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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाक के बीच बढ़ा तनाव

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Thursday, May 22, 2025

 


भारत और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ गया है। इसकी वजह है भारत द्वारा हाल ही में चलाया गया एक सैन्य अभियान, जिसे 'ऑपरेशन सिंदूर' कहा गया। इस ऑपरेशन में भारत ने पाकिस्तान सीमा के पार आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।

भारतीय सेना के अनुसार, यह ऑपरेशन एक विशेष मिशन था जिसमें उन आतंकी ठिकानों पर हमला किया गया जो भारत पर हमले की योजना बना रहे थे। सेना का कहना है कि यह कार्रवाई सटीक और सफल रही। देशभर में लोगों ने भारतीय सेना और सरकार की इस कड़ी कार्रवाई की सराहना की है।

वहीं पाकिस्तान ने इस ऑपरेशन का कड़ा विरोध किया है। पाकिस्तान की सरकार ने चेतावनी दी है कि अगर ऐसे हमले दोबारा हुए तो उसके गंभीर परिणाम होंगे। इस बयान के बाद दोनों देशों के बीच तनाव और भी बढ़ गया है।

सीमा पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है और सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। कई जगहों पर स्कूल और बाजार एहतियातन बंद कर दिए गए हैं।

इस बीच, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच हुए हालिया सीजफायर (गोलीबारी बंद) का श्रेय उन्हें जाता है। ट्रंप का कहना है कि उन्होंने दोनों देशों के बीच शांति के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

हालांकि, भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ट्रंप के दावे को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से सीधे बातचीत के जरिए शांति की दिशा में कदम बढ़ाया और इसमें किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं थी।

फिलहाल, दोनों देशों के बीच माहौल बहुत नाजुक बना हुआ है। लोग उम्मीद कर रहे हैं कि यह तनाव किसी बड़े टकराव में न बदले। सरकार और सेना स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।

आज से नवरात्रि आरंभ

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Wednesday, March 22, 2023



चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो चुका है। नवरात्रि में पूरे 9 दिनों तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-उपासना की जाती है। मान्यता है कि इन दिनों माता रानी अपने भक्तों के मनोरथों को पूर्ण करने पृथ्वी पर आती हैं। माना जाता कि जिस वाहन पर सवार होकर देवी आती हैं, उस वाहन को शुभ-अशुभ फल का सूचक माना गया है। इसका प्रकृति से लेकर मनुष्य जीवन पर बहुत प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष के अनुसार, माता रानी इस बार नौका में सवार होकर आएंगी ,नौका पर सवार होकर आना सर्वसिद्धिदायक होता है। नवरात्रि के नौ दिनों में व्रत रखने और पूजन करने वालों के लिए कुछ नियम होते हैं। साथ ही इन नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों को उनका प्रिय भोग लगाकर मां का आशीर्वाद पाया जा सकता है।  

मां शैलपुत्री

माता शैलपुत्री हिमालय की पुत्री हैं, इसीलिए इनको सफेद रंग बेहद प्रिय है। इस दिन मां को गाय के घी का भोग लगाना शुभ माना गया है। फल- मान्यता है कि ऐसा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और देवी माँ अपने भक्तों को हर संकट से मुक्ति देती है।

मां ब्रह्मचारिणी

इस दिन मां ब्रह्मचारिणी को अन्य भोग के अलावा शक्कर और पंचामृत का भोग लगाना चाहिए। फल- मान्यता है कि यह भोग लगाने से माँ दीर्घायु होने का वरदान देती हैं। इनके  पूजन-अर्चना से आपके व्यक्तित्व में वैराग्य, सदाचार और संयम बढ़ने लगता है।

मां चंद्रघंटा

मां को दूध से बनी मिठाइयां, खीर आदि का भोग लगाएं, जिससे माता चंद्र घंटा अधिक प्रसन्न होती हैं। फल-मान्यता है कि ऐसा करने से धन-वैभव व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है साथ ही इनकी पूजा-अर्चना से मानव सांसारिक कष्टों से मुक्ति पाते हैं।

स्वरूप मां कूष्मांडा

नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा अर्चना की जाती है और माता को मालपुए का भोग लगाया जाता है।फल- ऐसा करने से बुद्धि का विकास होता है और मनोबल भी बढ़ता है।

