देश में जब भ्रष्टाचार और अफसरशाही हावी हो गई आमजन के बीच त्राहि-त्राहि मच गई लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए वर्ष 2005 में सरकार द्वारा सूचना का अधिकार कानून लाया गया! जिसके कई प्रावधान बने कहते है उसके बाद आज भी अफसरशाही समाज में हावी है,एक मामला प्रकाश में आया है जय प्रकाश द्विवेदी नाम व्यक्ति द्वारा ग्राम भटिया में स्थित साईं स्टोन क्रशर के विषय में जानकारी चाही गई जिसमें यह खुलासा आसानी से हो वर्ष 2018 के बाद पर्यावरण की स्वीकृति नहीं है, उसके बाद जब खनिज विभाग से क्रेशर के संबंध में अन्य जानकारी चाही गई तो खनिज विभाग अपना असली चेहरा आसानी से दिखा दिया और क्रेशर संचालक के पत्र का हवाला देकर धारा 8 के तहत जानकारी देने से मना कर दिया, ताकि शासन के नियम विरुद्ध कार्य करने वाले क्रेशर संचालक को आसानी से बचा सके! लोगो की माने तो शासन के नियम विरुद्ध चलने वाले क्रेशर का सरोकार लोकहित से जुड़ा हुआ है जिसका प्रमाण शासकीय विभागों की एनओसी है जो अब पर्यावरण विभाग की इस क्रेशर संचालक के पास उपलब्ध नही है,गिट्टी बनाने वाले पत्थर पीसने वाले क्रेशर की वजह से कितना प्रदूषण होता है उसे कम करने के लिए शासन के नियम निर्देश बने, आरटीआई आवेदन कर्ता का आरोप है कि शासन के निर्देशों के विपरीत संचालित होने वाले क्रेशर का बचाव अब खनिज अमला खुलकर कर रहा है,आवेदनकर्ता का कहना है सामाजिक सरोकार से विपरीत जाकर विभाग अगर धारा 8का हवाला देके क्रेशर संचालक का बचाव करना चाहता है तो जनता को सतना खनिज विभाग के लोक सूचना अधिकारी बताए कि यह क्रेशर शासन के सभी नियमो के अनुसार चल रहा है अगर हां तो इस विषय में खनिज अधिकारी पत्र के माध्यम से क्रेशर संचालक का पक्ष रख सकते है और नही तो कब तक बचाव करेगे! लोगो के मौखिक कथानुसार बताया गया इन दिनों खनिज अमले को खुलेआम नियम विरुद्ध कार्य करने वाले खनिज कारोबारियों का संरक्षण देते देखा गया है जिस कारण आरटीआई आवेदन में भी जानकारी छुपाई जाती है|