मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति अल्पसंख्यक अधिकारी व कर्मचारी संगठन ने पीएससी परिणामों को लेकर हाई कोर्ट में
जबलपुर। मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति, जनजाति अल्पसंख्यक अधिकारी व कर्मचारी संगठन ने पीएससी परिणामों को लेकर हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की है। याचिका में एडीशनल चीफ सेक्रेटरी विनोद कुमार, सचिव जीएडी श्रीनिवास शर्मा व परीक्षा नियंत्रक पीएससी डा. मदन लाल गोखरु को पक्षकार बनाया है। याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद पीएससी व सरकार ने मनमाने तरीके से 2019 व 2021 के परीक्षा परिणम घोषित कर दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर व विनायक प्रसाद शाह पैरवी करेंगे। उन्होंने बताया कि पीएससी ने शून्य घोषित किए जा चुके नियमों को मनमाने तरीके से लागू करते हुए घोषित परीक्षा परिणामों में कम्युनल आरक्षण लागू किया है। हाई कोर्ट ने सात अप्रैल, 2022 को प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम व संशोधित परीक्षा-2015 के नियमों में 17 फरवरी, 2020 को किए गए संशोधशन को असंवैधानिक करार देते हुए निरस्त कर दिया था। इसी के साथ पीएससी परीक्षा नियम-2015 के अनुरूप नए सिरे से परीक्षा परिणाम घोषित करने की व्यवस्था दे दी थी। इसके बावजूद इस व्यवस्था का पालन नहीं किया गया। पीएससी ने परीक्षा-2021 के घोषित परीक्षा परिणाम में महिला आवेदकों के लिए पृथक से कट आफ लिस्ट भी जारी नहीं की। याचिका में मध्य प्रदेश शासन के सामान्य प्रशासन विभाग के 29 सितम्बर, 2022 के परिपत्र की वैधानिकता को भी चुनौती दी गई है।

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