासीर:- 

बवासीर रोग से पीड़ित रोगियों को दोपहर के भोजन के बाद एक गिलास छाछ में अजवायन डालकर पीने से फायदा मिलता है।


सेहत के लिए बहुत जरूरी है प्रोटीन

No comments

Sunday, March 26, 2023



प्रोटीन हमारे शरीर के लिए बेहद जरूरी पोषक तत्व है। इसे अक्सर हम अपने खाने में भूल जाते हैं। नतीजा यह कि हमारे अंगों को काम करने में परेशानी होने लगती है। प्रोटीन के हमारे शरीर में कई काम है- जैसे हार्मोन और एंजाइम बनाना, मसल्स, हड्डियां, त्वचा, बाल और मस्तिष्क को सही रखना। समस्या शुरू होने पर भी हम यह अंदाजा नहीं लगा पाते कि हमारे शरीर में प्रोटीन का स्तर कम हो गया है। हमारा शरीर संकेत देता है, पर हम समझ नहीं पाते। इसका एक उदाहरण है- वजन बढ़ना। जब हमारा वजन बढ़ता है, तो हम भरसक कोशिश करते हैं इसे कम करने की। बिना इस बात को जाने कि हमारे शरीर में प्रोटीन का स्तर है क्या?  शरीर में प्रोटीन का कम स्तर वजन बढ़ा कर पाचन क्रिया कम कर देता है। हम किसी भी काम पर ध्यान नहीं दे पाते और हर पल थकान महसूस करते हैं। इस बात के लिए हम ज्यादा काम को दोषी ठहराते हैं, मगर वजह कुछ और ही होती है। शरीर में प्रोटीन की कमी स्वास्थ्य संबंधी समस्या खड़ी कर सकती है। प्रोटीन की कमी शरीर को लो ब्लड शुगर स्तर और मोटापा संबंधित बीमारी दे सकती है।

 शरीर में प्रोटीन की कम मात्रा हमें खाने के प्रति ज्यादा आकर्षित करती है। प्रोटीन की कमी हमें अनहेल्दी फूड और कुपोषित खाने के प्रति आकर्षित करती है। इससे भोजन में शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा होती है, जिससे मोटापा बढ़ता है। कैंडीज, चॉकलेट, पास्ता, चिप्स, शीतल पेय आदि ऐसे भोजन में शामिल होते हैं। अगर आप भी इन खानों की तरफ खिंचे चले जाते हैं, तो यह संकेत है कि आपके शरीर में प्रोटीन की कमी है।

 प्रोटीन की कमी से जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द होता है। जोड़ों में मौजूद सिनोवियल तरल पदार्थ प्रोटीन से बना होता है। यह तरल पदार्थ जोड़ों को लचीला बनाता है और मांसपेशियों को दुबारा बनाने में मदद करता है। प्रोटीन की कमी के कारण यह तरल पदार्थ कम बनता है जिससे मासंपेशियों और जोड़ों में दर्द होता है।  प्रोटीन की कमी से शरीर में ब्लड शुगर का स्तर कम हो जाता है जिससे स्वभाव में फर्क पड़ता रहता है। चिड़चिड़ापन और मानसिक तनाव हमारी कार्यक्षमता को प्रभावित करता है। शरीर में शुगर लेवल की कम मात्रा हमारे शरीर को थका सा महसूस कराता है। हमारा शरीर मानसिक और शारीरिक थकान का मुकाबला करने में असहाय महसूस करता है। किसी भी काम में ध्यान नहीं लग पाता। 

शरीर में प्रोटीन की कम मात्रा से नींद पर भी असर पड़ता है। रात में कई बार हमारी नींद खराब होती है और हम उठ जाते हैं। यह इसलिए होता है कि हमारा शरीर मीठी चीजों और काबोर्हाइड्रेट के लिए लालच करता है जो दिमाग को रिलैक्स नहीं करने देता।

 

बार-बार बीमार पड़ना भी शरीर में प्रोटीन की कमी के कारण होता है। प्रोटीन की कमी शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देती है। संक्रमण से लड़ने वाला इम्यूनोग्लोबुलिन प्रोटीन से बना होता है। शरीर में प्रोटीन की कमी से वाइट ब्लड कोशिकाएं भी कम होने लगती हैं, जो शरीर में संक्रमण से रोकने में सहायक है। इसलिए अगर आप बार-बार बीमार पड़ते हैं, तो प्रोटीन की जांच जरूर कराएं।  प्रोटीन की कमी का असर दिमाग पर पड़ता है। न्यूरॉन और दूसरे मस्तिष्क के रासायनिक ग्राही प्रोटीन से ही बने होते हैं। हमारे खाने में प्रोटीन की प्रचुर मात्रा के कारण हमारा मस्तिष्क डोपामाइन नामक रसायन उत्सर्जित करता है जो हमारी एकाग्रता को बढ़ाने में मदद करता है और हम अपना काम सही से कर पाते हैं। प्रोटीन की कमी शरीर का वजन बढ़ने का कारण बनती है। इसलिए खाने में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन शामिल करें। यह मेटाबॉलिज्म को बढ़ाता है, जो शरीर की मांसपेशियों को बनाता है और शरीर से वसा कम करता है। आपके खाने में ज्यादा प्रोटीन आपको स्लिम, ऊजार्वान और मानसिक रूप से फिट रखता है।



