इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र
ललितपुर। पंचकल्याणक में आज प्रात:काल निर्यापक श्रमण मुनि सुधासागर महाराज ने धर्म की महिमा बताते हुए कहा पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के माध्यम से जीवन में जहां परिणामों में विशुद्धि वढती वहीं आत्मा पवित्र और निर्मल होती है। पंचकल्याणक में तीर्थंकर के पांचों कल्याणकों को स्वर्ग से सौधर्म इन्द्र आकर मनाते हैं। एक सामान्य मां भी धन्य हो जाती है जव वह पंचकल्याणक में तीर्थंकर की मां बनती है वह सर्व वंदनीय जो जाती है। मुनिश्री ने कहा जैन धर्म अनादि काल से है हर तीर्थंकर अपने अपने समय में धर्म तीर्थ की स्थापना करते हैं। तीर्थंकर ऐसी आत्मा होती है जो तीनों लोकों में सभी के सुख की भावना और कल्याण की भावना भाती है आज उन्हीं तीर्थकरों के कल्याणकों को मना रहे हैं। उक्त विचार मुनि श्री ने कस्वा बांसी पंचकल्याणक महोत्सव में तैयार की गई अयोध्यापुरी में श्रावकों को सम्बोधित करते हुए दिए। इसके पूर्व जैन मंदिर प्रांगण में निर्यापक श्रमण मुनि श्री सुधासागर महाराज के सानिध्य में श्रीमज्ज्निेन्द्र जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव विश्व शान्ति महायज्ञ का शुभारम्भ मंगल कलश यात्रा से हुआ। श्री चेैतन्य चमत्कारिक पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन मंदिर से मंगलकलश यात्रा प्रारम्भ हुई जिसमें श्रीजी रथ में विराजित कर स्वयंसेवक रथ को खीच कर जहां पुण्य का संचय कर रहे थे वहीं महिलाए मंगल कलश में जल लेकर चल रही थी। शोभायात्रा में हाथी पर सवार इन्द्र इन्द्राणी ध्वज पताकाए लिए हुए थे। शोभायात्रा नगर के प्रमुख मार्गो से होते हुए पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव आयोजन स्थल अयोध्यापुरी पहुंची।