नोटबंदी के दौरान हुआ घोटाला
दुर्गेश पाठक दुर्गेश पाठक ने कहा कि यह पूरा घोटाला 8 नवंबर 2016 के बाद नोटबंदी के दौरान हुआ। मैं सदन को बताना चाहता हूं कि उस समय खादी में तैनात दो कैशियर संजीव कुमार और प्रतीक यादव ने इस घोटाले को उजागर किया। उन्होंने कई जगह लिखित शिकायत दी। जांच समितियों के सामने लिखित बयान दिया कि कैसे तत्कालीन चेयरमैन के दबाव में भवन प्रबंधक की निगरानी में यह घोटाला चल रहा था। दिल्ली ब्रांच में पुराने नोट को नए से बदले जा रहे थे। पाठक के मुताबिक, संजीव कुमार ने लिखित बयान में कहा कि मैंने 500-1000 रुपये का पुराना नोट भवन प्रबंधक के कहने पर स्वीकार किया। जब मैंने उनसे मना किया तो उन्होंने कहा कि यह चेयरमैन ने कहा है। वही, चेयरमैन आज दिल्ली के एलजी हैं। मैं डर गया था, क्योंकि इससे पहले दो लोगों का बात नहीं मानने पर दिल्ली से तबादला हुआ था। संजीव ने बताया कि वह दुखी मन से नोटों को बदल रहे थे और ब्रांच की तरफ से बैंक में जमा कर रहे थे। उन्होंने लिखित बयान दिया है कि वह डर के मारे छुट्टी पर चले गए, तो उनकी जगह आए प्रतीक यादव से भी यही काम कराया गया। प्रतीक ने भी लिखित में यह बयान कई जगहों पर दिए हैं।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि देशभर में खादी के कुल 7000 ब्रांच हैं। अगर एक ब्रांच पर 22 लाख रुपये के नोट बदले गए तो पूरे देश की गणना करें तो यह 1400 करोड़ रुपये बैठता है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस मामले की जांच हुई तो उस जांच समिति का अध्यक्ष भी तत्कालीन चेयरमैन को बना दिया गया। उसमें दोषियों को प्रमोशन मिला, लेकिन मामला उठाने वाले कैशियर को निलंबित कर दिया गया। सीबीआई ने तत्कालीन चेयरमैन के खिलाफ मामला भी दर्ज नहीं किया। हमारी मांग है कि सीबीआई जांच हो।
स्कूलों पर एलजी ने जवाब मांगा
उपराज्यपाल सक्सेना ने सरकारी स्कूलों में पंजीकरण कम होने और बड़ी संख्या में बच्चों की अनुपस्थिति पर सरकार से जवाब मांगा है। राजनिवास के सूत्रों के मुताबिक, मुख्य सचिव को लिखे पत्र में कहा गया है कि इसके पीछे क्या कारण रहे हैं, इसकी जानकारी प्राथमिकता के आधार पर दी जाए। दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच अब शिक्षा के मुद्दे पर टकराव की स्थिति बनती दिख रही है। सूत्रों के मुताबिक, उपराज्यपाल सचिवालय की ओर से मुख्य सचिव को लिखे पत्र में दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को लेकर सवाल किए गए हैं। पत्र में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में बच्चों के पंजीकरण घटने के कारण तलाशे जाने चाहिए, क्योंकि वर्ष 2014-15 में सरकारी स्कूलों में 15.42 लाख बच्चे पंजीकृत थे। वहीं, वर्ष 2019 में यह घटकर 15.19 लाख रह गई। पत्र में बड़ी संख्या में बच्चों के अनुपस्थित रहने पर भी सवाल किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि अवधि में शिक्षा पर सरकार के खर्च में इजाफा हुआ है। वर्ष 2014-15 में जहां सरकार 6145.03 करोड़ खर्च कर रही थी। वहीं, 2019-20 में खर्च बढ़कर 11,081.09 करोड़ रुपये हो गया। वर्ष 2017 से 2022 तक के बीच 55 से 61 फीसदी बच्चे अनुपस्थित रहे हैं।
सिसोदिया की बर्खास्तगी तक प्रदर्शन जारी रहेगा
प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली भाजपा की ओर से 1000 से अधिक चौक-चौराहों पर सोमवार को विरोध-प्रदर्शन किया गया। यह प्रदर्शन नई आबकारी नीति के खिलाफ उपमुख्यमंत्री को पार्टी से बर्खास्त करने की मांग को लेकर था।
आदेश गुप्ता ने आईटीओ चौक पर प्रदर्शन के दौरान कहा कि दिल्ली सरकार ने शराब माफियाओं के 144 करोड़ रुपये माफ किए और फिर 30 करोड़ रुपये वापस कर दिए। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की जनता के सवालों से बचने की नौबत सिर्फ दिल्ली सरकार के पास इसलिए आई है, क्योंकि भ्रष्टाचार करने से पहले उन्होंने यह नहीं सोचा कि इसका खुलासा भी होगा। नेता प्रतिपक्ष ने जनपथ चौक, कनॉट प्लेस में प्रदर्शन करते हुए कहा कि आप और पूरी टीम पिछले कई दिनों से लगातार आबकारी नीति में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए झूठ बोल रही है। आज स्थिति यह है कि सिर्फ भाजपा ही नहीं, बल्कि दिल्ली की जनता भी सवाल पूछ रही है कि शराब नीति में किए गए घोटालों के पैसों का क्या किया।