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डार्क वेब: अंधेरे कमरे में फैला ऐसा मकड़जाल, जहां इंटरनेट पर काली करतूतों को अंजाम दिया जाता

Friday, September 2, 2022

/ by Today Warta



नई दिल्ली। डार्क वेब अंधेरे कमरे में फैला ऐसा मकड़जाल, जहां इंटरनेट पर काली करतूतों को अंजाम दिया जाता है। आपने अब तक डार्क वेब पर मशीनगन से लेकर मिसाइल जैसे हथियारों और ड्रग्स जैसे क्रिस्टल मेथ आदि की तस्करी के बारे में सुना होगा, लेकिन इसका एक स्याह चेहरा और भी है जो मासूम बच्चों को अपनी चपेट में लेकर उनकी जिंदगी तबाह कर रहा है। इस भयावह स्थिति को समझने के लिए हम आपको दो किस्से बताते हैं। पहला चर्चित वाकया ब्रिटिश मॉडल क्लोए ऐलिंग का है। ऐलिंग को पांच साल पहले इटली के मिलान शहर में किडनैप किया गया। पहले तो यह मामूली किडनैपिंग का केस लगा, लेकिन जब केस से पर्दा उठा तो पता चला कि आरोपी पोलिश मूल का लुकास पावेल हर्बा था। पावेल इंटरनेट के गुमनाम, छिपे, अंधेरे हिस्से यानी डार्क वेब में एक्टिव रहने वाले ब्लैक डेथ ग्रुप का मेंबर था। यह ग्रुप मानव तस्करी, किडनैपिंग, चाइल्ड पोर्नोग्राफी में एक्टिव था। अंतरराष्ट्रीय जांच एजेंसी इंटरपोल की पूछताछ में पावेल ने बताया कि वह ऐलिंग को अरब के शेखों को बेचने वाला था। ब्लैक डेथ ग्रुप डार्क वेब की अलग-अलग वेबसाइट के जरिए सेक्स स्लेव्स तैयार करता है और उन्हें नीलाम करता है। कनाडाई मूल का नागरिक बेंजामिन फॉकनर डार्क वेब पर चाइल्ड्स प्ले नाम की चाइल्ड पोर्नोग्राफी वेबसाइट चलाता था। इस वेबसाइट पर 10 लाख से ज्यादा बच्चों की प्रोफाइल बनी हुई थी। वेबसाइट पर बच्चों को लेकर पोर्नोग्राफी कंटेंट बनाने वाले 100 से ज्यादा प्रोड्यूसर्स के नाम भी थे। ये प्रोड्यूसर्स 10-12 साल से कम उम्र की बच्चियों का यौन शोषण करवाते और उसे फिल्माते थे। बेंजामिन बाद में अमेरिका के वर्जीनिया में पकड़ा गया। उसके लैपटॉप में चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े 47,000 फोटो और 2,900 वीडियो मिले। ये फोटो और वीडियो डार्क वेब से जुड़ी कई दूसरी वेबसाइट्स पर अपलोड किए गए थे। डार्क वेब पर सैकड़ों ऐसी वेबसाइट्स हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से अल्फा-बे  कहते हैं। यहां लड़कियों पर प्राइस टैग लगा होता है। ब्लैक डेथ ग्रुप और चाइल्ड्स प्लेमहज उदाहरण हैं जो डार्क वेब पर लड़कियों की खरीद-फरोख्त और इनके वीडियो से करोड़ों की कमाई करते हैं। इंटरपोल ने अल्फा-बे को बंद करवाया। इसके बावजूद अल्फा-बे जैसी हैकफोरम, द रियल डार्क मार्केट, मजाफाका, डारकोड कई वेबसाइट्स चल रही हैं। दरअसल, डार्क वेब इंटरनेट का वह भाग है जहां गूगल काम नहीं करता और पासवर्ड की जगह इंक्रिप्टेड कोड होता है। इन्क्रिप्टेड कोड में डेटा या किसी तरह की सूचना को प्रोटेक्ट किया जाता है। क्रिप्टोग्राफी के जरिए इंफॉर्मेशन को सीक्रेट कोड में बदला जाता है। इस कोड को वही जान सकता है जिसे पास एक्सेस की हो। इन्क्रिप्टेड कोड कुछ वैसा ही होता है जैसा वाट्सएप कॉल। इसमें एंड टु एंड इन्क्रिप्शन तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।

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