स्वस्थ रहने के लिए फिट रहना जरुरी

No comments

Friday, March 24, 2023



आप नौ-दस घंटे की सिटिंग जॉब करते हों या फास्ट फूड के शौकीन हो, व्यायाम को लेकर आलसी हो या हेल्दी डाइट के प्रति जागरूक न हो तो आप अपने स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं और शायद हर बार गलती आपकी नहीं होती। या तो आप बहुत व्यस्त होते हैं या फिर आपको उचित डाइट की जानकारी नहीं होती। अब क्या किया जाए? ऐसे में आपको आवश्यकता है एक अच्छे फिटनेस ट्रेनर की। एक अच्छा फिटनेस ट्रेनर आपको न सिर्फ आपकी सेहत की अनुसार व्यायाम की जानकारी देगा बल्कि अलग-अलग डाइट के बारे में आपकी जानकारी भी बढ़ाएगा। रोजमर्रा की भागदौड़ को भूलाने, मानसिक तनाव से जूझते और शरीर को सही आकार में रखने के लिए व्यायाम आवश्यक है। वह जमाना गया जब पर्सनल ट्रेनर सिर्फ खिलाड़ियों, एथलीट या बड़े सेलिब्रिटी के लिए ही होते थे। आज लोग फिट रहने और वहां काम करने के लिए एरोबिक्स इंस्ट्रक्टर, योगा इंस्ट्रक्टर तथा पर्सनल ट्रेनर की मांग करते हैं।

कैरियर के अवसर

आज फिटनेस ट्रेनर की मांग जिम, बड़े होटल, हेल्थ क्लब, फिटनेस सेंटर, स्पा, टूरिस्ट रिसॉर्ट जैसी तमाम जगहों पर है। कुछ समय का अच्छा अनुभव लेकर आप स्वयं का फिटनेस सेंटर भी शुरू कर सकते हैं। यहां तक कि बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियां भी अपने कर्मचारियों के लिए समय-समय पर वर्कपैलेस वेलनेस तथा फिटनेस प्रोग्राम का आयोजन करती हैं, जहां फिटनेस ट्रेनर की जबरदस्त मांग होती है। फिटनेस इंडस्ट्री आज अपनी चरम सीमा पर है। आज भारत में फिटनेस उद्योग 2, 000 करोड़ रुपए से भी अधिक पर हिस्सा रखता है। हाई टेक जिम और हेल्थ क्लब ने इसको युवाओं के बीच और अधिक प्रचलित बनाया है। कोर्स के बाद आप इसमें से किसी भी कैरियर का चुनाव कर सकते हैं: एथलीट ट्रेनर, डाइटिशियन, स्पोटर्स कोच, फिजिकल थेरेपिस्ट।

कार्य का दायरा

एक फिटनेस ट्रेनर के तौर पर आपको शारीरिक फिटनेस के साथ साथ एरोबिक्स, फैलेक्सीबिल्टी ट्रेनिंग, बीएमआई, पोषण तथा ट्रेनिंग से जुड़े समस्त उपकरणों आदि का ज्ञान होना अनिवार्य है। इससे लोगों को सही सलाह देने में आसानी होती है। यदि आपको ये समस्त जानकारी है, तो आप उनके शरीर के ढांचे और वजन को देखते हुए उनके लिए एक अच्छी डाइट निर्धारित कर सकते और फिट रहने के लिए उपकरणों के सही प्रयोग के बारे में ज्ञान दे सकते हैं।

एक फिटनेस ट्रेनर को फिटनेस, न्यूट्रिशन, वेट मैनेजमेंट, स्ट्रैस रिडियूशन, हेल्थ रिस्क मैनेजमेंट आदि जैसे विषयों पर ध्यान देना होता है।

एरोबिक्स इंस्ट्रक्टर के तौर पर आप वर्कआउट सत्र में एरोबिक्स, स्ट्रेचिंग तथा मसल्स एक्सरसाइस पर ध्यान देते हैं।

खेल जगत में एथलीट का स्टेमिना बढ़ाने के लिए आप जॉगिंग, वेट लिफ्टिंग, पुशअप जैसे विशेष व्यायामों पर जोर देते हैं।

यदि आप एक योग व नेचुरोपेथी एक्सपर्ट हैं तो आप प्रकाशित तौर पर व्यायाम से रोग-मुक्त रहने के गुर भी सीखते हैं।

इस कार्य में आपको अच्छी बातचीत और व्यावहारिक कला भी आनी चाहिए, क्योंकि आप कई प्रकार के लोगों के संपर्क में आते हैं।

हालांकि कोर्स के तुरंत बाद मासिक आय थोड़ी कम होती है, पर अनुभव के साथ-साथ यदि आप हाइ-एंड फिटनेस सेंटर, स्पा और रिसॉर्ट से जुड़कर काफी अच्छा कमा सकते हैं।

कहां से कोर्स करें?

