रावेंद्र शुक्ला
प्रयागराज । आस्था के महापर्व डाला छठ पर प्रयागराज में गंगा, यमुना किनारे श्रद्धालुओं सोमवार सुबह सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 3 बजे से ही सिर पर दऊरा लिए सुहागिनें और उनके परिजन संगम, बलुआघाट, शंकरघाट, फाफामऊ, शिवकुटी में गंगा किनारे घाटों की ओर जाते देखे गए। शनिवार को खरने के साथ शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रत सोमवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ समाप्त हुआ। पिछले 8 साल से छठ का व्रत रखने वाली और अरैल क्षेत्र में उगते सूर्य को अर्घ्य देने पहुंचीं सविता सिंह ने बताया कि रविवार को कमर भर पानी में खड़े होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया गया है। आज हमने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने पति, पुत्र, परिवार, देश और समाज में सुख-शांति और समृद्धि की मंगल कामना की है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद गंगा जल से हम पारन करेंगे। इसके बाद हवन होगा। हवन के बाद 36 घंटे के व्रत का पारन होगा। गंगा और यमुना में देर तक बाढ़ रहने के कारण इस बार डाला छठ पर घाटों पर एक से दो फीट दलदल रहा। प्रशासनिक तैयारियां इस दलदल में ही घंसकर रह गईं। लोगों को गांठभर दलदल में घुसकर स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने के लिए जाना पड़ा। फिसलन होने के कारण कई श्रद्धालु गिर भी गए। इसके अलावा संगम, बलुआघाट में हजारों चार पहिया और दो पहिया वाहन पहुंच जाने से रविवार की शाम और सोमवार की सुबह जाम झेलना पड़ा। न तो यहां कोई ट्रैफिक प्लान दिख रहा था और न ही कोई कंट्रोल। 100 मीटर जाने में लोगों को आधे से एक घंटा का समय लगा।