मां स्कंदमाता

पांचवें दिन दुर्गाजी के पंचम स्वरुप माता स्कंदमाता की पूजा की जाती है और माता को केले का भोग चढ़ाया जाता है। फल-कहा जाता है कि माता को केले का भोग लगाने से सभी शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है,बच्चों का करियर अच्छा रहता है।

मां कात्यायनी

माता कात्यायनी को भोग के रूप में लौकी, मीठे पान और शहद चढ़ाया जाता है। फल-ऐसा करने से आकर्षण शक्ति में वृद्धि के योग बनते हैं और घर से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

मां कालरात्रि

माता कालरात्रि शत्रुओं का नाश करने वाली होती हैं। इस दिन देवी कालरात्रि को गुड़ से निर्मित भोग लगाना चाहिए। फल- मान्यता है कि इस दिन यह भोग लगाने से मां रोग व शोक से मुक्ति देती हैं और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

मां महागौरी

माता महागौरी को नारियल का भोग बेहद प्रिय है, इसीलिए नवरात्रि के आठवें दिन आप भोग के रूप में नारियल चढ़ाएं। फल- मनोवांछित फल प्राप्त होगा और घर में कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।

मां सिद्धिदात्रि

नवरात्रि का नौवां दिन माता सिद्धिदात्री का है। देवी सिद्धिदात्री को घर में बने हलवा-पूड़ी और खीर का भोग लगाकर कन्या पूजन करना चाहिए। फल- मान्यता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं।

11 मुखी बजरंगबली की पूजा कई मायनों में बहुत फलदायक

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Thursday, November 24, 2022



11 मुखी हनुमान जी के विभिन्न मुख विभिन्न शक्त्तियों के परिचायक हैं। एक भगवान में ही सारी शक्तियां निहित हैं। ऐसे में 11 मुखी बजरंगबली की पूजा कई मायनों में बहुत फलदायक है। हनुमान जी कि शक्तियां जब 11 मुखी हनुमान जी के साथ जुड़ती हैं तो ये चमत्कारिक रूप से और बढ़ जाती हैं। भक्त हनुमान जी से एक साथ कई आशीर्वाद पाने की चाह में 11 मुखी हनुमान जी की आराधाना करते हैं। क्योंकि बजरंगबली का हरएक मुख अपनी अलग शक्तियों और व्यक्तित्व के लिए जाना जाता है, इसलिए भगवान की पूजा से अलग-अलग फल की प्राप्ति भी होती है। भगवान की पूजा करने से एक साथ कई मनोकामनाओं की पूर्ति हो जाती है। हालांकि 11 मुखी हनुमान जी की मूर्ति या मंदिर हर जगह आसानी से नहीं मिलती जबकि एक मुखी हनुमान जी हर जगह मौजूद हैं। एक मुखी के बाद पंचमुखी हनुमान जी के मंदिर होते हैं। लेकिन ये मंदिर भी कम ही मिलते हैं। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि 11 मुखी हनुमान जी की पूजा कितनी विशेष होती होगी। आइए आज भगवान के इन मुखों से उनकी शक्ति और व्यक्तित्व के बारे में जानें।

1. पूर्वमुखी हुनमान जी- पूर्व की तरफ मुख वाले बजरंबली को वानर रूप में पूजा जाता है। इस रूप में भगवान को बेहद शक्तिशाली और करोड़ों सूर्य के तेज के समान बताया गया है। शत्रुओं के नाश के बजरंगबली जाने जाते हैं। दुश्मन अगर आप पर हावी हो रहे तो पूर्वमूखी हनुमान की पूजा शुरू कर दें।

2. पश्चिममुखी हनुमान जी- पश्चिम की तरफ मुख वाले हनुमानजी को गरूड़ का रूप माना जाता है। इसी रूप संकटमोचन का स्वरूप माना गया है। मान्यता है कि भगवान विष्णु का वाहन गरुड़ अमर है उसी के समान बजरंगबली भी अमर हैं। यही कारण है कि कलयुग के जाग्रत देवताओं में बजरंगबली को माना जाता है।

