देश

national

आज नवरात्र की द्वितीया तिथि !! देवी ब्रह्मचारिणी !!

Tuesday, September 27, 2022

/ by Today Warta



आज मां दुर्गा के देवी ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा करने का विधान, मंत्र और आरती🕉️🔱

आज नवरात्र की द्वितीया तिथि है और मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है।

आज  मां दुर्गा के ‘देवी ब्रह्मचारिणी’ रूप की पूजा करने का विधान है। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में माला और बाएं हाथ में कमण्डल है। शास्त्रों में बताया गया है कि मां दुर्गा ने पार्वती के रूप में पर्वतराज के यहां पुत्री बनकर जन्म लिया और महर्षि नारद के कहने पर अपने जीवन में भगवान महादेव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। हजारों वर्षों तक अपनी कठिन तपस्या के कारण ही इनका नाम तपश्चारिणी या ब्रह्मचारिणी पड़ा। अपनी इस तपस्या की अवधि में इन्होंने कई वर्षों तक निराहार रहकर और अत्यन्त कठिन तप से महादेव को प्रसन्न कर लिया। उनके इसी तप के प्रतीक के रूप में नवरात्र के दूसरे दिन इनके इसी रूप की पूजा किया जाता है।

मां ब्रह्मचारिणी की पूजा निम्न मंत्र के माध्यम से की जाती है-

दधाना करपद्माभ्याम्, अक्षमालाकमण्डल

देवी प्रसीदतु मयि, ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

अर्थात् जिनके एक हाथ में अक्षमाला है और दूसरे हाथ में कमण्डल है, ऐसी उत्तम ब्रह्मचारिणीरूपा मां दुर्गा मुझ पर कृपा करें।

🚩🚩🚩🕉️🚩🚩🚩

1. 🕉️ माँ ब्रह्मचारिणी मंत्र🕉️

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।

जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥

गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।

धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥

परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।

पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

2.या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3.माँ ब्रह्मचारिणी बीज मंत्र🕉️

a)ओम ब्रां ब्रीं ब्रौं ब्रह्मचारिणीय नमः

b)ॐ ऐं ह्रीं क्लीं ब्रह्मचारिण्यै नम

☸️माँ ब्रह्मचारिणी कवच❇️

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी

🕉️ माँ ब्रह्मचारिणी स्तोत्र 🕉️

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

माता ब्रह्मचारिणी कथा📕📘✍🏻🚩

मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कठिन तपस्या की थी | इसलिए इन्हें तपश्चारिणी भी कहा जाता है | मां ब्रह्मचारिणी कई हजार वर्षों तक जमीन पर गिरे बेलपत्रों को खाकर भगवान शंकर की आराधना करती रहीं और बाद में उन्होंने पत्तों को खाना भी छोड़ दिया, जिससे उनका एक नाम अपर्णा भी पड़ा

⛳🚩मां ब्रह्मचारिणी की आरती🚩⛳

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।

जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।

ब्रह्मा जी के मन भाती हो।

ज्ञान सभी को सिखलाती हो।

ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।

जिसको जपे सकल संसारा।

जय गायत्री वेद की माता।

जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।

कमी कोई रहने न पाए।

कोई भी दुख सहने न पाए।

उसकी विरति रहे ठिकाने।

जो तेरी महिमा को जाने।

रुद्राक्ष की माला ले कर।

जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।

आलस छोड़ करे गुणगाना।

मां तुम उसको सुख पहुंचाना।

ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।

पूर्ण करो सब मेरे काम।

भक्त तेरे चरणों का पुजारी।

रखना लाज मेरी महतारी।

भोग🍚🍚🍎🥥

मां ब्रह्मचारिणी को पीला फूल और भोग बहुत प्रिय है

देवी को इस दिन पीले फूल अर्पित करें। चाहें तो गुड़हल या कमल फूल भी चढ़ा सकते है। साथ में देवी को अक्षत, रोली और चंदन लगाएं। इस दिन देवी को केसरिया मिठाई, केला आदि का भोग लगाना चाहिए।

तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम देती है मां ब्रह्मचारिणी

🚩🙏पूजा के अंत में क्षमा प्रार्थना जरूर पढ़े🙏🚩

अपराधसहस्त्राणि क्रियन्तेऽहर्निशं मया।

दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि॥1॥

आवाहनं न जानामि न जानामि विसर्जनम्।

पूजां चैव न जानामि क्षम्यतां परमेश्वरि॥2॥

मन्त्रहीनं क्रियाहीनं भक्तिहीनं सुरेश्वरि।

यत्पूजितं मया देवि परिपूर्णं तदस्तु मे॥3॥

Don't Miss
© all rights reserved
Managed by 'Todat Warta'