इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
इंद्र इंद्राणियों ने भक्तिभाव पूर्वक समर्पित किये अर्घ
ललितपुर। धर्मनगरी मड़ावरा में आचार्य प्रवर विद्यासागर महामुनिराज के मंगल आशीर्वाद व अष्टम निर्यापक श्रमण मुनि अभय सागर,मुनि प्रभात सागर व मुनि निरीह सागर जी के पावन सानिध्य में सिद्धचक्र महामण्डल विधान का आयोजन बाल ब्रम्हचारी मनोज भैया ललितपुर के कुशल निर्देशन में विमलेश कुमार,संतोष कुमार जैन बजाज परिवार द्वारा करवाया जा रहा है 1नवम्बर से 8नबम्बर तक आयोजित किये जा रहे धार्मिक आयोजन में प्रतिदिन भक्तिभाव पूर्वक सिद्ध भगवंतों की आराधना कर अर्घ समर्पित किये जा रहे हैं। कस्वे के महावीर विद्याविहार में बजाज परिवार को सौजन्य से आयोजित हो रहे सिद्धचक्र महामण्डल विधान में सौधर्म इंद्र बनने का सौभाग्य विमलेश कुमार श्री मति संगीता बजाज मड़ावरा हाल ललितपुर को,धनपति कुबेर बनने का सौभाग्य अर्पित श्री मति प्रिया ललितपुर को, श्रीपाल मैना सुंदरी बनने का सौभाग्य संतोष कुमार (बंटी)श्री मति प्रतिभा मड़ावरा को, महायज्ञनायक बनने का सौभाग्य राजेन्द्र श्री मति सुषमा मालथौन को,यज्ञनायक बनने का सौभाग्य राजेश रेखा गुरसराय को,यज्ञनायक बनने का सौभाग्य अखिलेश श्री मति अभिलाषा बजाज को,ईशान इंद्र बनने का सौभाग्य राजेन्द्र श्री मति संतोष बजाज को,सानत कुमार इंद्र बनने का सौभाग्य पन्ना लाल श्री मति संपत बजाज को,माहेन्द्र इंद्र बनने का सौभाग्य विक्रम श्री मति ऊषा बजाज को,भरत बनने का सौभाग्य संजय श्री मति नीलम ललितपुर को बाहुबली बनने का सौभाग्य राजेश श्री मति नेहा ललितपुर को प्राप्त हुआ के कार्यक्रम द्वितीय दिवस में नित्य नियम पूजन विधान आदि क्रियाओं उपरांत भगवान जिनेन्द्र देव की शांतिधारा की गयी जिसका सौभाग्य आनंदी लाल लुहर्रा, सनत कुमार ललितपुर,व राजेश कुमार गुरसराय वालों को प्राप्त हुआ तत्पश्चात विधान में सहभाग कर रहे श्रद्धालुओं द्वारा भोपाल से आये संगीतकार भूपेंद्र एंड पार्टी की स्वर लहरियों के साथ भक्तिभाव पूर्वक प्रथम व द्वितीय दिवस के 24 अर्घ समर्पित किये। सभागार में विराजमान मुनि प्रभात सागर जी ने उपस्तिथ जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि किसी चीज का त्याग करना और सन्यास धारण करना बेहद कठिन क्रिया है हर कोई इसका पालन नहीं कर सकता उन्होंने बताया कि जैन धर्म में अपने हाथों से केशलोंच करना मुनियों की परम क्रिया है सांसारिक जीवन में अगर कोई हमारा एक बाल भी खींच दे तो असहनीय दर्द होता है लेकिन जैन मुनियों द्वारा सिर और दाढ़ी मूंछों के बाल स्वयं अपने हाथों से खींचकर निकाले जाते हैं यही त्याग और समर्पण की महिमा है सब कुछ सहन कर धर्म और कर्म का पालन करना ही सच्चा धर्म है इसीलिए जैन धर्म को कर्म प्रधान बताया गया है। आयोजनकर्ताओं ने जानकारी देते हुए बताया कि 8नवम्बर तक आयोजित विधान के दौरान प्रतिदिन ही रात्रिकालीन कार्यक्रमों में गायक कलाकारों के माध्यम से आरती भक्ति के साथ ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा कार्यक्रम के आयोजन में सकल दिगम्बर जैन समाज का भरपूर सहयोग प्राप्त हो रहा है ।