3. उत्तरामुखी हनुमान जी- उत्तर दिशा की तरफ मुख वाले हनुमान जी की पूजा शूकर के रूप में होती है। एक बात और वह यह कि उत्तर दिशा यानी ईशान कोण देवताओं की दिशा होती है। यानी शुभ और मंगलकारी। इस दिशा में स्थापित बजरंगबली की पूजा से इंसान की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। इस ओर मुख किए भगवान की पूजा आपको धन-दौलत, ऐश्वर्य, प्रतिष्ठा, लंबी आयु के साथ ही रोग मुक्त बनाती है।

4. दक्षिणामुखी हनुमान जी- दक्षिण मुखी हनुमान जी को भगवान नृसिंह का रूप माना जाता है। दक्षिण दिशा यमराज की होती है और इस दिशा में हनुमान जी की पूजा से इंसान के डर, चिंता और दिक्कतों से मुक्ति मिलती है। दक्षिणमुखी हनुमान जी बुरी शक्तियों से बचाते हैं।

5.ऊर्ध्वमुख- इस ओर मुख किए हनुमान जी को ऊर्ध्वमुख रूप यानी घोड़े का रूप माना गया है। इस स्वरूप की पूजाकरने वालों को दुश्मनों और संकटों से मुक्ति मिलती है। इस स्वरूप को भगवान ने ब्रह्माजी के कहने पर धारण कर हयग्रीवदैत्य का संहार किया था।

6. पंचमुखी हनुमान- पंचमुखी हनुमान के पांच रूपों की पूजा की जाती है। इसमें हर मुख अलग-अलग शक्तियों का परिचायक है। रावण ने जब छल से राम लक्ष्मण बंधक बना लिया था तो हनुमान जी ने पंचमुखी हनुमान का रूप धारण कर अहिरावण से उन्हें मुक्त कराया था। पांच दीये एक साथ बुझाने पर ही श्रीराम-लक्षमण मुक्त हो सकते थे इसलिए भगवान ने पंचमुखी रूप धारण किया था। उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख में वह विराजे हैं।

7. एकादशी हनुमान- ये रूप भगवान शिव का स्वरूप भी माना जाता है। एकादशी रूप रुद्र यानी शिव का 11वां अवतार है। ग्यारह मुख वाले कालकारमुख के राक्षस का वध करने के लिए भगवान ने एकादश मुख का रुप धारण किया था। चैत्र पूर्णिमा यानी हनमान जयंती के दिन उस राक्षस का वध किया था। यही कारण है कि भक्तों को एकादशी और पंचमुखी हनुमान जी पूजा सारे ही भगवानों की उपासना समना माना जाता है।

8. वीर हनुमान- हनुमान जी के इस स्वरूप की पूजा भक्त साहस और आत्मविश्वास पाने के लिए करते हें। इस रूप के जरिये भगवान के बल, साहस, पराक्रम को जाना जाता है। अर्थात तो भगवान श्रीराम के काज को संवार सकता है वह अपने भक्तों के काज और कष्ट क्षण में दूर कर देते हैं।

9. भक्त हनुमान- भगवान का यह स्वरूप में श्रीरामभक्त का है। इनकी पूजा करने से आपको भगवान श्रीराम का भी आर्शीवद मिलता है। बजरंगबली की पूजा अड़चनों को दूर करने वाली होती है। इस पूजा से भक्तों में एग्राता और भक्ति की भावना जागृत होती है।

10. दास हनुमान- बजरंबली का यह स्वरूप श्रीराम के प्रति उनकी अनन्य भक्ति को दिखाता है। इस स्वरूप की पूजाकरने वाले भक्तों को धर्म कार्य और रिश्ते-नाते निभाने में निपुणता हासिल होती है। सेवा और समर्णण का भाव भक्त इस स्वरूप के जरिये ही पाते हैं।

11. सूर्यमुखी हनुमान- यह स्वरूप भगवान सूर्य का माना गया है। सूर्य देव बजरंगबली के गुरु माने गए हैं। इस स्वरूप की पूजा से ज्ञान, प्रतिष्ठा, प्रसिद्धि और उन्नति का रास्ता खोलता है। क्योंकि श्रीहनुमान के गुरु सूर्य देव अपनी इन्हीं शक्तियों के लिए जाने जाते हैं।

