*रवींद्र सिंह (मन्जू सर) " शवयात्रा के पीछे"- "श्री राम नाम सत्य है"ऐसा क्यों बोला जाता है।रवींद्र सिंह मंजू सर मैहर की कलम से ग्रंथो के प्रसंग रामचरित्रमानस महाकाव्य को शिरोधार्य करते हुए लेखन करती है कि एक समय कि बात है जब तुलसीदास अपने गांव में रहते थे वो हमेशा राम कि भक्ति मे लीन रहते थे, तो उनको घरवालों ने और गांव वाले ने ढोंगी कह कर घर से बाहर निकाल दिया तो तुलसीदास गंगा जी के घाट पर रहने लगे वही प्रभु की भक्ति करने लगे।जब तुलसीदास रामचरितमानस की रचना शुरू कर रहे थे उसी दिन उनके गांव में एक लड़के की शादी हुई और वो लड़का अपनी दुल्हन को लेकर अपने घर आया और रात को किसी कारण वश उस लडके कि मृत्यु हो गई। लड़के के घर वाले रोने लगे सुबह होने पर सब लोग लड़के को अर्थी पर सजाकर शमशान घाट ले जाने लगे तो उस लड़के कि दुलहन भी सती होने कि इच्छा से अपने पति के अर्थी के पीछे पीछे जाने लगी।लोग उसी रास्ते से जा रहे थे जिस रास्ते में तुलसीदास जी रहते थे। लोग जा रहे थे। तो रास्ते में लड़के की दुल्हन की नजर तुलसीदास पर पड़ी तो दुल्हन ने सोचा की अपने पति के साथ सती होने जा रही हूँ एक बार इस ब्राह्मण देवता को प्रणाम कर लेती हूँ ।वो दुल्हन नहीं जानती थी कि ये तुलसीदास है उसने तुरंत तुलसीदास को पैर छुकर प्रणाम किया और तुलसीदास ने उसे अखण्ड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे दिया तो सब लोग हँसने लगे और बोले रे तुलसीदास हम तो सोचते थे तुम पाखंडी हो लेकिन तुम तो बहुत बड़े मूर्ख भी हो, इस लड़की का पति मर चुका है। ये अखण्ड सौभाग्यवती कैसे हो सकती है। सब बोलने लगे तु भी झुठा तेरा राम भी झुठा। तुलसीदास जी बोले हम झुठे हो सकते हैं लेकिन मेरे राम कभी भी झूठे नही हो सकते है। सबने बोला- इस बात का प्रमाण दो।तुलसीदास जी ने अर्थी को नीचे रखवायाऔर उस मरे हुये लड़के के पास जाकर उसके कान में बोला राम नाम सत्य है। ऐसा एक बार बोला तो लड़का हिलने लगा दुसरी बार पुनः तुलसीदास ने लड़के के कान में बोला"राम नाम सत्य" है।लड़का को थोडा अचेत और आया तुलसीदास जी ने जब तीसरी बार उस लडके के कान में बोला "राम नाम सत्य है" तब वो लड़का अर्थी से नीचे उठ कर बैठ गया। सभी को बहुत आश्चर्य हुआ कि मरा हुआ व्यक्ति कैसे जीवित हो सकता है। सबने मान लिया और तुलसीदास के चरणों में गिरकर दण्डवत प्रणाम करके क्षमा याचना करने लगे।तुलसीदास जी बोले अगर आप लोग यहाँ इस रास्ते से नहीं जाते तो मेरे राम के नाम को सत्य होने का प्रमाण कैसे मिलता ये तो सब हमारे राम कि लीला है । रवींद्र सिंह मन्जू सर मैहर की कलम कहती है कि उसी दिन से ये प्रथा शुरू हो गई। "शवयात्रा" में श्रीराम नाम सत्य है।बोला जाने लगा।। राम नाम सत्य है, सत्य बोलो मुक्ति है।अंत में मेरी तरफ से राम से बड़ा राम का नाम ,बोलो राम राम राम तेरे बनेंगे बिगड़े काम।