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राग और द्वेष से बचो, द्वेष से ज्यादा खतरनाक राग : सुधासागर

Friday, October 28, 2022

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र

ललितपुर। मुनिपुंगव सुधासागर महाराज ने धर्मपिपासुओं को धर्मामृत पिलाते हुए हुए कहा कि संसारी प्राणी राग और द्वेष के कारण इस संसार में मथानी की तरह घूम रहा है, क्रोध और वैर में व्यक्ति दूसरे को मारता है और राग के कारण व्यक्ति स्वयं मर जाता है, क्रोध और वैर दिखते हैं पर राग दिखता नहीं है, राम मीठे जहर के समान होता है, क्रोध में व्यक्ति दूसरे को मिटा देता है पर जिससे राग हो, उसके अभाव में व्यक्ति स्वयं मिट जाता है। सारी दुनिया द्वेष को बुरा कहती है पर द्वेष से ज्यादा खतरनाक राग होता है। दुश्मन से उतना खतरा नहीं जितना खतरा व्यकित को अपना बनाकर राग से होता है। क्रोध में व्यक्ति भागता है पर रागी व्यक्ति पास में रहना चाहता है। राग के पीछे छुपी आग को समझो। एक उदाहरण देकर राग द्वेष की आग और उसके रहस्य को समझाते हुए कहा कि एक कमजोर व्यक्ति था उसका अपने पडोसी से किसी बात पर झगडा हो गया चूॅकि पडोसी बलवान था इसलिए वह उसका कुछ विगाड तो नहीं पाया पर द्वेष की आग में जलता रहा। उसने बहुत तपस्या की और देवता को सिद्ध किया, देवता उसकी तपस्या से प्रसन्न हुआ और उसने उस कमजोर व्यक्ति से कहा कि जाओ तुम्हें जो मांगना हो मांग लो, उसने देवता से कहा कि अगर आप मुझ पर प्रसन्न हो तो मेरी एक इच्छा पूरी करो मैं मरकर अपने पडौसी के इकलोते पुत्र के रूप में पैदा होउ और जवान होते ही मैं मर जाउॅ, ऐसा ही हुआ वह मरकर अपने पडोसी के इकलोते पुत्र के रूप में उत्पन्न हुआ वह व्यक्ति पुत्र को पाकर बहुत खुश हुआ उसने अपनी जान से भी ज्यादा चाहता था पर 20 वर्ष की उम्र में उस बेटे की मौत हो गयी। वह व्यक्ति अपने इकलोते बेटे के राग में पागल हो गया चीखने चिल्लाने लगा। दूश्मनी में जो बदला नहीं ले पाया वह बदला उसने पुत्र बनकर ले लिया। हम अपने इष्ट व्यक्ति के वियोग होने पर रोते रहते हैं पर वह अपना बदला लेकर तुम्हें रोता हुआ छोड जाता है। इसलिए वस्तु स्थिति को समझो, सिद्धान्त को समझो। दुनिया में कोई भी कार्य बिना कारण के नहीं होता कोई भी किसी को अकारण दुख नहीं दे सकता। कोई तुम्हें बैरी बन कर मार रहा या तुम किसी के राग में स्वयं मर रहे हो, इसमें हमारा पूर्व का कोई न कोई संबंध रहता है। इसलिए राग और द्वेष से बचो। तुम्हारा वैरी भी तुम्हारा बेटा, भाई, पत्नी पिता किसी भी रूप में तुम्हें दुख दे सकता है। इसलिए राग और द्वेष की तासीर को समझे और जीवन औरक र्मों के रहस्य को समझते हुए सुख से जीवन व्यकतीत करो।  

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