अगर आपकी बहुत सी मनोकामनाएं हैं जिन्हें आप एक साथ भगवान हनुमान से पूरी कराने की चाह रखते हैं तो 11 मुखी हनुमान जी की पूजा करना आपके लिए फलदायी होगा। यह पूजा हमेशा मंदिर में ही करनी चाहिए।

शारदीय नवरात्रि : चौथे दिन करें मां कूष्मांडा की पूजा

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Thursday, September 29, 2022

नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि के पावन दिनों की शुरूआत हो चुकी है। नवरात्रि में मां दुर्गा के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा का विधान है। नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है। 29 अगस्त को नवरात्रि का चौथा दिन है। देवी दुर्गा के सभी स्वरूपों में मां कूष्मांडा का स्वरूप बहुत ही तेजस्वी है। मां कूष्मांडा सूर्य के समान तेज वाली हैं। जगत जननी मां जगदंबे के चौथे स्वरूप का नाम कूष्माण्डा है। अपनी मंद हंसी द्वारा संपूर्ण कूष्मांडा को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है। मां कूष्मांडा की पूजा से बुद्धि का विकास होता है और जीवन में निर्णय लेने की शक्ति बढ़ती है। ऐसे में चलिए जानते हैं मां कूष्मांडा की पूजा विधि और के बारे में...  

कैसा है मां कूष्मांडा का स्वरूप ? 

मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं, इसलिए इन्हें अष्टभुजा भी कहा जाता है। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। वहीं आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है। मां कुष्मांडा को कुम्हड़े की बलि अति प्रिय है और संस्कृत में कुम्हड़े को कूष्मांडा कहते हैं। इसीलिए मां दुर्गा के इस रूप को कूष्मांडा कहा जाता है।

मां कूष्मांडा की पूजा विधि 

नवरात्रि के चौथे दिन प्रात: स्नान आदि के बाद माता कूष्मांडा को नमन करें। मां कूष्मांडा को इस निवेदन के साथ जल पुष्प अर्पित कर मां का ध्यान करें। कहा जाता है कि यदि कोई लंबे समय से बीमार है, तो मां कूष्मांडा की विधि-विधान से की गई पूजा उस व्यक्ति को अच्छी सेहत प्रदान करती है।  पूजा के दौरान देवी को पूरे मन से फूल, धूप, गंध, भोग चढ़ाएं। चौथे नवरात्रि में देवी मां को मालपुए का भोग लगाना चाहिए। पूजा के बाद मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं। इसके बाद प्रसाद को किसी ब्राह्मण को दान करें। आखिर में अपने से बड़ों को प्रणाम कर प्रसाद वितरित करें और खुद भी प्रसाद ग्रहण करें।

आज नवरात्र की द्वितीया तिथि !! देवी ब्रह्मचारिणी !!

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Tuesday, September 27, 2022



आज मां दुर्गा के देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने का विधान, मंत्र और आरती🕉️🔱

आज नवरात्र की द्वितीया तिथि है और मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है।

आज  मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा किया जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न मंत्र के माध्यम से की जाती है-

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डल

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

अर्थात् जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।

🚩🚩🚩🕉️🚩🚩🚩

1. 🕉️ माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र🕉️

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

2.या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3.माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र🕉️

a)ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः

b)ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम

☸️माँ ब्रह्मचारिणी कवच❇️

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी

🕉️ माँ ब्रह्मचारिणी स्तोत्र 🕉️

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

माता ब्रह्मचारिणी कथा📕📘✍🏻🚩

मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी | इसलिए इन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है | मां ब्रह्मचारिणी कई हजार वर्षों तक जमीन पर गिरे बेलपत्रों को खाकर भगवान शंकर की आराधना करती रहीं और बाद में उन्होंने पत्तों को खाना भी छोड़ दिया, जिससे उनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा

⛳🚩मां ब्रह्मचारिणी की आरती🚩⛳

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

भोग🍚🍚🍎🥥

मां ब्रह्मचारिणी को पीला फूल और भोग बहुत प्रिय है

देवी को इस दिन पीले फूल अर्पित करें। चाहें तो गुड़हल या कमल फूल भी चढ़ा सकते है। साथ में देवी को अक्षत, रोली और चंदन लगाएं। इस दिन देवी को केसरिया मिठाई, केला आदि का भोग लगाना चाहिए।

तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम देती है मां ब्रह्मचारिणी

🚩🙏पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर पढ़े🙏🚩

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥2॥

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥3॥

दक्षिण भारत का टूर प्लान कर रहे हैं, तो जरूर करें इन 5 भव्य मंदिरों के दर्शन

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Sunday, September 18, 2022







भारत को मंदिरों का देश कहा जाता है और सिर्फ उत्तर भारत ही नहीं, बल्कि दक्षिण भारत में भी एक से बढ़कर एक सुंदर और भव्य मंदिर है। इन आलीशान मंदिरों को देखकर यकीनन आप भी हैरान रह जाएंगे। प्राचीन संस्कृति को सहेजे इन भव्य मंदिरों में से कई को यूनेस्को द्वारा वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा दिया गया है। साउथ इंडिया का टूर प्लान कर रहे हैं तो इन विशाल मंदिरों के दर्शन जरूर करें।

 तिरुपति बालाजी मंदिर

आंध्रप्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित यह मंदिर किसी परिचय का मोहताज नहीं है। यह देश के सबसे मशहूर तीर्थ स्थलों में से क है। यह स्वामी वेंकेटेश्वर मंदिर तिरुपति पहाड़ की सातवीं चोटी पर स्थित है। मुख्य मंदिर में भगवान वैंकटेश्वर की प्रतिमा है। मंदिर परिसर में कई खूबसूरत द्वार, मंडपम और छोटे मंदिर बने हैं। इस मंदिर की गिनती देश के सबसे अमीर मंदिरों में होती है और यहां के भगवान वेंकटेश्वर पर लोगों की अपार श्रद्धा है। तभी तो हर दिन करीब 50000 लोग मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

श्री रंगनाथ स्वामी मंदिर

यह दक्षिण भारत के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है और यह हिन्दू भगवान रंगनाथम को समर्पित है। यह मन्दिर तमिलनाडू के तिरुचिरापल्ली शहर के श्रीरंगम नामक द्वीप पर स्थित है। 156 एकड़ में फैला यह मंदिर बहुत भव्य है। यह कावेरी नदी के तट पर स्थित है और भू-लोक का वैकुंठ भी कहा जाता है। यह भगवान विष्णु को समर्पित 108 दिव्य दशमों में से एक है। मंदिर के गर्भगृह के ऊपर की संरचना में सोने का इस्तेमाल हुआ है। यहां आकर आपके मन को असीम शांति मिलेगी।

पद्मानभस्वामी मंदिर 

भगवान विष्णु का यह मशहूर मंदिर केरल के तिरुअनन्तपुरम में स्थित है और हिन्दू के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि सबसे पहले इस स्थान से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी, जिसके बाद उसी जगह पर मंदिर बनवाया गया। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। इस मंदिर के एक ओर खूबसूरत समुद्री किनारे तो दूसरी ओर सुंदर पहाड़ियां है, जो उसकी खूबसूरती और लोकप्रियता और बढ़ा देते हैं।

नटराजा मंदिर

भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडु के चिदंबरम शहर में स्थित है। पूरे देश से लोग यहां भगवान शिव के नटराज रूप के दर्शनों के लिए आते हैं। इस मंदिर में प्रवेश के लिए मूर्तियों तथा अनेक प्रकार की चित्रकारी वाले भव्य गोपुरम बने हैं, जो नौ मंजिले हैं। मंदिर की नक्काशी देखकर आप हैरान रह जाएंगे। यह मंदिर देश के पांच पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह 40 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। 

मीनाक्षी अम्मन मंदिर

माता पार्वती को समर्पित यह मंदिर तमिलनाडू के मदुरै शहर में स्थित है। यह प्राचीन और भव्य मंदिर भारत के सबसे अमीर मंदिरों में से एक है। कहा जाता है कि मंदिर का मुख्य गर्भगृह 3500 साल से भी अधिक पुराना है। इस विशाल मंदिर का स्थापत्य एवं वास्तु बहुत दिलचस्प है।

ट्विन टावर के जमींदोज होने का काउंटडाउन शुरू, विशेषज्ञ बोले- कोई और तकनीक अपनाने पर लग जाते दो साल