फिटनेस ट्रेनिंग के कोर्स की अगर बात की जाए तो आप नाइक एरोबिक्स कोर्स या रिबॉक इंस्ट्रक्टर सर्टिफिकेशन प्रोग्राम जैसे प्रोफेशनल कोर्स भी कर सकते हैं, जो मुंबई के तलवालकर संस्थान जैसे कई स्थानीय स्तर पर कराए जाते हैं। ये बेसिक कोर्स करीब 80 घंटे की अवधि के होते हैं, जिसमें से 30 घंटे थ्योरी से सिद्धांत पढ़ाए जाते हैं और बाकी भाग प्रैक्टिकल सैशन का होता है।

रिबॉक इंडिया वर्ष में 2 बार रिबॉक इंस्ट्रक्टर एलीयांस प्रोग्राम आयोजित करता है।

यदि आप योग तथा नेचुरोपेथी में स्नातक होना चाहते हैं तो भारत में ये कोर्स करीब साढ़े पांच साल का होता है।

सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन योग एंड नेचुरोपैथी ने इसमें 1 वर्ष डिप्लोमा कोर्स भी शुरू किया है। भारत में इसके कुल 17 केंद्र हैं।

फिजिकल एजुकेशन में स्नातक व स्नाकोत्तर के साथ कई अन्य कोर्स उपलब्ध कराने वाले कुछ प्रमुख संस्थान निम्नलिखित हैं:

इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट आॅफ फिजिकल एजुकेशन एंड स्पोटर्स साइंस, दिल्ली।

लक्ष्मीबाई नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ फिजिकल एजुकेशन।

साई, एनएस साउथ सेंटर, यूनिवर्सिटी, बेंगलुरु।

साई, एनएस ईस्टन र्सेंटर, साल्ट लेक सिटी, कोलकाता।



स्वास्थ्य रहने के लिए टहलना जरुरी

No comments

Thursday, February 9, 2023



दिनभर की भागदौड़ के बाद रात में हालत ऐसी हो जाती है कि लोग रात का खाना  खाते ही बिस्तर पर पहुंच जाते हैं. अगर आप भी रोजाना ऐसा ही करते हैं, तो संभल जाइए. आपकी ये आदत आपको तमाम बीमारियों का शिकार बना सकती है. विशेषज्ञों की मानें तो खाना खाने के बाद कम से कम 20 से 30 मिनट की वॉक करना बहुत जरूरी होता है. इससे आपका पाचन तंत्र तो बेहतर होता ही है, साथ ही कई बीमारियों से बचाव होता है. जानें डिनर के बाद टहलने से शरीर को क्या फायदे मिलते हैं.

मेटाबॉलिज्म होता बूस्ट

रात को खाने के बाद करीब आधा घंटे की वॉक से आपकी कैलोरी काफी तेजी से बर्न होती है और आपका मेटाबॉलिज्म बू्स्ट होता है. आपको पाचन से जुड़ी समस्याएं नहीं होतीं और आपको कब्ज, अपच, गैस आदि परेशानियां नहीं सतातीं. साथ ही मोटापा बढ़ने का रिस्क कम होता है.

नींद आती बेहतर

रात को रोजाना टहलने से आपको नींद बेहतर आती है. ब्लड सकुर्लेशन बेहतर होता है. इससे आपका माइंड तनावमुक्त होता है और आपको नींद अच्छी आती है. नींद अच्छी आने से स्वास्थ्य भी बेहतर होता है.

इम्यून सिस्टम बेहतर होता

हमारे शरीर का इम्यून सिस्टम जितना बेहतर होता है, रोग की चपेट में आने की आशंका उतनी ही कम हो जाती है. रोजाना पैदल चलने से हमारे आंतरिक अंग बेहतर तरीके से काम करते हैं और इम्यून सिस्टम मजबूत होता है.

शुगर लेवल रहता नियंत्रित

जिन लोगों को डायबिटीज है, उनके लिए तो टहलना बहुत ही जरूरी बताया गया है. टहलने से शुगर लेवल नियंत्रित रहता है. इपरग्लेसेमिया का खतरा भी कम हो जाता है. अगर आपको डायबिटीज नहीं है, तो रोजाना खाने के बाद टहलने से आप डायबिटीज के खतरे से बचे रहते हैं.

तनाव कम करता

दिन भर काम करने के बाद शरीर तो थकता ही है, साथ ही तमाम टेंशन्स दिमाग में होती हैं. रोजाना टहलने से ये टेंशन कम होती है और मन शांत होता है. आजकल तमाम समस्याओं की वजह तनाव को माना जाता है. तनाव कम होने से ये समस्याएं भी नियंत्रित हो जाती हैं.

