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जीवन में संयम द्वारा ही होगा पाप और अनाचार का विनाश: सुधासागर

Monday, September 5, 2022

/ by Today Warta



मुनिश्री ने शिवरार्थियों को दी सीख कहा संयम से ही दुनिया बनेगी शान्ति का सागर

ललितपुर। क्षेत्रपाल मंदिर में पर्वराज पर्यूषण पर मुनि सुधासागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा जीवन में संयम का महत्व कई गुना है इसको धारण करने से बडे बडे संकट टल जाते हैं। उन्होने कहा जव मनुष्य ने बिना सोचे समझे  किन्हीं वस्तुओं का इस्तेमाल किया तब उन्हें बडे बडे नुकसान का सामना करना पडा है। सारी दुनिया अणु बम की खोज पर खुश होकर नाचने लगी लेकिन खेाज करने वाला पश्चाताप  करते हुए रोने लगा कि मैने गलत खोज कर दी। उसका मानना था जव इसका इस्तेमाल होगा अनर्थ हो जाएगा। मुनि श्री ने कहा जिनदगी में प्रत्यसेक क्रियाओं के करने में पाप नहीं है बस संयमित जीवन के साथ जीने की कला आ जाए। संयम से ही धरती का पाप और अनाचार मिटाया जा सकता है और फिर से दुनिया को शान्ति का सागर बनाया जा सकता है। मुनि श्री ने आज संयम धर्म को बताते हुए कहा सत्य के बाद संयम संसार की सत्ता देखते हैं तो सब कुछ सत्य ही नजर आता है कोई असत्य नजर नहीं आता है। जीवन में जिसने धर्म को धारण कर लिया वह जव संयम की ओर आगे बढेगा  उसे आत्मिक सुखानुभूति होगी। धर्मसभा के प्रारम्भ में मुनि पूज्यसागर महाराज ने तत्वार्थसूत्र का वाचन किया। तदुपरान्त आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र के सम्मुख श्रावक श्रेष्ठीजनों ने दीपप्रज्जवलन मुनि श्री का पादप्रक्षालन कर किया। इसके पूर्व प्रात:काल भगवान अभिनंदन नाथ के अभिषेक के उपरान्त मुनि श्री के मुखारविन्द से शान्तिधारा पुण्र्याजक परिवारों द्वारा की गई। क्षेत्रपाल मंदिर प्रांगण में शिविरार्थियों ने पाण्डुकशिला पर श्री जी का अभिषेक व्रहमचारी प्रदीप भैया सुयश के मार्गदर्शन एवं मुनि श्री के सानिध्य में किया संगीतमय पूजन में  शिविरार्थियेां का उत्साह देखते ही बनता।

सुगंध दशमी पर श्रावकों ने की धूप समर्पित

सुगंधदशमी पर्व पर श्रावकों ने जैन मंदिरों की वंदना कर श्रद्धा भक्ति के साथ धूप समर्पित की। जिनके लिए नगर के प्रमुख जैन मंदिर क्षेत्रपाल, जैन अटामंदिर, जैन नया मंदिर, जैन बडा मंदिर, आदिनाथ मंदिर सिविल लाइन, इलाइट जैन मंदिर, वाहुवलिनगर जैन मंदिर, चन्द्रप्रभु मंदिर डोढाघाट, आदिनाथ मंदिर नईवस्ती, शान्तिनाथ मंदिर में श्रावकों का तांता लगा रहा। इस हेतु मंदिर प्रबंधकों द्वारा विशेष प्रबंध किए गए। इसके पूर्व श्रावकों ने मंदिरों में पहुचकर पूजन अभिषेक शान्तिधारा की और पर्यूषण पर्व में उत्तम संयम धर्म की पूजन की।

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