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Saturday, August 27, 2022



नोएडा। सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर को सुरक्षित तरीके से गिराने के लिए दो ही विकल्प थे, पहला विस्फोटक से कुछ सेंकेट में गिरा दिया जाए या फिर तोड़ा जाए जिसमें डेढ़ से दो साल का समय लगता। यह बात विशेषज्ञों ने कही। यह इमारत करीब 100 मीटर ऊंची है जो कुतुब मीनार से भी ऊंची है। इमारत को गिराने का काम कर रहे एडफिस इंजीनियरिंग के अधिकारी ने बताया कि इसे 28 अगस्त को ‘‘वाटर फॉल इम्प्लोजन’ तकनीक से सुरक्षित तरीके से गिराया जाएगा। उन्होंने बताया कि एपेक्स टावर (32 मंजिला)और सियान (29 मंजिला) 15 सेंकेड से भी कम समय में ताश के पत्ते की तरह गिरा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि साथ ही सुनिश्चित किया जाएगा कि आसपास की इमारतों को नुकसान नहीं पहुंचे, जिसमें से एक इमारत महज नौ मीटर की दूरी पर स्थित है।

गडकरी का डिमोशन और फडणवीस का प्रमोशन, RSS में बदले समीकरण से कटा पत्ता, क्या है बीजेपी की फ्यूचर प्लानिंग?

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ये वाजपेयी और आडवाणी के दौर की बात है। तब चाणक्य की भूमिका में प्रमोद महाजन हुआ करते थे। एक बार प्रमोद महाजन से वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी ने पूछा था कि आप वाजपेयी और आडवाणी में से बड़ा नेता किसे मानते हैं। प्रमोद महाजन ने जवाब दिया था कि बड़ा नेता वो जिसे संघ बड़ा नेता माने। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी, पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी, देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ये वो हीरे हैं जो संघ की खुदाई से निकले हैं। लेकिन क्या हुआ ऐसा कि कभी मोहन भागवत के संघ संरचालक बनने के बाद बीजेपी की कमान शाखा में अपना बचपन बीताने वाले नेता को सौंपे जाने के 13 बरस के भीतर ही उसी संघ की हरी झंडी के बाद नागपुर से बीजेपी सांसद गडकरी को पार्टी संसदीय बोर्ड से हटा दिया गया। इसके अलावा केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) से भी हटा दिया गया। 

रूस यूक्रेन जंग के क्‍या होंगे परिणाम और कितने दिनों तक चलेगा युद्ध

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Wednesday, August 24, 2022

 

यूक्रेन और रूस के बीच भीषण जंग जारी है। कीव से खारकीव तक तबाही मची है। रूस ने हमले में कमी लाने का वादा किया था लेकिन मिसाइल और रॉकेट हमले में कोई कमी नहीं है। बूचा शहर में 300 से अधिक आम नागरिकों के शव बरामद हुए हैं। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने कहा कि यूक्रेन पर आक्रमण से संबंधित मुद्दों पर रूस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अपने ‘वीटो’ का इस्तेमाल करना आगे भी जारी रखेगा।


ठाकुर राजा सिंह: फेसबुक ने दिया था डेंजरस मैन का टैग

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उत्तर प्रदेश का काशी जो संत कबीरदास जी का गांव है। उनका एक सूक्ति वाक्य है- ऐसी वाणी बोलिए मन का आप खोये। औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होए। लेकिन इससे 12 सौ किलोमीटर की दूरी पर बसे तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में बैठे नेता अगर कबीरदास जी की वाणी को आत्मसात कर लेते तो आज तो नहीं गिरफ्तारी झेलना पड़ता, न ही पार्टी से निष्कासन। वो नाम है तेलंगाना भाजपा विधायक ठाकुर राजा सिंह लोध का। जिन्हें सितंबर 2020 में फेसबुक ने डेंजरस मैन का टैग दिया था। कभी वो अपने रोहिंग्याओं को गोली मारने वाले बयान की वजह से चर्चा में रहे तो कभी राम मंदिर के लिए जान लेने की बात कहकर सुर्खियों में रहे। लेकिन पैगंबर को लेकर दिए उनके ताजा विवाद ने माहौल को गर्म कर दिया है।विधायक के बयान पर हंगामा बढ़ गया। प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए और सिर तन से जुदा के नारे लगाए गए।

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