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आस्था व समर्पण का केंद्र बना समाधि स्थल

Wednesday, January 18, 2023

/ by Today Warta



राकेश केशरी

तपसी महाराज की समाधि स्थल परिक्रमा करते भक्तजन

कौशाम्बी। तहसील सिराथू से दक्षिण दिशा में रामपुर धामावा ससुर खदेरी नदी के पास स्थिति समाधि स्थल इन दिनों आस्था और समर्पण का केंद्र बना हुआ है,लोगों का मानना है की यहां आने वाले दीन, दुखियों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं,जरूरत है बस सच्चे दिल से तपसी महाराज की समाधि में प्रार्थना करने की तहसील सिराथू धमावा ससुर खदेरी नदी के पास घनघोर जंगल में बोधेश्वर महादेव का मंदिर था,करीब 80 वर्ष पहले यहां पर शत्रुघ्न दास महाराज जी तपसी जी के नाम से एक महान संत इस घनघोर जंगल में अपनी साधना के लिए इस स्थान को चुना था,वहां पर मौजूद महंत संत प्रकाश दास त्यागी महाराज इस स्थान के महत्व की जानकारी अपने भक्तों को बताते हुए बताया कि तपसी महाराज कोई भी नित्य क्रिया करते किसी ने कभी नहीं देखा था,वह कब खाना खाते कब संध्या पूजन करते थे,किसी को भी पता नहीं था,शत्रुघ्न दास जी महाराज ने बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में काफी अरसे तक घोर तपस्या की। उन्होंने एक दिन जिंदा समाधि लेने की घोषणा की यह बात क्षेत्र में जंगल की आग तरह बात फैल गई। जिस दिन उन्हें समाधि लेना था,अंतिम दर्शन के लिए भक्त भारी संख्या में उमड़ पडे, त्यागी जी ने बताया कि उनके जीवन में कई चमत्कारों में से एक बार कड़ा के प्रसिद्ध नागा बाबा किसी कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उदहिन गांव जा रहे थे, रास्ते में धमावा नदी के पास पहुंचे तो पानी पीने के उद्देश्य आश्रम जा पहुचे,तपसी महाराज ने उन्हें प्रणाम किया, कहा कि महाराज जी क्या स्वागत करें,नागा बाबा ने मन में सोचा कि वह क्या खिलाएगा, इतने में बाबा ने हवन कुंड से विभिन्न प्रकार के व्यंजन निकालने लगे यह चमत्कार देखकर बाबा के साथ आए लोग आश्चर्यचकित हो गए। मंगलवार को सुबह से ही दूरदराज से भक्त आकर पूजन व परिक्रमा करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ फरियाद करने के लिए जुटी रहती है, त्यागी जी ने बताया कि इस स्थान की महिमा बहुत है,इस स्थान पर बैठने पर आत्मा को संतुष्टि मिलती है।

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पुत्र प्राप्ति के लिए समाधि स्थल की करतें हैं लोग परिक्रमा

इस आश्रम की ख्याति दिन प्रतिदिन कई जनपदों में फैल चुकी है,ं लोग यहां आ कर मत्था टेकते हैं और उनकी मन की इच्छा पूरी होती है। कहानियों के अनुसार आश्रम में कैमा गांव का ही साधु महाराज की सेवा में लगा रहता था,उस समय उसकी उम्र 70 वर्ष के आसपास थी, वह काफी उदास रहता था,महाराज ने एक दिन उदासी का कारण पूछा तो उसने कहा महाराज मेरी कोई संतान नहीं हुई,इस कारण मैं काफी परेशान रहता हूं, तब महाराज जी ने कहा कि अब तुम घर जाओ जब तक तुम्हें संतान की प्राप्ति ना हो तब तक आश्रम न आना कुछ समय बीतने के बाद उसे एक संतान की प्राप्ति हुई तभी से यहां संतान प्राप्ति के लिए क्षेत्र के अलावा गैर जनपदों से महिलाएं वह पुरुष इस समाधि का चक्कर लगाते हैं, जिससे लोगों को संतान प्राप्ति होती है।


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