इससे पहले पांच लोगों की हत्या के मामले में हुई सजा भी उम्रकैद में बदल चुकी
जबलपुर। हाई कोर्ट ने दोहरे हत्याकांड में सत्र न्यायालय द्वारा सुनाए गये फांसी की सजा के फैसले पर मुहर लगाने से इनकार कर दिया। इसी के साथ न्यायमूर्ति सुजय पाल व न्यायमूर्ति पीसी गुप्ता की युगलपीठ ने सिंगरौली की कोर्ट द्वारा 27 नवंबर, 2019 को सुनाई गई फांसी की सजा को निरस्त कर दिया। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ किया कि अभियोजन यह साबित नहीं कर पाया कि हत्या अपीलकर्ता ने ही की थी। पेशे से मजदूर सिंगरौली निवासी रामजग बिंद पर आरोप था कि उसने जमीनी विवाद के चलते वर्ष 2014 में अपने मौसा-मौसी की हत्या कर दी थी।
इस हत्याकांड का खुलासा तब हुआ था, जब दोनों का शव कुएं में तैरता मिला था। जिसके बाद पुलिस ने अपीलकर्ता के विरुद्ध हत्या का अपराध पंजीबद्ध किया। सत्र न्यायालय ने सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुना दी। सत्र न्यायालय के फैसले पर मुहर लगाने के लिए मामला हाई कोर्ट पहुंचा।