राकेश केसरी
पीतल उद्योग नगरी शमसाबाद को आक्सीजन की जरुरत
सरकार से मदद न मिलनें के कारण भुखमरी के कगार पर व्यवसाई
वर्तन कारीगर मजदूरी कर परिवार का कर रहे गुजर बसर
कौशाम्बी। मिनी मुरादाबाद के नाम से मशहूर पीतल नगरी शमसाबाद में पीतल व गिलट का वर्तन व्यवसाय आखिरी पायदान पर खड़ा है। सरकारी मदद न मिलने से सौ से अधिक कारखानें बंद हो गये है। वर्तन बनानें के कार्य में लगे हजारो कारीगर गैर जनपदों में जाकर मजदूरी कर परिवार का किसी तरह से भरण पोषण कर रहे है। वही वर्तन का कारखाना बंद कर चुके व्यवसाइयों का कहना है कि विधानसभा व लोकसभा का चुनाव के समय सपना दिखानें वाले राजनीतिक सौदागर आखिर कहा गुम हो गये। वर्तन व्यवसाय को आक्सीजन की जरुरत है,अगर आने वाले दिनों में सरकार इस व्यवसाय से जुड़े व्यवसाइयों की मदद नही करती है,तो बचें आधा दर्जन के करीब कारखानें भी बंद हो जायेगे। गौरतलब हो कि दो दसक के पहले पीतल व गिलट के वर्तन के छोटे.बड़े करीब सौ कारखानें संचालित हुआ करते थें। जबकि इन वर्तन कारखानों में करीब पांच हजार से अधिक कारीगर काम किया करते थें। शमसाबाद में पीतल के लोटे, कलछुल, थाली,चमचा, कटोरा,कड़ाही,परात,थाल,बाल्टी व गिलट के लोटा, बटुआ, कटोरा,गिलास सहित अन्य कई आयटम बनाये जाते थे। यहा के बने वर्तनों की डिमांण्ड प्रदेश के सभी जनपदो सहित मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट, पंजाब,राजस्थान आदि प्रदेशो में हुआ करती थी। लेकिन दो दसक में प्रदेश व देश में सरकार की बदलती व्यापार नीति के चलते यहा का वर्तन चैपट हो गया। व्यवसाइयो सहित कारीगरो के सामनें फांकाकसी की नौबत आ गई। वही वर्तन व्यवसाई रामबाबू कसेरा ने बताया कि जब लोकसभा व विधान सभा के चुनाव आते है,तो राजनीतिक दलों के लोग यहा आने के बाद उन्हें वर्तन व्यवसाय को उचांइयों पर पहुचानें का सपना दिखाकर वोट हासिल कर चलें जाते है,और फिर पलट कर वापस नही आते। व्यवसाई सुरेश चन्द्र कसेरा का कहना है कि यहा के छोटे बड़े मिलाकर करीब 95 कारखाने बंद हो चुके है। जबकि आधा दर्जन के करीब चल रहे वर्तन कारखानों को सरकार से मदद रुपी आक्सीजन की जरुरत है। जिससे महात्मा बुद्व की इस तपोस्थली कौशाम्बी का गौरव वापस आ सके। वर्तन कारीगर रामशंकर,उमेंश कुमार,छेद्दू,राहुल,विवेक, मनोज, हरीओम,शिवनारायण,भीम,अर्जुन आदि का कहना है कि अगर सरकार वर्तन व्यवसाय को बढ़ावा देती तो आज हम लोगो के सामने भुखमरी की नौबत नही होती।
अधिकारियों की गैर जिम्मेंदाराना नीति से नही मिली इमदाद
1980 के दसक में हेमवती नंदन बहुगुणा के प्रयास से शमसाबाद में वर्तन व्यवसाइयों को कच्चा माल उपलब्ध करानें के लिये एक सोसाइटी बनाई गई। जहां कलकत्ता,बाम्बें,दिल्ली आदि से कच्चा माल आता था,और कारखाना मालिको कच्चें माल उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाती थी। करीब पांच वर्षो तक सोसाइटी का कार्य वर्तन व्यवसाय को चार चांद लगाता रहा। लेकिन सरकार बदलनें पर नीति भी बदल गई और व्यवसाइयो को सोसाइटी से कच्चा माल उपलब्ध होना बंद हो गया। 1992 में सरकार के निर्देश पर उद्योग निदेशालय कानपुर ने वर्तन व्यवसाइयों के लिये एक बीस कमरो की कालोनी का निर्माण कराया तो व्यवसाइयों व कारीगरो को लगने लगा कि उनके दिन बहुरनें वाले है। लेकिन 55 लाख रुपयें की लागत से बनाई गई उस कालोनी में अधिकारियों की उदासीनता से वर्तन व्यवसाइयों व कारीगरो को बसा कर उन्हें मदद देने का सपना फिर से चकना चूर हो गया। वही वर्तन कालोनी में इस समय पुलिस चैकी संचालित हो रही है।
वर्तन व्यवसाइयों ने सीएम से लगाई मदद की गुहार
सिराथू विकास खण्ड़ के सांसद आर्दश ग्राम शमसाबाद पीतल नगरी के वर्तन व्यवसाइयों ने बीच मजधार में डूबती कश्ती को सीएम से पार लगाने की अपील किया है। वर्तन व्यवसाई प्रेंम चन्द्र कसेरा,दीपक कसेरा,रामचन्द्र कसेरा,महेश कसेरा,श्रीबाबू कसेरा,नक्की कसेरा,दुर्गा प्रसाद कसेरा,विनोद कसेरा,रामप्रसाद कसेरा आदि ने मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से मांग किया है कि जिस तरह वन ड्रिस्टिक वन पोड्रक्ट के तहत जिलें का चयन केला व उसके तनें से बननें वाले उपकरणों के लिये जिलें का चयन किया है,वैसे ही शमसाबाद के पीतल व गिलट के वर्तन व्यवसाय को भी संजीवनी प्रदान करे। जिससे पांच हजार से अधिक परिवारो की रोजी.रोटी मुहैय्या हो सके।