एक अंजीर के फायदे अनेक

No comments



नई दिल्ली। नाशपाती के आकार के इस छोटे से फल की अपनी कोई विशेष तेज सुगंध नहीं पर यह रसीला और गूदेदार होता है। रंग में यह हल्का पीला, गहरा सुनहरा या गहरा बैंगनी हो सकता है। इसे पूरा का पूरा छिलका बीज और गूदे सहित खाया जा सकता है। अंजीर में काबोर्हाइड्रेट 63 प्रतिशत, प्रोटीन 5.5 प्रतिशत, सेल्यूलोज 7.3 प्रतिशत, चिकनाई एक प्रतिशत, मिनरल सोल्ट 3 प्रतिशत, एसिड 1.2 प्रतिशत, राख 2.3 प्रतिशत और पानी 20.8 प्रतिशत होता है। इसके अलावा प्रति 100 ग्राम अंजीर में लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग आयरन, विटामिन, थोड़ी मात्रा में चूना, पोटैशियम, सोडियम, गंधक, फास्फोरिक एसिड और गोंद भी पाया जाता है। यह दूध का अच्छा आॅप्शन है। अंजीर एक स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और बहुपयोगी फल है। अंजीर के सेवन से मन प्रसन्न रहता है। यह स्वभाव कोमल बनाता है। कमजोरी दूर करता है और खांसी का नाश करता है। आइए हम आप को बताते है कि अंजीर के सेवन से क्या-क्या फायदे हो सकते है।

हड्डियों को मजबूत- 

अंजीर में कैल्शियम बहुत होता है, जो हड्डियों को मजबूत करने में सहायक होता है।

हाइपरटेंशन की समस्या- 

कम पोटैशियम और अधिक सोडियम लेवल के कारण हाइपरटेंशन की समस्या पैदा हो जाती है। अंजीर में पोटैशियम ज्यादा होता है और सोडियम कम होता है इसलिए यह हाइपरटेंशन की समस्या होने से बचाता है।

कब्ज- 

1-2 पके अंजीर दूध में उबालकर रात को सोने से पहलें खाएं और ऊपर से दूध का सेवन करें। इससे कब्ज में लाभ होता है या 1 अंजीर को रात को सोते समय पानी में डालकर रख दें। सुबह इसे अच्?छे से चबाकर खा लें और इसका पानी पी लें। कुछ ही दिनों में कब्ज की समस्?या हमेशा के लिए दूर हो जाएगी।

कमर दर्द- 

अंजीर की छाल, सोंठ, धनियां सब बराबर लें और कूटकर रात को पानी में भिगो दें। सुबह इसके बचे रस को छानकर पिला दें। इससे कमर दर्द में लाभ होता है।

अस्थमा- 

अस्थमा जिसमें कफ (बलगम) निकलता हो उसमें अंजीर खाना लाभकारी है। इससे कफ बाहर आ जाता है तथा रोगी को जल्दी ही आराम भी मिलता है। 2 से 4 सूखे अंजीर सुबह-शाम दूध में गर्म करके खाने से कफ की मात्रा घटती है, शरीर में नई शक्ति आती है और अस्थमा का रोग मिटता है।

शक्तिवर्धक- 

सूखे अंजीर के टुकड़े और छिले हुए बादाम को गर्म पानी में उबालें। इसे सुखाकर इसमें दानेदार शक्कर, पिसी इलायची, केसर, चिरौंजी, पिस्ता और बादाम बराबर मात्रा में मिलाकर 7 दिन तक गाय के घी में पड़ा रहने दें। रोजाना सुबह 20 ग्राम तक सेवन करें। इससे आपकी ताकत बढती है।

जुकाम- 

पानी में 5 अंजीर को डालकर उबाल लें और इस पानी को छानकर गर्म-गर्म सुबह और शाम को पीने से जुकाम में लाभ होता है।

सिर का दर्द-

सिरके या पानी में अंजीर के पेड़ की छाल की भस्म बनाकर सिर पर लेप करने से सिर का दर्द ठीक हो जाता है।

बवासीर- 

3-4 सूखे अंजीर को शाम के समय पानी में डालकर रख दें। सुबह अंजीरों को मसलकर प्रतिदिन सुबह खाली पेट खाने से बवासीर दूर होती है।

रक्तवृद्धि और रक्तविकार दूर- 

10 मुनक्के और 8 अंजीर 200 मिलीलीटर दूध में उबालकर खा लें। और उसी दूध को पी लें। इससे रक्त में वृद्धि और रक्त सम्बन्धी विकार दूर हो जाते है। दो अंजीर को बीच से आधा काटकर एक गिलास पानी में रात भर के लिए भिगो दें सुबह उसका पानी पीने से और अंजीर खाने से रक्त संचार बढ़ता है।

