इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
ललितपुर। कौमी एकता की प्रतीक हिंदी उर्दू अदवी संगम ललितपुर के बैनर तले वरिष्ठ हास्य साहित्य की काका ने विमोचन किया गया। देर रात तक चले कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि किशन सिंह बंजारा ने की एवं सफल संचालन संस्था के अध्यक्ष रामकृष्ण कुशवाहा एड. किशन ने किया। सम्मेलन एवं मुशायरा में उपस्थित कवियों शायरों ने अपनी रचनाओं कविता गजलों गीतों से श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। काका ललितपुरी के निवास स्थान पर आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरा में रामकृष्ण एड.देशवासियों से सरहद में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा एक दीपक उनके नाम का भी रख लेना, पूजा की थाली जिन्होंने जान लुटा दी, सरहद ए वतन की रखवाली में। कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए महिला शक्ति की ओर से कवियत्री सुमन लता शर्मा ने रचना पेश करते हुये कहा कि मतलब की इस दुनिया में रिश्तों की कीमत कौन समझता है बैसे ही सब कुछ हे लोगों को अब मुहब्बत कौन समझता है। राधे श्याम ताम्रकार ने चिर पर्रचत अंदाज में अपनी रचना पढ्हे हुए कहा कि दाग ए दिल हमें याद आने लगे हम अपना दिल खुद जलाने लगे। युवा कवि प्रशांत ने कहा कि प्रेम भरी पांतियां सुना कर दिलों को मोह लिपा लिखों रे लिखो रे मां झी प्रेम भरी पांतियां नदियां के पार वुला मेरे सजनियाँ। क्रांतिकारी रचनाओं को जाने जाने वाले रचना पेश करते हुए कहामैंने तो उसे चिराग जलाने को कहा था यह क्या उसने तो चिराग में ही आग लगा। कार्यक्रम के संयोजक काका ललित पुरी ने श्रोताओं को हंसाते हुए कहा जो चाहा सूट तुम भरो रोक सकेगा कौन, काकी अपने मन को डारती सब्जी में नोन। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए किसान सिंह बंजारा ने कहा हम लोग हमेशा खुश रहते हैं अपनी ही मस्ती में प्यार मोहब्बत की दौलत है हम बंजारों की बस्ती में। कार्यक्रम में उपस्थित अन्य कवियों में रामस्वरूप नामदेव अनुरागी ने खूबसूरत गजल पेश करते कहाजान से भी ज्यादा तुमको चाहने लगे दिन-रात ख्वाब हम जगाने लगे। इस मोके पर गेंदालाल सतभैया, एमआर खान, सरवर हिंदुस्तानी, हेमंत बुंदेला, सविता, ममता, त्रिवेणी, मीरा, लक्ष्मी देवी, बृजेश श्रीवास्तव, परिचय नामदेव, रामप्रकाश शर्मा आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में काका ललितपुरी ने कवियों शायरों से नेताओं का तहे दिल से आभार व्यक्त किया।