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फर्जी सील, सर्टिफिकेट दिखाकर 10 संस्थाओं ने 19 हजार युवाओं को कागजों में करा दी ट्रेनिंग

Tuesday, August 30, 2022

/ by Today Warta



मप्र में 17.50 करोड़ रु. बजट वाली एक ट्रेनिंग स्कीम में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। केंद्र के जल जीवन मिशन योजना के तहत 50 हजार युवाओं को रोजगार प्रशिक्षण देना था। मप्र राज्य कौशल विकास एवं रोजगार बोर्ड को इसका जिम्मा मिला। बोर्ड ने 14 संस्थाओं को ट्रेनिंग देने के लिए 8.50 करोड़ रु. का काम सौंपा। इनमें से 10 संस्थाओं के पास सवा छह करोड़ रु. का काम था।

इन्होंने फर्जी प्रमाण पत्र और सील बनाकर पहले काम हासिल किया। फिर कागजों में कुछ मृतक और ओवरएज सहित करीब 19 हजार लोगों को ट्रेनिंग देना बता दिया। मई में शिकायतें मिलीं तो बोर्ड ने जांच बैठाई। पेमेंट से पहले ही जांच में पता चला कि इन संस्थाओं ने बड़ा फर्जीवाड़ा किया।

फिलहाल 29 जून 2022 को सभी संस्थाओं के संचालकों को बोर्ड ने नोटिस भेजे हैं। इसमें बताया गया है कि यह फर्जीवाड़ा भादवि की धारा 471, 463, 464 की श्रेणी में आता है। आप 7 दिन में इस पर जवाब दें। जवाब आए, लेकिन बोर्ड इससे संतुष्ट नहीं हुआ। इसलिए दोबारा नोटिस भेजे।

10 अफसरों की मूल्यांकन समिति ने इन 14 संस्थाओं को चुना, अब वे ही सवालों में

इस ट्रेनिंग का बजट काफी ज्यादा था और 50 हजार लोगों को ट्रेंड भी करना था। इसके लिए संस्थाओं को प्रत्येक ट्रेनी के बदले 2000 रु. का पेमेंट होना है। जबकि 500 रु. का स्टाइपेंड प्रत्येक युवा को मिलना है। अन्य खर्च 800 रु. है। इसलिए बोर्ड ने इसकी 24 सितंबर 2021 को आरपीएल जारी की। इसी के तहत 52 संस्थाओं ने एप्लाई किया।

संस्थाओं के चयन के लिए बोर्ड ने 10 अफसरों की मूल्याकंन समिति बनाई, जिसने 14 संस्थाओं को चुना। संस्थाओं ने फर्जी काम शुरू किए और फरवरी से मई 2022 तक कई लोगों को ट्रेनिंग देना बता दिया।

मई में फर्जीवाड़े की शिकायतें हुईं तो जांच कराई गई और ट्रेनिंग बंद करा दी गई। जांच में आरएफपी के साथ प्रस्तुत दस्तावेजों में 10 संस्था की सील व टीओटी प्रमाण पत्र फर्जी मिले। 4 संस्थाएं चयन प्रक्रिया का उल्लंघन करती मिलीं।

हर घर तक नल पहुंचाने वाली है केंद्र सरकार की योजना

केंद्र की नल जल योजना के तहत हर घर तक पानी की लाइन पहुंचाई जा रही है। इनके मेंटनेंस के लिए शहरी व ग्रामीण क्षेत्र में 50 हजार युवाओं को 4 ट्रेड असिस्टेंट इलेक्ट्रिशियन, प्लंबिंग, मिस्त्री और कंस्ट्रक्शन फिटर में शॉर्ट टर्म ट्रेनिंग दी जानी है।

इन पर हो सकती है कार्रवाई

फिजीकल वेरिफिकेशन के लिए बनी समिति में ज्यादातर दूसरे विभाग से प्रतिनियुक्ति पर रोजगार बोर्ड में आए हैं। इसी में आईटीआई गोविंदपुरा के प्रशिक्षण अधिकारी राजेश शर्मा और आरके गुप्ता भी हैं। बोर्ड की सीईओ ने इन्हें वापस मूल विभाग भेजने के लिए लिखा है। बाकी 8 अफसरों पर भी जल्द कार्रवाई हो सकती है।

अब बड़ा सवाल

अफसरों ने चयन के वक्त संस्थाओं और उनके दस्तावेजों की ठीक से जांच क्यों नहीं की? क्योंकि आरपीएल में शर्त थी कि जो संस्था ट्रेनिंग कराएगी, उसे इसका अनुभव हो। लेकिन अफसरों ने बना अनुभव जांचे करोड़ों का काम सौंप दिया।

जिम्मेदारों के तर्क- फर्जीवाड़ा करने वाले बचेंगे नहीं

मामले की जांच कराई है। जो गड़बड़ियां सामने आई, उनके आधार पर नोटिस भेजे हैं। फर्जीवाड़ा करने वाली एक भी संस्था बच नहीं पाएगी।- शैलेंद्र शर्मा, चेयरमैन, रोजगार निर्माण बोर्ड

30 दिन में जवाब देना होगा

ब्लैक लिस्टिंग और अनुबंध समाप्ति से पहले 14 एजेंसियों को 30 दिन का नोटिस दिया गया है। उनका जवाब मिलने के बाद हम कार्रवाई करेंगे।

– षणमुख प्रिया मिश्रा, सीईओ, रोजगार निर्माण बोर्ड

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