डायबिटीज के मरीजों के लिए रामबाण है अमरुद की पत्ती

No comments

Wednesday, January 4, 2023



नई दिल्ली। खान-पान में गड़बड़ी और शारीरिक व्यायाम की कमी के कारण इन दिनों देश में मधुमेह तेजी से फैल रहा है। आज लगभग हर चौथा व्यक्ति इस रोग से पीड़ित है। यह रोग धीरे-धीरे शरीर को भीतर से नष्ट कर देता है। इसलिए इस रोग को स्लो डेथ भी कहा जाता है। अमरूद ज्यादातर लोगों को पसंद होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि अमरूद के कई औषधीय और बेहतरीन स्वास्थ्य लाभ हैं? अमरूद का फल सेहतमंद होता है लेकिन इसके पत्ते भी बहुत फायदेमंद होते हैं। अमरूद की पत्तियों का उपयोग कई बीमारियों में एक पारंपरिक औषधि के रूप में भी किया जाता है। अमरूद की पत्तियों का अर्क पीने से कई स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने के अलावा एलर्जी की समस्या को भी दूर करता है। इसके अलावा अमरूद के पत्तों को उबालकर पीने से शरीर को कई तरह के फायदे मिलते हैं। आइए जानते हैं इसके बारे में-

क्या अमरूद मधुमेह के लिए अच्छा है ?

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन द्वारा मान्यता प्राप्त ब्रेथ वेल बीइंग के अनुसार अमरूद का ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। इसका तात्पर्य यह है कि इसका पाचन और अब्सॉर्प्शन धीरे-धीरे होता है और इस प्रकार यह धीरे-धीरे ग्लूकोज के स्तर में वृद्धि को प्रभावित करेगा। अमरूद में कम कैलोरी होती है। इसलिए, यह वजन घटाने में सहायता करता है। बहुत अधिक वजन मधुमेह का कारक है। यूएसडीए के अनुसार, लगभग 100 ग्राम अमरूद में 9 ग्राम नेचुरल शुगर और केवल 68 कैलोरी होती है। अमरूद में कम सोडियम और हाई पोटेशियम होता है और यह मधुमेह के लिए जरूरी डाइट की आवश्यकताओं में से एक को पूरा करता है।


नारियल पानी पीने से दिल रहेगा स्वस्थ, कम होगा मोटापा

No comments

Wednesday, November 2, 2022



गर्मियों में अपने शरीर को हाइड्रेट रखना बहुत जरूरी है। बढ़ते टेम्परेचर में बॉडी थकान और कमजोरी महसूस न करे, इसके लिए सबसे आसान तरीकों में से एक है नारियल पानी का सेवन। नारियल का पानी पीने से बॉडी में पानी की कमी नहीं होती है, साथ ही साथ यह बॉडी वेट कंट्रोल करने और स्किन को ग्लोइंग बनाने में भी मदद करता है। नारियल पानी पीना। नारियल पानी ना सिर्फ शरीर को हाइड्रेट रखता है, बल्कि यह हमारे वजन को भी नियंत्रित रखता है। इसे पीने का फायदा हमारी त्वचा पर नजर आता है। हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों के लिए नारियल पानी अमृत के सामान माना जाता है। यह नेचुरल वॉटर ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करता है। आज हम आपको गर्मी में नारियल पानी पीने के ऐसे ही कुछ फायदों के बारे में बताने जा रहे हैं।

दिल को रखे सेहतमंद

मेडिकलन्यूजटुडे के मुताबिक दिल के मरीजों के लिए नारियल पानी बहुत फायदेमंद साबित होता है। नारियल पानी में भरपूर मात्रा में पोटेशियम पाया जाता है। इसमें पाया जाने वाला पोटेशियम हाई ब्लड प्रेशर और दिल के रोगियों के लिए बहुत लाभकारी होती है।

हड्डियों को दे मजबूती

नारियल पानी ना सिर्फ हाई ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है, बल्कि ये हड्डी से जुड़ी कई प्रकार की बीमारियों में फायदा पहुंचाता है। नारियल पानी में कैल्शियम मौजूद होता है, जो दांतों और हड्डियों को मजबूत रखने में काफी असरदार होता है।

वजन घटाने में असरदार

जो लोग मोटापे की समस्या से ग्रसित होते हैं, उन्हें नारियल पानी पीने की सलाह दी जाती है। नारियल पानी में फैट की मात्रा बहुत कम होती है, और यह पूरे दिन आपको तरोताजा महसूस कराता है।

त्वचा में लाए निखार

नारियल पानी पीने से हमारे शरीर के साथ हमारी स्किन भी हाइड्रेट रहती है। जिससे त्वचा संबंधी कई परेशानियां अपने आप दूर हो जाती हैं। नारियल पानी पीने से त्वचा में निखार तो आता ही है, साथ ही साथ पिंपल्स और रैशेज की समस्याएं भी दूर होती हैं।

खाना पचाने में मददगार

नारियल पानी में भरपूर मात्रा में फाइबर और मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं। जो पेट से जुड़ी समस्याओं में काफी फायदेमंद हैं। नारियल पानी के रोजाना सेवन करने से कब्ज और एसिडिटी के साथ पेट की अन्य समस्याओं से छुटकारा मिलता है।

