आलोक मिश्रा
किसी के गंदे काम की सजा भोग रहा नवजात
कौशाम्बी। जिला अस्पताल में 13 वर्ष की रेप पीड़िता ने 15 दिसंबर को एक बेटे को जन्म दिया था। बेटे के पैदा होने के बाद से ही परिवार के लोगों ने बच्चे को अपनाने से मना कर दिया। इलाज पूरा होने पर जन्म के 13 दिन बाद किशोरी रेप पीड़िता अपने बेटे को छोड़कर अस्पताल से चली गई। अब अस्पताल का स्टाफ बच्चे की देखभाल कर रहा है। जिला अस्पताल के स्टाफ का कहना है, जो कुछ भी उस बच्ची के साथ हुआ इसमें इस बच्चे की कोई गलती नहीं है। जब तक इस बच्चे को कोई गोद नहीं लेता तब तक ये हमारी जिम्मेदारी है। हम इसकी हर तरह से देखभाल करेंगे। हलांकि हम उस पीड़ित बच्ची का दर्द भी समझ सकते हैं। गौरतलब हो कि चरवा थाना क्षेत्र में मई 2022 में 13 वर्ष की किशोरी के साथ रेप होता है। परिवार को किशोरी के प्रेग्नेंट होने की जानकारी जुलाई 2022 में हुई। तब पीड़िता 3 माह की गर्भवती थी। आरोपी ने ये घटना किशोरी के घर में घुसकर की थी। आरोपी ने किशोरी को धमकाया भी था, अगर किसी को इसके बारे में बताया तो तेरे बाप को मार दूंगा। इसी वजह से किशोरी चुप रही। जबकि रेप का आरोपी अभी जेल में है। इस समय जिला अस्पताल में पूरा नर्सिंग स्टाफ बच्चे की देखभाल में लगा हुआ है। नर्स बच्चे की देखभाल अपने बच्चे के साथ कर रही हैं। नर्स शीला ने बताया कि जिस दिन से वो रेप पीड़िता यहां रहने आई थी,मैं उसको देख रही थी। वो हमेशा ही परेशान रहती थी। हम लोग अल्ट्रासाउंड में उसका पेट चेक करते थे तो वो चिल्लाने लगती थी। वो कहती थी मुझे मत दिखाया करो ये सब, तुम लोगों की वजह से मेरी ये हालत है। अगर तुम लोग मेरा गर्भपात कर देते तो मैं आज यहां नहीं होती। खैर उसका ये गुस्सा जायज था। उसकी जगह कोई और होता तो वो भी ऐसा करता। शीला ने आगे बताया कि कैसे उसने अपने दिन यहां काटे हैं हम ही लोग जानते हैं। जिस दिन उसको बेटा हुआ है। उस दिन भी वो बहुत दुखी थी। उसने अपने बेटे को एक बार भी नहीं देखा था। जबकि जन्म के बाद बच्चे को मां के पास रखना जरूरी होता है। हम लोग उसके पास बच्चे को लेकर गए तो उसने हमें भगा दिया। उसके मां-बाप ने भी इस बच्चे को एक भी बार नहीं देखा। बताया कि अभी तो हम लोग शिफ्ट के हिसाब से इसकी देखभाल करते हैं। इसको केएमसी भी देते हैं, फीडिंग भी करवाते हैं। कभी-कभी इंजेक्शन की निडिल हटाकर बच्चे को दूध पिलाया जाता है। इसको हम लोग साफ कपड़े से पोछते हैं। अस्पताल में सभी लोगों को इसे लगाव हो गया है। हम लोग इसको थोड़ा बहुत बाहर घुमा भी देते हैं। इतना छोटा होने के बाद भी ये बहुत एक्टिव है। रोता भी बहुत ज्यादा नहीं है। हमेशा कोई न कोई इसको गोद लिए ही रहता है। नर्स शीला ने बताया कि हम लोगों को इस बच्चे को देखकर कभी-कभी दुख भी होता है। जो अपराध इसने किया भी नहीं उसकी सजा ये अभी से झेल रहा है। न ही इस बच्चे को पिता का प्यार मिला और न ही मां की गोद। अब जब तक ये रहेगा तब तक इसके साथ सब कुछ किया जाएगा। हमारी कोशिश रहेगी ये किसी अच्छे इंसान के घर चला जाए। अस्पताल के स्टाफ ने बताया, हम लोग इस बात को देखकर खुद बहुत हैरान हैं। कैसे एक मां अपने बच्चे से इतनी नफरत कर सकती है। इन दिनों में उस पीडिता ने एक भी बार इस नवजात को नहीं देखा। हम लोगों ने कोशिश की कि वो एक बार इसको गोद में ले लेकिन वो चिल्लाने लगी। उसके मां-बाप ने भी बच्चे को एक भी बार गोद लिया। वो लोग कहते थे, हमारी बच्ची सुरक्षित है हमारे लिए यही बहुत है। हमें इस बच्चे से कोई मतलब नहीं है। हम अपनी बेटियों की अच्छी से परवरिश कर लें यही बहुत है। इस नाजायज बच्चे को रखकर अपनी बेइज्जती नहीं करवानी है। इसके बच्चे के साथ गांव वाले हमें जिंदा नहीं रहने देंगे। स्टाफ ने हमें बताया कि जब वो लोग जा रहे थे, तभी उन लोगों के मन में एक भी बार इस बच्चे को देखने का मन नहीं किया। डॉक्टर ने उनको छुट्टी दे दी और वो लोग सामान पैक करके निकल गए। उनका साफ कहना था, जिस चीज से मतलब नहीं है उसे क्यों देखें। आप लोगों का जो मन हो इस बच्चे के साथ वो करो। वही इस मामले में सीएमएस डॉ0 दीपक सेठ ने बताया, रेप पीड़ित किशोरी ने बच्चे को जन्म दिया है। बच्चा मौजूदा समय में एसएनसीयू में रखा गया है। पीड़ित का प्रकरण जिला अदालत मे विचाराधीन है। अदालत को कार्यवाही के लिए रिपोर्ट भेजी गई है। बच्चे की परवरिश के लिए डीएम से अग्रिम आदेश के लिए अनुरोध किया गया है। डीएम के आदेश पर बच्चे को चाइल्ड लाइन भेजा जाएगा।