कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप ?
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।
मां कूष्मांडा की पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन प्रात: स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है। पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। चौथे नवरात्रि में देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।