कम होता है किडनी स्टोन का खतरा

जिन लोगों को किडनी स्टोन की समस्या होती है वे भी नारियल पानी का सेवन कर सकते हैं। इसमें मौजूद पोषक तत्व किडनी में स्टोन बनने से रोकते हैं।

सेहत: सिरदर्द हल्के में न लें, हो सकता है बीमारियों का संकेत

No comments

Tuesday, October 11, 2022



इंग्लैंड के गेट्सहेड में 21 साल की जेसिका केन को अचानक सिरदर्द हुआ है, वह पेनकिलर खाकर सोई और उसकी मौत हो गई। दरअसल, जेसिका को मेनिंगोकॉकल मेनिनजाइटिस और सेप्टिकैमिया नाम की बीमारी हो गई थी जिसने उसकी जान ले ली। दरअसल, ये एक ऐसा इंफेक्शन है जिसमें बैक्टीरिया खून में प्रवेश करता है और बड़ी तेजी से फैलने लगता है। यह बैक्टीरिया खून में टॉक्सिन्स रिलीज करने लगता है जो जानलेवा साबित हो सकता है।

स्वास्थ्य समस्याओं को हल्के में न लें

हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं जो अपने सिरदर्द, बहती नाक, छींक आना, हल्का बुखार जैसी दिक्कतों को हल्के में लेते हैं और उसके इलाज के बारे में भी नहीं सोचते। लेकिन ये लक्ष।ा किसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या की ओर भी इशारा करते हैं जिस पर अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह आपके लिए बेहद हानिकारक और जानलेवा साबित हो सकता है। ऐसे में हम आपको बता रहे हैं आखिर क्यों आपको सिरदर्द को भी हल्के में नहीं लेना चाहिए। सिरदर्द भी कुछ गंभीर बीमारियों के संकेत हो सकता है। 

ब्लड क्लॉट

कई बार ब्रेन में अगर किसी तरह का ब्लड क्लॉट बन जाए तो उस वजह से भी हेडएक यानी सिरदर्द होने लगता है। अगर आपको कभी-कभार बहुत गंभीर सिरदर्द होने लगता है और दर्द बर्दाश्त के बाहर हो जाए तो आपको अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। अगर समय रहते इलाज न हो तो ये ब्लड क्लॉट स्ट्रोक में परिवर्तित हो सकते हैं जो जानलेवा भी साबित हो सकता है।

आप्टिक न्यूराइटिसअगर आंखों के पीछे वाले सिर के हिस्से में दर्द हो रहा तो यह आॅप्टिक न्यूराइटिस का लक्ष।ा हो सकता है। इसमें ब्रेन से आंखों तक जानकारी पहुंचाने वाली नसों को नुकसान पहुंचता है जिस वजह से देखने में दिक्कत होती है और कई बार विजिन लॉस भी हो सकता है।

माइग्रेन या ट्यूमर

लंबे समय तक सिरदर्द की समस्या है तो विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। यह माइग्रेन, ट्यूमर या नर्वस सिस्टम से जुड़ी दूसरी बीमारी भी हो सकती है। कभी-कभी ज्यादा दिनों तक सिरदर्द से संवेदी अंगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे इनकी कार्यक्षमता भी प्रभावित हो जाती है। सिरदर्द को लेकर भ्रम की स्थिति में कतई न रहें। 


पालक जरूरत से ज्यादा ना खाएं

No comments



पालक में आॅक्सालेट होते हैं, जो ऐसे यौगिक हैं जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर पथरी बना सकते हैं। ये पथरी पेशाब में आॅक्सालेट की मात्रा बढ़ने से बनती है। गुर्दे की पथरी का सबसे आम प्रकार कैल्शियम आॅक्सालेट स्टोन हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों को सेहत के लिए हमेशा ही अच्छा माना जाता है। जहां तक बात पालक की है, तो यह आयरन और विटामिन के सहित कई पोषक तत्वों का घर है। इसलिए हर किसी को इसका सेवन करने की सलाह दी जाती है। लेकिन अगर इसका सेवन आवश्यकता से अधिक किया जाए, तो यह सेहत के लिए नुकसानदायक भी हो सकते हैं। पालक में आॅक्सालेट की मात्रा अधिक होती है, और लंबे समय तक इनके अधिक सेवन से किडनी स्टोन का निर्माण हो सकता है। पालक में मौजूद विटामिन के रक्त को पतला करने वाली दवाओं और कुछ अन्य दवाओं की प्रभावशीलता को कम कर सकते हैं। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको पालक के अत्यधिक सेवन से होने वाले कुछ नुकसानों के बारे में बता रहे हैं-

किडनी स्टोन का बढ़ सकता है खतरा

पालक में आॅक्सालेट होते हैं, जो ऐसे यौगिक हैं जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर पथरी बना सकते हैं। ये पथरी पेशाब में आॅक्सालेट की मात्रा बढ़ने से बनती है। गुर्दे की पथरी का सबसे आम प्रकार कैल्शियम आॅक्सालेट स्टोन हैं। बता दें कि सौ ग्राम पालक में 970 मिलीग्राम आॅक्सालेट होता है। हालांकि, पालक को उबालने से आॅक्सलेट की मात्रा कुछ हद तक कम हो सकती है। पालक के साथ कैल्शियम आधारित भोजन मिलाने से भी पथरी बनने से रोका जा सकता है। 

