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शिक्षामित्रों के मामले में मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को गुमराह कर रहे अधिकारी % अभिषेक जैन मोना

Saturday, January 14, 2023

/ by Today Warta



इन्द्रपाल सिंह'प्रिइन्द्र'

समाज और सरकार में शिक्षामित्रों के प्रति जा रहा गलत संदेश

शिक्षामित्र और अनुदेशक आर्थिक तंगी में कैसे मनाएं सक्रांति

ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश में नहीं मिलता है मानदेय

 स्थाई समाधान कर शिक्षामित्र और अनुदेशकों का भविष्य सुरक्षित करें शासन - विशाल जैन पवा

ललितपुर। बेसिक शिक्षा विभाग के बड़े बड़े अधिकारी माननीय मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को शिक्षामित्रों की योग्यता के बारे में गुमराह कर रहे हैँ। वह मुख्य मंत्री के समक्ष शिक्षामित्रों को इंटर पास या उसके समकक्ष बताते हैं जबकि सच्चाई यह है कि सभी शिक्षामित्र स्नातक ग्रेजुएट और उन्ही के विभाग द्वारा करायी गयी दूरस्थ बी टी सी पास हैँ। जिसमें 50000 से अधिक शिक्षामित्र तो टेट सीटेट पास भी हैँ, जो शिक्षक बनने की एन सी आर टी ई की पूर्ण योग्यता रखते हैं। इस पर उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ के मण्डल अध्यक्ष एवं जिला प्रभारी अभिषेक जैन मोना बताते हैँ की 2013 में तत्कालीन समाजवादी सरकार ने शिक्षामित्रों के समायोजन का फैसला किया था, जिसमें स्नातक दूरस्थ बीटीसी पास शिक्षामित्रों को 2014-15 में दो बैचो में सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजित किया गया। जिस पर हाई कोर्ट ने बिना टेट समायोजन को अबैध मानते हुए 12 सितम्बर 2015 में रद्द कर दिया। हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ तत्कालीन सरकार सुप्रीम कोर्ट गयी और दिसंबर 2015 में हाईकोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। फिर 2017 में विधान सभा चुनाव आये और बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्याओ को तीन महीने में हल करने का वादा किया जिस पर शिक्षामित्रों ने बीजेपी का भरपूर सहयोग चुनाव में किया और बीजेपी सत्ता में आयी। केस कोर्ट में था मगर अधिकारियों के द्वारा सही पैरबी ना किये जाने से 25 जुलाई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा जिस कारण समायोजन रद्द हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने दो भर्तियों में भारांक देकर भर्ती करने को कहा और जिनको माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार दो भर्तियों में भारांक देकर नियमित करना था, जिस पर कुछ वरिष्ठ अधिकारी माननीय मुख्यमंत्री को गुमराह करके लिखित परीक्षा लगा दी जिस कारण शिक्षामित्रों को भारांक का लाभ नहीं मिल सका और 68500 शिक्षक भर्ती में तो माननीय मुख्यमंत्री महोदय के 30/33 पासिंग मार्क के आदेश को दरकिनार करते हुए हाई कोर्ट के सिंगल बेंच के फैसले से 40/45 पासिंग मार्क पर ही भर्ती कर दी। माननीय मुख्यमंत्री जी के आदेश की भी परवाह न की ना कोर्ट में पैरबी की। फिर 69000 शिक्षक भर्ती में भारांक को शून्य करने के लिए हाई पासिंग मार्क 60/65 लगा दिया जिसको कोर्ट की सिंगल बैंच ने गलत मानते हुए रद्द कर दिया, जिसको लेकर अधिकारी सुप्रीम कोर्ट तक लड़े, अधिकारियो की दूषित मानसिकता के चलते शिक्षामित्रों को न्याय नहीं मिल पा रहा है। जबकि माननीय प्रधानमंत्री महोदय ने स्वयं शिक्षामित्रों की जिम्मेदारी वनारस में ली थी। बीजेपी ने 2017 के अपने चुनावी संकल्प पत्र में शिक्षामित्रों की समस्याओं का समाधान तीन महीने में करने का वादा किया था, मगर अधिकारी जनों के द्वारा समय समय पर माननीय मुख्यमंत्री और बेसिक शिक्षा मंत्री को गुमराह करके शिक्षामित्रों को न्याय नहीं मिलने दिया। जिस कारण शिक्षामित्रों को न्याय नहीं मिल पा रहा है अतः समस्त शिक्षामित्र अवसाद में हैँ की दो दशकों से विभाग की तन मन से सेवा करने के बाद भी वह अपनों में बेगानों जैसी जिंदगी जी रहें हैँ। और कुछ असमय काल के गाल में समा रहें हैँ और बहुत दुनिया छोड़ गये हैँ, क्योँकि उन पर इस उम्र में अपने बढ़ते बच्चों और बुजुर्ग माता-पिता की जिम्मेदारी है। उन्हें चारों ओर अंधकार नज़र आ रहा है और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैँ। फिर भी वह आशान्वित हैं की हमारे लोकप्रिय मुख्यमंत्री उनका कल्याण जरूर करेंगे, बस आशा यह है की अब देर न हो क्योँकि अब शिक्षामित्रों की उम्र इंतजार की न रही। माननीय मुख्यमंत्री ओर माननीय प्रधानमंत्री से यही अनुरोध है की ऐसे अधिकारियों पर कर्यावाही करते हुए हम शिक्षामित्रों का कल्याण करें। बुंदेलखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, उत्तर प्रदेश के प्रांतीय सह प्रवक्ता विशाल जैन पवा ने कहा की शिक्षामित्र और अनुदेशक आर्थिक तंगी में सक्रांति कैसे मनाएं उनके सभी त्योहार होली हो या दीपावली सभी फीके रह जाते हैँ, क्योंकि उन्हें ग्रीष्मकालीन और शीतकालीन अवकाश में मानदेय नहीं मिलता है। अनुदेशक और शिक्षामित्र 11 माह के मामूली मानदेय में निष्ठा पूर्वक ईमानदारी से कार्य करते हैँ। उन्होंने बेसिक शिक्षा की रीढ़ बनकर 2001से ग्रामीण बच्चों के भविष्य को संवारा है। उन्होंने शिक्षण कार्य के साथ साथ पोलियो ड्यूटी, चुनाव ड्यूटी, बी एल ओ कार्य, बाल गणना, जन गणना, विद्यालय संचालन सहित सभी राष्ट्रीय कार्यक्रमों में सक्रिय सहभागिता निभाते हुए सभी दायित्वों का निर्वहन भलीभांति किया है। यह किसी एक शिक्षामित्र की पीड़ा नहीं अपितु 172000 शिक्षामित्र परिवारों की समस्या है, जिस पर सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता है। शासन को स्थाई समाधान निकाल कर शिक्षामित्र और अनुदेशकों को नियमित कर भविष्य सुरक्षित करना चाहिए।

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