जैन अटा मंदिर में मुनिश्री द्वारा धर्मसभा को सम्बोधन
ललितपुर। निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा मानव जीवन मिलने के वाद हमें अपने जीवन को सदआचरण से जोडकर ऐसा प्रयास करना चाहिए कि जिससे हमारे द्वारा किसी का अहित न हो। हमें दूसरों के धन पर ईष्र्या नहीं करनी वरन ऐसा भाव बनाओ कि हम भी एक दिन ऐसे बनें। यह नहीं सोचना कि हम भाग्यहीन है वरन यह सोचना कि हमारा पडौसी अमीर है और इसमें संतोष करना चाहिए। मुनिश्री ने कहा ग्रहस्थ पाप से रहित नहीं हो सकता वह हमेशा पापों में लिप्त रहकर पांच पापादि अशुभ क्रियाएं करता है। व्यक्ति जहां हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील, परिग्रह आदि क्रियाओं में रहेगा वह मुक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता। मुनिश्री ने कहा जैन दर्शन में बताया कि उस मार्ग का अनुसरण करो जिसको संत करते हैं। इसी में कल्याण है। सुबह पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अटा मंदिर में मुनि सुधासागर महाराज के सानिध्य में श्रावकों ने अभिषेक के उपरान्त शान्तिधारा की। पुण्र्याजक परिवारों ने धर्मसभा का शुभारम्भ आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के चित्र के अनावरण के साथ श्रेष्ठीजनों ने किया तथा पादप्रक्षालन के उपरान्त मुनिश्री को शास्त्र भेंट का पुण्र्याजन किया। मुनिश्री के पडगाहन एवं आहारचर्या पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अटा मंदिर से हुई, जिसमें मुनिश्री सुधासागर महाराज, एलक धैर्यसागर महाराज एवं क्षुल्लक गम्भीर सागर महाराज को पडगाहन किया गया। सायंकाल जिज्ञासा समाधान के लिए श्रावक मुनि श्री सुधासागर महाराज के सम्मुख अपनी जिज्ञासाए की। इसके उपरान्त पुण्र्याजक परिवार द्वारा गुरू भक्ति एवं संगीतमय आरती की गई।
जैन अटामंदिर में मुनि श्री की हुई अगुवाई
सुबह अभिनंदनोदय तीर्थ से मुनिश्री सुधासागर महाराज ससंघ प्रभावना पूर्वक सावरकर चौक स्थित पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन अटामंदिर पहुंचे जहां उनकी श्रावकों ने भक्ति पूर्वक अगुवाई की। साथ ही समाज श्रेष्ठियों ने पादप्रक्षालन कर आरती उतारी। मुनिश्री के अटामंदिर पहुंचने से जैन धर्मालुओं में उत्साह का माहौल रहा और धर्मलाभ लिया।