ब्लड थिनर दवाओं की प्रभावशीलता हो सकती है कम

पालक में विटामिन के का उच्च स्तर होता है, एक खनिज जो रक्त को पतला करने की प्रभावशीलता को कम करता है। स्ट्रोक की शुरूआत को रोकने के लिए आमतौर पर ब्लड थिनर दिए जाते हैं। इसलिए, ऐसे व्यक्तियों को अपने पालक का सेवन कम करना चाहिए।

पेट की हो सकती हैं समस्याएं

पालक के अधिक सेवन से सूजन, गैस और ऐंठन का अत्यधिक निर्माण हो सकता है, क्योंकि आपके शरीर को पालक को पचाने के लिए समय की आवश्यकता होती है और यह सब एक बार में चयापचय नहीं कर सकता है। पालक फाइबर से भरपूर होता है और इसलिए इसे पचने में समय लगता है, जिससे पेट में दर्द, दस्त और बुखार हो सकता है।


मोटापा कम करने के लिए अपनाये नेचुरल तरीके

No comments

Friday, October 7, 2022



अगर आप नेचुरल तरीके से अपना वजन कम करना चाहते हैं तो ऐसे में नींबू के रस और जैतून के तेल को मिक्स करके लिया जा सकता है। हालांकि, इसका सही तरह से सेवन करना बेहद आवश्यक है। आप इसका सेवन सुबह खाली पेट करें। आज के समय में अधिकतर लोग अपने बढ़ते वजन के कारण परेशान रहते हैं और उसे कम करने के लिए तरह-तरह की फैन्सी डाइट, दवाई या पाउडर आदि का सेवन करते हैं। लेकिन अगर आप नेचुरल तरीके से अपने बढ़े हुए पेट व फैट को घटाना चाहते हैं तो ऐसे में आप घर पर ही एक बेहतरीन वेट लॉस ड्रिंक तैयार कर सकते हैं। अगर आप नेचुरल तरीके से अपना वजन कम करना चाहते हैं तो ऐसे में नींबू के रस और जैतून के तेल को मिक्स करके लिया जा सकता है। हालांकि, इसका सही तरह से सेवन करना बेहद आवश्यक है। आप इसका सेवन सुबह खाली पेट करें। इन दोनों ही इंग्रीडिएंट में एंटीआॅक्सीडेंट आपकी बॉडी को डिटॉक्स करने में मदद करते हैं, जिससे मेटाबॉलिज्म बूस्टअप होता है। इसके लिए आप जैतून के तेल में कुछ बूंदे नींबू के रस मिलाएं और इसका सेवन करें। करीबन आधे से एक घंटे बाद ब्रेकफास्ट करें। जैतून के तेल और नींबू के रस से वजन कम करने के लिए बेहद ही प्रभावशाली माना जाता है। दरअसल, इन दोनों ही इंग्रीडिएंट्स में एंटीआॅक्सीडेंट पाए जाते हैं, जो आपकी बॉडी को डिटॉक्स करने में मददगार साबित होते हैं। जब आप इसका सेवन करते हैं तो आपकी बॉडी जल्द ही लाइट व एक्टिव फील करती है। इसके अलावा, नींबू में मौजूद विटामिन सी शरीर को कार्निटाइन बनाने में मदद करता है। यह कार्निटाइन फैट को ऊर्जा में बदलने में मदद करता है, जिससे धीरे-धीरे फैट बर्न होने लगता है।  यूं तो नींबू के रस और जैतून के तेल से आपका वजन तेजी से कम होता है, लेकिन फिर भी आपको कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। मसलन, इसका बहुत अधिक मात्रा में सेवन ना करें, अन्यथा आपके दांतों को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा, अगर आपको एलर्जी है तो एक बार डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।


मानसून में बढ़ गया है जोड़ों का दर्द, तो जरूर करें एक्सरसाइज

No comments



मानसून एक ऐसा मौसम होता है, तो हड्डियों के लिए परेशानी खड़ी कर सकता है। इन दिनों में आपकी हड्डियों में अधिक दर्द होता है, जिससे कभी-कभी अपने दैनिक काम करना भी काफी मुश्किल हो जाता है। नमी के स्तर में बदलाव, वायुमंडलीय दबाव, तापमान में अचानक बदलाव और वर्षा के कारण मानसून शुरू होते ही बहुत से लोगों को जोड़ों में दर्द, मांसपेशियों में अकड़न और चोट के दर्द का अनुभव होता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उच्च आर्द्रता का स्तर रक्त को गाढ़ा कर सकता है, रक्त वाहिकाओं में रक्तचाप बढ़ा सकता है, और रक्त पंप करने के लिए किसी के शरीर को अधिक मेहनत कर सकता है। तो ऐसे में अपने जोड़ों की देखभाल करने के लिए आप कुछ आसान उपायों को अपना सकते हैं-

