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आज का सुविचार !! किश्त !!

Wednesday, February 8, 2023

/ by Today Warta



पचास हजार की नौकरी फिर भी महीने के आखिरी दिनों में बेबस, लाचार फिरता रहता है वो, कभी इससे उधार मांगता  तो कभी उससे उधार, ऐसा नहीं की उसके परिवार मे लोग ज्यादा है, लोग तो बस तीन ही है, लेकिन माजरा क्या है, समझ नहीं आता, घर का किराया भी नहीं देना पड़ता क्योंकि पिताजी ने पुश्तैनी मकान मे उसका हिस्सा जो दे दिया था । हम ऐसा ही कुछ किसी के बारे में सुनते हैं, तो बड़े ही सहज भाव से प्रतिक्रिया करने लग जाते हैं, लेकिन आज हर दूसरे व्यक्ति का हाल यही है, कर्ज के बोझ में हर दूसरा व्यक्ति दबा हुआ नजर आता है, कारण जानने का प्रयास किया तो कुछ ऐसे कारण नजर आए,जो वास्तव में जिंदगी को आगे ले जाने की बजाएं पीछे धकेलते हुए नजर आए, 

तो शुरुआत करते हैं जानने की 

घर का माहौल बहुत ही खुशनुमा, सब कुछ अच्छा सा, सवेरे सवेरे न्यूज़ पेपर पढ़ते हुए एक गुलाबी कलर का टेंम्पलेट हाथ में आया, पढ़कर जिज्ञासा हुई, कोई भी इलेक्ट्रॉनिक आइटम ले जाइए जीरो परसेंट ब्याज पर गर्मी का मौसम भी था सोचा किस्तों में AC ले लेते हैं, वैसे भी ब्याज तो लग ही नहीं रहा और हर महीने तीन हजार ही तो देने हैं, एयर कंडीशन घर पर लग चुका था अब रात और दिनAC की ठंडी ठंडी हवा में आनंद से बीतने लगे, जब बिजली का बिल आया तो माजरा कुछ समझ आया, जहां तीन हजार मैं काम हो जाता था वहां नौ हजार का बिल देख कर AC चलते हुए भी माथे पर पसीना आया, जीवन की गाड़ी चल रही थी, घर में अल्टो कार सबको हर जगह ले जा रही थी, एक इस्तहार पढ़कर मन में कुछ लालच जागा, अपनी पुरानी कार के बदले नई कार ले जाइए आसान किस्तों में, हम भी पहुंच गए अपनी पुरानी कार को लेकर कार के शो रूम में, वहां पर पहुंचते ही हमारा स्वागत हुआ और एक मॉडल जैसी नवयुवती ने हमें बैठने के लिए कहा और हमें बहुत ही प्यार से नई कार के बारे में समझाया, हम उसके झांसे में आ गए, और अपनी पुरानी कार औने पौने दामों में वही छोड़ कर नई कार लेकर आ गए, नई कार के साथ हमारी घरवाली के भी कुछ पर आ गए, दस दिन बधाई का दौर चला और हम भी धीरे-धीरे उस माहौल से उकता गए ,इस बीच महीने की पहली तारीख भी आ गई, अपने खाते में उस रोज हमारी सैलरी भी आ गई, दूसरे दिन एक मैसेज आया प्रिय ग्राहक आपके खाते से कार की किस्त पन्द्रह हजार जमा हो गई है इसके लिए धन्यवाद, पढ़ कर मैसेज माथे पर पसीना आया, मैं कहता भी किस्से मैं खुद ही उसमें फंसकर जो आया, अब मैं हिसाब लगा रहा हूं नौ हजार लाइट का बिल, तीन हजार एयर कंडीशन की किस्त, पन्द्रह हजार कार की किस्त, पाच हजार बच्चे के स्कूल की फीस, पाच हजार का राशन, तीन हजार जीवन बीमा की किस्त, एक हजार मोबाइल का रिचार्ज, पाच हजार कार और बाइक का पेट्रोल, तीन हजार बाहर खाने का खर्च, अब बचा सिर्फ एक हजार और महीने के 27 दिन, अब कुछ समझ नहीं आ रहा, कैसे  निकलेगा महीना  यही डर सता रहा ...

आज की लाइफ स्टाइल में यह सब कुछ आम बात है, इसलिए व्यक्ति आज मानसिक रोगी होता जा रहा है, चमक दमक की आभासी दुनिया में खुद ही धोखा खा रहा है, इसीलिए दिखावे पर मत जाइए,

थोड़ी अपनी अक्ल लगाइए,

पैसा अगर पास है तो नगद देकर कुछ भी लाइये 

हो सके तो जिंदगी की गाड़ी को किस्तों में न ऊलझाइये सही से! चलाइए ।।

    🪷🪷।। शुभ वंदन ।।🪷🪷

सदैव प्रसन्न रहिये - जो प्राप्त है, पर्याप्त है।

जिसका मन मस्त है - उसके पास समस्त है।।

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