प्रयागराज। साबरमती से नैनी जेल तक के सफर में अतीक के हावभाव पल-पल बदलते रहे। 1300 किमी लंबे सफर में अतीक नौ जगह रुका। 10वां पड़ाव नैनी जेल था। माफिया अतीक अहमद इस 24 घंटे की सफर में कहीं नहीं सोया। अटकलों और आशंकाओं से भरा माफिया अतीक अहमद का साबरमती से नैनी जेल तक का सफर तनाव से भरा रहा। करीब 1300 किमी लंबा यह सफर सुरक्षा में लगे पुलिस कर्मियों के लिए काफी चुनौतियों वाला रहा। लेकिन रास्ते में काफिला लंबा होने के साथ ही अतीक के चेहरे के हावभाव लगातार बदलते रहे। अतीक के आगे बढ़ने के साथ गुर्गों एवं समर्थकों के वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती गई और देखते ही देखते बड़े काफिले में तब्दील हो गई। काफिला लंबा होने के साथ माफिया के तेवर एवं सुर भी बदलते गए। गुजरात में उसे हत्या का डर सता रहा तो उत्तर प्रदेश में प्रवेश करने पर उसका बयान रहा, काहे का डर। आईपीएस की निगरानी में 45 सुरक्षा कर्मियों की फौज साबरमती जेल से रविवार को करीब शाम छह बजे अतीक को लेकर रवाना हुई और नैनी जेल सोमवार को शाम करीब साढ़े पांच बजे पहुंची।गुजरात में जेल से निकलने के बाद अतीक ने अपनी प्रतिक्रिया में हत्या की आशंका जताई थी। उसके चेहरे पर भय भी साफ झलक रहा था लेकिन अपनों के जुड़ने के साथ उसके चेहरे से यह डर धीरे-धीरे गायब होने लगा।
कई जगहों पर तो अतीक के काफिले को देखने के लिए सड़क के दोनों तरफ लोग भी मौजूद रहे। सूत्रों के अनुसार उसके कई गुर्गे साबरमती जेल से ही साथ में हो गए थे लेकिन पुलिस के भय से वे काफी पीछे चलते रहे। अतीक को 257 किमी की यात्रा के बाद सबसे पहले उदयपुर में रोका गया। तब तक, कुछ ही वाहन पीछे दिख रहे थे लेकिन 377 किमी दूरी तय करने के बाद चित्तौड़गढ़ में फिर रोका गया तो बहन आयशा नूरी साथ में हो गईं थीं। आयशा के वाहन में उनकी बेटी, अतीक के भाई एवं उमेश पाल अपहरण के आरोपी अशरफ की पत्नी जैनब तथा अतीक के वकील विजय मिश्रा भी मौजूद रहे। अतीक की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जगह-जगह फोर्स तैनात रही तथा ट्रैफिक डायवर्ट की गई थी लेकिन हाईवे पर पीछे-पीछे अन्य लोगों के भी वाहन चल रहे थे। कोई रोकटोक नहीं थी। ऐसे में अतीक के गुर्गों को भी मौका मिला और वे अतीक के वाहन के पीछे लगते गए और धीरे-धीरे यह काफिला लंबा होता गया। जगह-जगह से उसके गुर्गे काफिले में घुसते रहे। इसी के साथ अतीक के तेवर और चेहरे के भाव बदलते गए। 767 किमी की दूरी तय करने के बाद शिवपुरी में अतीक को पांचवीं बार रोका गया और वहां पर उसने पहली बार बयान दिया कि काहे का डर। अपनों के साथ होने का एहसास भी अतीक के चेहरे पर झलक रहा था और आगे के सफर में उसने लगातार यही बयान दिया कि काहे का डर। कई जगहों पर उसने हाथ हिलाकर अपने ताकत का अहसास भी दिलाया। अतीक को प्रयागराज लाने की कार्रवाई बहुत गोपनीय रखी गई थी। ऐसे में गुर्गों को देर से जानकारी हुई थी। सूत्र के अनुसार अतीक के गुर्गे पूरे रास्ते में जगह-जगह मौजूद रहे लेकिन किसी तरह का रोकटोक न होता देख वे अतीक की गाड़ी से कुछ दूरी बनाते हुए पीछे-पीछे लगते गए और देखते ही देखते काफिला काफी लंबा हो गया। नैनी जेल पहुंचने से पहले तो सैकड़ों गाड़ियों की लंबी कतार लग गई थी।