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जैन तीर्थ सम्मेद शिखरजी को पवित्र तीर्थस्थल बनाये जाने की उठी मांग, निकाली रैली

Monday, December 19, 2022

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह प्रिइन्द्र

वन्यजीव अभ्यारण्य एवं पर्यटन क्षेत्र घोषित करने का हो रहा है विरोध

केंद्र व झारखंड राज्य सरकार के नाम भेजा गया ज्ञापन

सकल दिगम्बर जैन समाज के सैकड़ों महिला पुरुष रहे विरोध रैली में शामिल

मड़ावरा/ललितपुर। केंद्र सरकार व वन मंत्रालय द्वारा झारखंड राज्य सरकार की संस्तुती पर जैन समुदाय के प्रमुख तीर्थस्थलों में सुमार सम्मेद शिखरजी पर्वतराज को वन्य जीव अभ्यारण्य व पर्यटन क्षेत्र घोषित किये जाने से क्षुब्द जैन समाज द्वारा सम्पूर्ण देश में विरोध ज्ञापन व प्रदर्शन कर सम्मेद शिखरजी को पर्यटन क्षेत्र से पुन: पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किये जाने की मांग की जा रही है। इस क्रम में कस्वा मड़ावरा क्षेत्र अंतर्गत की सकल दिगम्बर जैन समाज ने कस्वे में विरोध रैली निकालकर उपजिलाधिकारी मड़ावरा के माध्यम से केंद्र, राज्य एवं वनमंत्रालय भारत सरकार को ज्ञापन भेजकर पवित्र तीर्थ सम्मेद शिखरजी को जैनों की आस्था का प्रतीक मानते हुए उसकी पवित्रता अक्षुण्यता बरकरार रखने के साथ ही पवित्र जैन तीर्थ स्थल घोषित किये जाने की मांग की गयी। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में महिला, पुरुष, बुजुर्ग व बच्चे विरोध रैली में शामिल रहे। उल्लेखनीय है कि झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित सम्मेद शिखरजी को लेकर विवाद गहरा गया है. जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी के एक हिस्से को वन्य जीव अभ्यारण्य घोषित किए जाने और गैर धार्मिक गतिविधियों के लिए सरकार की ओर से जारी अधिसूचना के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं। सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थली घोषित किए जाने का जैन समाज के लोग विरोध कर रहे हैं। जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी को अपना पवित्र तीर्थ स्थल बताते हुए इसे बचाने, इसे संरक्षित करने की मांग करते हुए विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सम्मेद शिखरजी को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के फैसले का विरोध कर रहे लोग इसे अपनी धार्मिक आस्था पर आघात बता रहे हैं। जैन धर्म के लोगों का कहना है कि इससे पवित्र स्थल पर लोग आध्यात्मिक नहीं, मौज-मस्ती के मनोभाव से जाएंगे इन्ही सब चीजों को दृष्टिगत रखते हुए कस्वा मड़ावरा की सकल दिगम्बर जैन समाज ने भारी संख्या में एकत्रित हुए महिला, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चों के साथ विरोध रैली निकाली गयी जो कि पुराना बाजार स्थित नेमिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर से प्रारम्भ की गयी। उपस्तिथ महिला पुरुष हाथों में विरोध पट्टिकाएं लेकर शिखर जी को पवित्र तीर्थस्थल बनाये जाने के नारे लगाते हुए चल रहे थे मुख्यमार्ग से होकर यह विरोध रैली तहसील मुख्यालय स्तिथ उपजिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे जहां केंद्र सरकार व झारखंड राज्य सरकार को संबोधित एक ज्ञापन उपजिलाधिकारी को सौंपकर शीघ्र ही सम्मेद शिखरजी तीर्थक्षेत्र को पवित्र जैन तीर्थस्थल घोषित किये जाने की मांग की गयी। सैकड़ों की संख्या में एकत्रित हुए महिला पुरुष केवल एक ही नारा लगा रहे थे कि सम्मेद शिखर हमारा है हमें प्राणों से भी प्यारा है।

जैन समाज के लोग क्यों कर रहे हैं विरोध

जैन धर्म के लोग ये भी कह रहे हैं कि इसे पर्यटन क्षेत्र बनाया जाता है तो पर्यटकों के आने की वजह से यहां मांस, शराब का सेवन भी किया जाएगा। अहिंसक जैन समाज के लिए अपने पवित्र तीर्थक्षेत्र में ऐसे कार्य असहनीय हैं। सरकार की ओर से जारी की गई अधिसूचना में मछली और मुर्गी पालन के लिए भी अनुमति दी गई है। छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने की भी बात कही गई है। इस गजट में लिखा है कि पारसनाथ पहाड़ी को जैनों का तीर्थ माना जाता है। सच ये है कि सम्मेद शिखरजी जैन धर्म के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है।

जैन धर्म में क्या है सम्मेद शिखरजी की मान्यता

जैन धर्म में सम्मेद शिखरजी को लेकर मान्यता है कि जिस तरह गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धुल जाते हैं, उसी तरह इनकी वंदना करने से सभी पाप का नाश हो जाता है। जैन समाज के लोग सम्मेद शिखरजी पहुंचकर 27 किलोमीटर के दायरे में फैले मंदिर-मंदिर जाते हैं और वंदना करते हैं। जैन धर्म के लोग वंदना के बाद ही कुछ खाते-पीते हैं.जैन समाज में ये मान्यता है कि सम्मेद शिखरजी के इस क्षेत्र का कण-कण पवित्र है, पूज्यनीय है। लाखों जैन मुनियों ने इस क्षेत्र से मोक्ष प्राप्त किया है। जैन समाज के लोग ये मांग कर रहे हैं कि जिस तरह अन्य धर्मों के तीर्थ स्थलों को सरकार ने सहेजा है, उसी तरह सम्मेद शिखरजी को भी संरक्षित किया जाए। सम्मेद शिखरजी को भी सिर्फ धार्मिक तीर्थ के रूप में ही मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।

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