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सरसों की बोआई का समय, सावधानी से करें खेती

Tuesday, October 4, 2022

/ by Today Warta



राकेश केशरी 

कौशाम्बी। रबी सीजन की मुख्य तिलहन फसल सरसों-राई फसल की बोआई का माकूल समय आ चुका है। बोआई की तैयारी शुरू भी हो चुकी हैं कितु बोआई की तैयारी में लगे किसान बीजों के चयन, उर्वरक प्रबंधन व बीज शोधन आदि में सावधानी बरतकर कर न सिर्फ उत्पादन में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि फसल में लगने वाले रोगों से निजात पा सकते हैं। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र मंहगांव की ओर से एडवाइजरी जारी कर दी गई है। सरसों या राई रबी तिलहनी फसलों में प्रमुख स्थान रखता है इसकी खेती कम सिचाई एवं कम लागत से बेहतर लाभकारी होता है। बशर्ते वैज्ञानिक विधि अपनाई जाए। मंहगांव कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक डा0 मनोज सिंह ने बताया कि जलवायु के दृष्टिकोण से पूर्वी उत्तर प्रदेश में समय से बोआई के लिए क्रांति, पूसा बोल्ड, पूसा जगन्नाथ, पूसा विजय, भारत सरसों-1 व 2, पूसा जय किसान, पूसा विजय, गिरिराज, आर.एच-749, आर.एच.-725 आदि प्रजाति का चयन करना चाहिए। जबकि विलंब से बोआई के लिए वरदान व आशीर्वाद प्रजाति के बीच की बोआई लाभप्रद होगी। क्षारीय व लवणीय भूमि के लिए नरेंद्र राई 1, सीएस-52, 54 व सीएस 56 प्रजाति उपयोगी है। प्रति बीघा 600 से 750ग्राम बीज का प्रयोग करना चाहिए। प्रति किलोग्राम बीज को 2.5 ग्राम कार्बेंडाजिम दवा से शोधित कर बोआई करने से जमाव बेहतर होगा तो रोगों के लगने की संभावना कम हो जाएगी।

पोषक तत्व प्रबंधन

बोआई के पूर्व 20 से 25 क्विटल गोबर की सड़ी खाद तथा बोआई के समय 25 से 32 किलोग्राम डीएपी, 16 से 18 किलोग्राम यूरिया तथा 15 से 16 किलोग्राम म्यूरेट आफ पोटाश, आठ से नौ किलोग्राम सल्फर 90 फीसद चीलेटेड डीपी का का प्रयोग करना चाहिए। पहली सिचाई के बाद अर्थात बोआई के 35 दिन बाद 25 से 32 किलोग्राम यूरिया प्रति बीघा की दर से छिड़काव करना लाभकारी होगा।

कैसे करें बोआई

सरसों की बोआई हमेशा पंक्तियों में करनी चाहिए। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-60 सेमी तथा पौध से पौध की दूरी 25 से 30 सेमी होनी चाहिए। बोआई के 20 दिनों के अंदर विरलीकरण पौधों से पौधों की दूरी 25 से 30 सेमी सुनिश्चित करनी चाहिए। इससे पैदावार बेहतर होगी।


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