भाजपा राज में शिक्षा क्षेत्र में घोर अव्यवस्था और अधिकारियों की मनमानी के चलते परिषदीय स्कूलों से बच्चों और अभिभावकों का मोहभंग हो चला है। शिक्षा की खराब गुणव त्ता और मूलभूत सुविधाओं की कमी के कारण अकेले नोएडा में 38 प्रतिशत बच्चों ने स्कूल जाना छोड़ दिया। स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की संख्या उत्तर प्रदेश में बढ़ती ही जा रही है। शिक्षक समय से स्कूल नहीं आते हैं। बहुत से शिक्षक नाम मात्र के शिक्षक बने हैं।
सरकारी स्कूलों से मोहभंग का कारण यह भी है कि वहां न पेयजल की सुचारू व्यवस्था है और नहीं मिड-डे-मील बन रहा है। तिर्वा के प्राथमिक विद्यालय, बरूआ में मिड-डे-मील न मिलने पर छात्र हंगामा कर चुके हैं। वैसे भी बच्चों को दूध, अंडा देने से राज्य सरकार पहले ही किनारा कर चुकी है। कई स्कूलों में तो पढ़ाई से ज्यादा मेहनत बाहर से पानी लाने में छात्राओं को करनी पड़ रही है। अधिकांश विद्यालयों में शौचालय न होने से छात्राओं को विशेषकर बहुत परेशानी होती है। भाजपा सरकार पता नहीं कहां इज्जतघर बना रही है?सच तो यह है कि भाजपा सरकार की शिक्षा सहित विकास के किसी काम में कोई रुचि नहीं है, भाजपा लगातार सत्ता की राजनीति में व्यस्त रहती है। अपने पिछले पांच साल में उसने जनहित का कोई काम नहीं किया। भाजपा सरकार अब उत्तर प्रदेश के 11 हजार प्राथमिक विद्यालयों को भी पी.पी.पी. मॉडल पर अपने चहेते पूंजीपतियों को देने की योजना बना रही जिससे रहा-सहा सरकारी नियंत्रण भी नहीं रहेगा। गरीब बच्चे कहां पढ़ेंगे? इसकी चिंता सरकार को नही है। कुछ न करना लेकिन झूठे कामों का ढिंढोरा जोरों से पीटना ही भाजपा सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है।