'शाहरुख हुसैन 10-15 दिन से मुझे परेशान कर रहा था। ... मेरा मोबाइल नम्बर ले लिया था। मुझे फोन करके दोस्ती करने का दबाव बना रहा था।''22 अगस्त की रात शाहरुख ने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैं उसकी बात नहीं मानूंगी तो वह मुझे मार देगाङ्घ 23 अगस्त की सुबह शाहरुख ने पेट्रोल छिड़ककर मुझे जला डाला।'ये दोनों बयान अंकिता सिंह के दम तोड़ने से पहले के आखिरी बयान हैं। झारखंड के दुमका की रहने वाली अंकिता को शाहरुख हुसैन नामक के शख्स ने पेट्रोल डालकर जला दिया था। 5 दिन बाद 29 अगस्त रात 2.30 बजे अस्पताल में अंकिता जिंदगी की जंग हार गई। इस एक्सप्लेनर में जानेंगे कि किसी पीड़ित का मरने से पहले दिया बयान कितना अहम होता है? कैसे ये दोषी को फांसी तक पहुंचा सकता है? आखिर क्या है अंकिता की कहानी?
पीड़ित का मरने से पहले बयान या डाइंग डिक्लेरेशन क्या है?
किसी भी अपराध में पीड़ित के मरने से पहले दिए गए बयान या डाइंग डिक्लेरेशन को सच्चा सबूत माना जाता है।इंडियन एविडेंस एक्ट, 1872 के सेक्शन-32 (1) के मुताबिक डाइंग डिक्लेरेशन रेलिवेंट फैक्ट्स या संबंधित तथ्यों से जुड़ा किसी व्यक्ति का लिखित या मौखिक बयान होता है, जिसे देने के बाद उसकी मौत हो चुकी हो।इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील विराग गुप्ता ने कहा, 'मरने से पहले का बयान मौखिक, लिखित या संकेतों के आधार पर दिया जा सकता है।'उदाहरण के लिए झारखंड केस में जिंदा जलाई गई अंकिता ने अस्पताल में दम तोड़ने से पहले अपनी मौत की वजह शाहरुख हुसैन नामक शख्स के उस पर पेट्रोल डालकर आग लगाने को बताया था। अंकिता का ये बयान ही मरने से पहले का बयान या डाइंग डिक्लेरेशन है।