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लालापुर पहाड़ी पर स्थित"सीता-रसोई" में नहीं जलते दिये भी

Friday, October 28, 2022

/ by Today Warta



संजय धर द्विवेदी

लालापुर प्रयागराज । बारा तहसील क्षेत्र की लालापुर पहाड़ी एवं उसके आसपास की पहाड़ियां कई पौराणिक मान्यताओं की धरोहर हैं।इन पहाड़ियों पर हजारों साल पुरानी मूर्तियां और शिलालेख मिलते हैं। लालापुर क्षेत्र की मदुरी पहाड़ी पर बनवास जाते समय मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं सीताजी के द्वारा निर्मित सीता-रसोई है।इसके बावजूद अब यह पहाड़ी सरकारी उपेक्षाओं की शिकार हो गई है। राम वन-गमन परिक्रमा मार्ग में भी इस स्थल का चयन किया गया है। मान्यताओं के अनुसार वनगमन के समय भगवान श्रीराम ने यहीं पर विश्राम किया था और माता जानकी ने यहीं पर भोजन बनाया था। किन्तु दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस स्थान पर अब दिये भी नहीं जल रहे हैं।मनकामेश्वर स्थित पार्थिव शिवलिंग की स्थापना कर पूजा अर्चना भी की थी। इसी तरह यहाँ से कुछ दूरी पर दैत्यराज बलि के पुत्र बाणासुर की तपोभूमि है।जिसे ऋषियन धाम के नाम से जाना जाता था।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहाँ पर बहुत से ऋषि-मुनि तप करते थे।वनगमन के समय इस स्थान की अलौकिक शक्ति से प्रभावित होकर पांच शिवलिंगों की स्थापना की थी।जहाँ पर आज भी उन शिवलिंगों पर अविरल जलधारा प्रवाहित होती रहती है। मनकामेश्वर धाम के स्वामी ब्रिजेशानंद जी महाराज ने बताया कि इन स्थलों की महिमा का वर्णन शिवमहापुराण के चतुर्थ कोटि रुद्र संहिता के प्रथम अध्याय ज्योतिर्लिंग और उससे उत्पन्न उपलिंग खण्ड में है। सीता रसोई के समीप ही एक बावली नुमा कुआं भी है।जिसमें सदैव जलस्तर ऊपर ही रहता है। क्षेत्रवासियों ने जिला प्रशासन एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से माँग किया है कि इन धार्मिक स्थलों के विकास के लिए इन जंगलों में मङ्गल किया जाये, जिससे क्षेत्रवासियों का भी कल्याण होता रहे।

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