जरूर करें एक्सरसाइज

मानसून के दौरान जोड़ों के दर्द को मैनेज करने का सबसे अच्छा उपाय व्यायाम है। नियमित रूप से स्ट्रेचिंग और शारीरिक गतिविधियां इस तरह के दर्द को रोक कर रखेंगी। इस मौसम में लंबे समय तक बैठे रहने से बचना चाहिए। यदि काम के लिए लंबे समय तक बैठने की आवश्यकता है, तो सुनिश्चित करें कि आप हर आधे घंटे में खड़े हों और चलें।  

लें हॉट शॉवर

गर्म पानी से नहाने से रक्त संचार बेहतर होता है और मानसून के दौरान जोड़ों का दर्द कम होता है। इसलिए, हॉट शॉवर लें।

हॉट व कोल्ड कंप्रेस का लें सहारा

ऐसा करने से बारिश के मौसम में जोड़ों के दर्द और परेशानी से निपटने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, तेल लगाएं और रक्त परिसंचरण को बढ़ाने के लिए जोड़ों के क्षेत्र में धीरे से मालिश करें।

एसी का प्रयोग न करें

अगर आप मानसून में भी एसी का अधिक प्रयोग करते हैं, तो यह आपके जोड़ों की समस्या को बढ़ा सकता है और आपको दर्द हो सकता है। इसलिए, मानसून में एसी का इस्तेमाल करने से बचें

पीएं पर्याप्त पानी 

बरसात के मौसम में जोड़ों के दर्द को प्रबंधित करने के लिए पानी की मात्रा का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। यदि आप पर्याप्त पानी पीते हैं तो यह आपको जोड़ों की लोच बनाए रखने में मदद करेगा। जिससे आपको अपेक्षाकृत कम दर्द होगा।

अर्जुन फल: सांसों की दुर्गंध से मिलता है छुटकारा

No comments



अर्जुन फल: सांसों की दुर्गंध से मिलता है छुटकारा

ंऐसे कई लोग होते हैं जो सांसों की बदबू के कारण परेशान रहते हैं और ऐसे में उन्हें किसी से बात करने में भी शर्मिन्दगी महसूस करते हैं। अगर आपका नाम भी ऐसे ही लोगों की लिस्ट में शामिल है तो आप अर्जुन के फल का सेवन करें। अर्जुन के वृक्ष को भारत में व्यापक रूप से उगाया जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए बेहद ही गुणकारी माना गया है। दरअसल, इसमें एंटीआॅक्सिडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीमाइक्रोबियल जैसे विभिन्न औषधीय गुण होते हैं। अर्जुन हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में मदद करता है। यह हृदय की मांसपेशियों को मजबूत और टोन करता है और हृदय के समुचित कार्य में मदद करता है। इतना ही नहीं, यह उच्च रक्तचाप से लेकर दस्त, अस्थमा और खांसी आदि कई तरह की समस्याओं को दूर करने में सहायक है। तो चलिए आज इस लेख में हम आपको अर्जुन के फल से मिलने वाले कुछ बेमिसाल फायदों के बारे में बता रहे हैं-

सांसों की दुर्गंध से मिलता है छुटकारा

ऐसे कई लोग होते हैं जो सांसों की बदबू के कारण परेशान रहते हैं और ऐसे में उन्हें किसी से बात करने में भी शर्मिन्दगी महसूस करते हैं। अगर आपका नाम भी ऐसे ही लोगों की लिस्ट में शामिल है तो आप अर्जुन के फल का सेवन करें। इस फल में ऐसे होते हैं जो आपके मसूड़ों की समस्याओं और दांतों से खून बहने में भी मदद कर सकते हैं और आपको ताजा सांसें प्रदान करते हैं।

हड्डियों का रखते हैं ख्याल

अगर आप किसी किसी भी प्रकार की हड्डी की समस्या से पीड़ित हैं, तो आपको अपने आहार में अर्जुन फल को अवश्य शामिल करना चाहिए। आप इसका जूस बनाकर पी सकते हैं या इसे कच्चा खा सकते हैं। यह आपको आॅस्टियोपोरोसिस और गठिया जैसी हड्डियों की परेशानी में भी मदद कर सकता है। 

ओरल हेल्थ की समस्याओं को करें दूर 

अर्जुन फल खाने से वास्तव में आपकी मसूड़ों की समस्याओं को कम करने और दांतों के स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिल सकती है। यह दांतों से खून बहने से लेकर दांत दर्द, मसूड़ों में दर्द या मसूड़ों से खून बहना आदि समस्याओं के उपचार में प्रभावी है। आप इस फल को जूस या कच्चा खा सकते हैं। इसके अलावा, अर्जुन के फल के पाउडर का सेवन भी कर सकते हैं और इसे पेस्ट के रूप में उस जगह पर लगा सकते हैं जहां आपको मसूड़े या दांतों की समस्या हो रही है। हालांकि, यह उपाय अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें।


Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'