नई दिल्ली। 74वें गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कर्तव्य पथ पर तिरंगा फहराया। उनके साथ मुख्य अथिति अब्देल फतेह अलसीसी भी मौजूद थे, जिनका स्वागत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्मजोशी से किया। इसके बाद राष्ट्रगान हुआ। इस दौरान पहली बार भारतीय तोपों ने सलामी दी। अब तक ब्रिटेन में बनी तोपों से सलामी दी जाती थी। इसी के साथ परेड की शुरूआत हो गई है। इससे पहले गुरुवार सुबह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद वे वार मेमोेरियल गए और शहीदों को श्रद्धांजलि दी। अर्जुन टैंक, वज्र तोपों और आकाश मिसाइल सिस्टम के अलावा कर्तव्य पथ पर ब्रह्मोस मिसाइल नजर आई। खास बात ये कि ये सभी स्वदेशी हथियार हैं। एयर डिफेंस मिसाइल रेजिमेंट की ओर से आकाश वेपन सिस्टम को लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने लीड किया। उनके साथी लीडर थे कैप्टन सुनील दशराथे। नौसेना की टुकड़ी के 144 सेलर्स का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कमांडर दिशा अमृत ने किया। 3 महिला और 6 पुरुष अग्निवीर पहली बार कर्तव्य पथ पर नजर आए।
तस्वीरों में गणतंत्र दिवस
1. अंग्रेजों की बनाई तोपों की जगह भारतीय तोपों से दी गई सलामी
गणतंत्र दिवस में राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी दिए जाने की परंपरा है। अब तक ये सलामी ब्रिटेन में बनी 25-पाउंडर तोपों से दी जाती थी, जो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थीं। इस बार इनकी जगह भारत में बनी 105टट इंडियन फील्ड गन से सलामी दी गई। ये तोपें जबलपुर और कानपुर की गन फैक्ट्री में बनाई गई थीं।इन्हें 1972 में डिजाइन किया गया था और ये 1984 से सर्विस दे रही हैं। दिल्ली एरिया के चीफ आॅफ स्टाफ मेजर जनरल भवनीश कुमार ने कहा कि 105टट देश में बनी तोपें हैं इसलिए हम इनसे सलामी देना चाहते हैं। यह हमारे लिए गर्व का विषय है। इस साल से राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी इंडियन फील्ड गन्स से दी जाएगी। इस साल से राष्ट्रगान के दौरान 21 तोपों की सलामी इंडियन फील्ड गन्स से दी जाएगी। अब तक 21 तोपों की सलामी ब्रिटेन में बनी 25 पाउंडर तोपों से दी जाती थी, जो दूसरे विश्वयुद्ध में भी इस्तेमाल की गई थीं। अब तक 21 तोपों की सलामी ब्रिटेन में बनी 25 पाउंडर तोपों से दी जाती थी, जो दूसरे विश्वयुद्ध में भी इस्तेमाल की गई थीं।
2. बीएसएफ की ऊंट टुकड़ी में पहली बार महिला अफसर
गणतंत्र दिवस पर पहली बार बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स की ऊंटों की टुकड़ी में महिला अफसर को शामिल किया गया है। सरफेस टु एयर मिसाइल सिस्टम आकाश टुकड़ी का नेतृत्व लेफ्टिनेंट चेतना शर्मा ने किया। इनमें आर्मी के 3 और एयरफोर्स और नेवी की एक-एक मेंबर्स शामिल थे। लेफ्टिनेंट चेतना ने कहा कि उनका सपना पूरा हो गया। चेतना आर्मी एयर डिफेंस यूनिट में पोस्टेड हैं। चेतना के अलावा लेफ्टिनेंट डिंपल भाटी आर्मी की डेयरडेविल्स मोटरसाइकिल टीम का हिस्सा होंगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए वो पिछले एक साल से ट्रेनिंग कर रही हैं।
3. इंडियन एयरफोर्स के गरुड़ कमांडो, एयर-फील्ड आॅपरेशन में एक्सपर्ट
इंडियन एयरफोर्स की स्पेशल गरुड़ कमांडो फोर्स भी परेड में नजर आएगी। 2004 में बनी इस स्पेशल फोर्स की ट्रेनिंग सबसे ज्यादा 72 हफ्तों तक चलती है। अभी इस फोर्स में 1780 कमांडो हैं। ये एंटी टेरर आॅपरेशन और एयर-फील्ड डिफेंस में एक्सपर्ट होते हैं। ये सभी तरह के आधुनिक हथियार चलाने में माहिर होते हैं। 2 जनवरी 2016 में पठानकोट एयरबेस पर आतंकवादी हमले के दौरान मोर्चा गरुड़ कमांडोज ने ही संभाला था। इस हमले में 2 सैनिक शहीद हुए थे। एयरफोर्स के गरुड़ कमांडोज की ट्रेनिंग का ये फोटो इंटरनेट से लिया गया है। एयर और फील्ड आॅपरेशन में इन्हें महारत हासिल होती है।
4. फ्लाई पास्ट में पहली और आखिरी बार दिखेगा विंग्ड स्टैलियन
फ्लाई पास्ट में 44 एयरक्राफ्ट हिस्सा लेंगे। इनमें 9 राफेल भी रहेंगे। इनके अलावा उ-17, उ-130, सुखोई-30 भी फ्लाई पास्ट में शामिल होंगे। ये नेत्र, बजरंग, वर्टिकल चार्ली, ध्वज, रुद्र, बाज, प्रचंड, तिरंगा, तंगैल, गरुड़, अमृत और त्रिशूल फॉरमेशन में उड़ान भरेंगे। खास बात ये है कि नेवी का इल्यूसिन कछ-38 पहली और आखिरी बार परेड में शामिल होगा। निगरानी और एंटी सबमरीन एयरक्राफ्ट 1977 में नेवी में शामिल किया गया था। 42 साल की सेवा के बाद इस साल के आखिर में इसे हटा दिया जाएगा। इसे विंग्ड स्टैलियन भी कहा जाता है।