मध्यप्रदेश के सतना जिले का है मामला
जबलपुर। हाई कोर्ट में एक याचिका के जरिये अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण का लाभ लेने के लिए ओबीसी नान क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र जारी करने निर्धारित शर्त को चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि ओबीसी क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र के लिए पूरे परिवार की आय का आंकलन क्यों किया जाता है। न्यायमूर्ति सुश्रुत अरविंद धर्माधिकारी की एकलपीठ ने मामले पर प्रारंभिक सुनवाई के बाद राज्य शासन को जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके लिए चार सप्ताह की मोहलत दी गई है। याचिकाकर्ता सतना निवासी रोहित सिंह की ओर से अधिवक्ता विनायक प्रसाद शाह व रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि याचिकाकर्ता ओबीसी नान क्रीमी लेयर सर्टिफिकेट के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व सतना के समक्ष आवेदन किया था एसडीओ ने प्रमाण पत्र जारी नहीं किया। यह आधार दिया गया कि रोहित के पिता शिक्षा विभाग में व्याख्याता के पद का नौकरी करते हैं और उन्हें अच्छा वेतन मिलता है। याचिकाकर्ता ने कलेक्टर के समक्ष अपील प्रस्तुत की जो कि निरस्त हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी बनाम भारत संघ के मामले में 1992 का आदेश ओबीसी प्रमाण पत्र के लिए पैरामीटर निर्धारित किया है। इसके अलाव केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने भी कुछ मापदंड तय किए हैं। उक्त आवेदन निरस्त करने से पहले इन मापदंडों का पालन नहीं किया गया। ओबीसी नान क्रीमी लेयर के लिए आठ लाख वार्षिक आय निर्धारण में वेतन का आय तथा कृषि से होने वाली आय नहीं जोड़ा जाता है। हाई कोर्ट ने प्रारंभिक तर्क सुनने के बाद जवाब-तलब कर लिया।